संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार का डेढ़ साल के लिए कानून टालने वाला प्रस्ताव ठुकराया, किसान अपनी मांगों पर अड़े

नए कृषि कानूनों के खिलाफ में दिल्ली की सीमाओं पर लगातार 57वें दिन भी किसानों का हल्लाबोल जारी है। संयुक्त किसान मोर्चा की गुरुवार को हुई आम सभा की बैठक के दौरान केंद्र सरकार की ओर से दिए गए कानूनों को डेढ़ साल तक टालने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। सभी किसानों ने तीनों कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को दोहराया। किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि सरकार के किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक कि वे कानूनों को रद्द नहीं करते। सरकार के साथ कल की बैठक में हम कहेंगे कि हमारी केवल एक मांग है, कानूनों को रद्द करना और एमएसपी पर कानून बनाना। इन सभी को सर्वसम्मति से तय किया गया है। जानकारी के अनुसार, किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बुधवार को हुई 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए इन कानूनों को डेढ़ साल तक टालने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में विचार किया गया। शुक्रवार को 11वें दौर की बैठक में किसान सरकार को अपने फैसले से अवगत कराएंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कल कहा था कि किसान संगठनों  के साथ बेहद सकारात्मक बातचीत हुई। चर्चा के दौरान, हमने कहा कि सरकार एक या डेढ़ साल के लिए कृषि कानूनों को रखने के लिए तैयार है। मुझे खुशी है कि किसान यूनियनों ने इसे बहुत गंभीरता से लिया है और कहा है कि वे कल इस पर विचार करेंगे और 22 जनवरी को अपना फैसला बता देंगे। तोमर ने कहा कि मुझे लगता है कि वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ रही है और 22 जनवरी को एक प्रस्ताव मिलने की संभावना है। बैठक के दौरान सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।

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