इंसानों की बढ़ती उम्र की समस्या सुलझने को लेकर उम्मीद की नई किरण जागी है. वैज्ञानिकों का मानना है कि एंटी एजिंग की समस्या सुअर के रक्त में पाए जाने वाले कंपाउंड से ठीक हो सकती है, यानी आयु को रिवर्स किया जा सकता है. दवा चूहों पर टेस्ट की गई, अगर यह सफल रहा तो इंसानों की बढ़ती उम्र को रोकने का यह नया तरीका हो सकता है. हालांकि उम्र का बढ़ना प्राकृतिक क्रिया है, फिर भी वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आयु को रिवर्स करना संभव है.
बढ़ती उम्र की समस्या को लेकर हुई यह स्टडी जर्नल गेरोसाइंस में प्रकाशित की गई है. नए अध्ययन के अनुसार, एंटी-एजिंग उपचार जिसे E5 कहा जाता है, इसे कम उम्र के सुअर के रक्त का उपयोग करके विकसित किया गया था और उम्र बढ़ने वाले चूहों के शरीर में इंजेक्ट किया गया था. शोधकर्ताओं के मुताबिक E5 में जटिल नैनोकण और सुअरों से प्राप्त यंग प्लाज्मा शामिल है, यह चूहों के जीने की उम्र को 70 प्रतिशत बढ़ा सकता है.
क्या इंसान की उम्र को पलटा जा सकता है?
वैज्ञानिकों ने दावा किया कि अगर इंसानों में भी यही परिणाम प्राप्त होते हैं, तो इसका मतलब होगा कि 80 साल के व्यक्ति की उम्र 26 साल तक उलट सकती है. स्टडी के लेखक स्टीव होर्वाथ ने एक बयान में कहा कि मैं शायद ही E5 पर विश्वास करता, लेकिन इसके प्रयोग को कई लैब्स में समर्थन दिया गया है.
शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि जब चूहे के विभिन्न ऊतकों को सुअर के रक्त उपचार के तहत रखा गया, तो यह देखा गया कि रक्त, हृदय और लिवर की जैविक उम्र उलट गई थी. अध्ययन में वैज्ञानिकों ने लिखा, “उपचार से रक्त, हृदय और लिवर ऊतक की एपिजेनेटिक आयु आधी से भी कम हो गई.” शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने चूहों में इन अंगों के कामकाज में प्रगतिशील सुधार के साथ-साथ व्यवहारिक सुधार भी देखा.
क्या अध्ययन भविष्य में किसी बड़े विकास का संकेत है?
कुल मिलाकर निष्कर्षों ने एक यंग पोर्सिन प्लाज्मा उपचार का सुझाव दिया जो चूहों में उम्र बढ़ने को उलट देता है. शोधकर्ताओं ने कहा, “हमने पाया कि प्लाज्मा नर और मादा दोनों चूहों में लगातार प्रभावी है, जिससे चूहों के कई ऊतकों की एपिजेनेटिक उम्र काफी कम हो जाती है.” नए अध्ययन से प्राप्त जानकारी इंसानों की बढ़ती उम्र को रोकने के लिए प्रभावी मानी जा रही है.
यह बीमारियों का इलाज करने के बजाय रोग की शुरुआत के जोखिम को भी भविष्य में कम करने के लिए प्रभावी माना जा रहा है, हालांकि, वैज्ञानिकों ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अध्ययन में चूहों में उम्र बढ़ने के जो मार्कर देखे गए, वे मनुष्यों की तुलना में पैटर्न और मूल्यों में काफी भिन्न हो सकते हैं. वैज्ञानिकों ने कहा, “जो चीज एक प्रजाति में हानिकारक हो सकती है, वह दूसरी प्रजाति में महत्वहीन हो सकती है.”
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