खेड़ा मुरार के विद्यार्थियों की शानदार कामयाबी, शिक्षक जितेंद्र ने बताया कैसे आती रही चुनौतियां
रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
गांव राजकीय माध्यमिक विद्यालय खेड़ा मुरार के 7 विद्यार्थियों ने नेशनल मिन्स कम मैरिट स्कालरशिप 2020 की परीक्षा में शानदार पोजीशन लेकर जिले में स्कूल का नाम पहले पायदान पर पहुंचा दिया। इस परीक्षा की तैयारी अध्यापक जितेंद्र यादव ने कराई थी। इस सफलता के बाद जितेंद यादव ने सरकारी सिस्टम को लेकर जो सवाल खड़े किए हैं वह बेहद गंभीर है। इस शिक्षक की बयानगी इसलिए मायने रखती हैं क्योंकि उसने सरकारी स्कूल के स्तर को इस परिणाम के माध्यम से ऊपर उठाने का काम किया है। शिक्षक जितेंद्र यादव ने बताया कि उनका स्कूल इस परीक्षा में जिला स्तर पर टॉप पोजीशन पर आया है। जैसा कि सभी को पता है मेरे साथ क्या चल रहा है। मेरे स्कूल मुखिया ने मुझे मात्र दो या तीन बच्चों के फार्म भरने के बारे में ही निर्देशित किया था परंतु मैंने 11 बच्चों के फार्म भरवाए। उसके पश्चात मेरी परीक्षा का दौर शुरू हो जाता है। विद्यालय मुखिया मुझे उन विद्यार्थियों को स्कूल में नहीं बुलाने देता है। चलो यह बात भी जस्टिफाइड थी। कॉविड की वजह से बच्चों का स्कूल में आना मना था परंतु किसी अच्छे उद्देश्य के लिए हम किसी नगण्य या तुच्छ बात को नजरअंदाज भी कर सकते हैं। जब पूरा गांव साथ है तो फिर किसी को क्या एतराज हो सकता है। खैर उन्होंने विद्यार्थियों को स्कूल में नहीं बुलाने दिया मुझे विद्यार्थियों के घर जाकर पढ़ाने में भी उन्होंने आपत्ति की ।नहीं जाने दिया। मैंने एक युक्ति निकाली जिसमें एक भाई ने मेरा साथ दिया उसने अपने घर का एक बड़ा हॉल बच्चों के लिए खोल दिया। उनके बड़े दिल को सलाम ।इसके पश्चात मेरे पिछले बैच में एक बच्चे का सिलेक्शन हुआ था। एन एम एम एस में उसका चाचा बेरोजगार है और पड़ोस के गांव में टयूशन पढाता है। मुझे उनकी प्रतिभा का पता था उनको बुला कर मैंने मोटिवेट किया। थोड़ी मान मनुहार के पश्चात वह बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार हो गये। थोड़ा बहुत मानदेय भी उनको हमने गांव वालों की मदद से दे दिया। उन्होंने लगभग 20 -25 दिन बच्चों की कक्षाएं ली। इस दौरान जब भी समय लगता चाहे शनिवार होता चाहे रविवार या कोई और छुट्टी में समय निकाल कर चुपचाप उन बच्चों का मार्गदर्शन करने, उनका हौसला बढ़ाने पहुंच जाता था। इस प्रक्रिया में मैंने उनके लिए अलग से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया तथा जितना अपनी क्षमता अनुसार कार्य कर सकता था वह मैंने किया । आप अच्छे से वाकिफ है कि पूरा शासन प्रशासन किस कदर मेरे पीछे पड़ा हुआ है तो ऐसे वक्त में भी आदमी अपने कष्टों को भूल कर सकारात्मक रवैया अख्तियार करके रखता है। तमाम कष्टों के नजरअंदाज के बाद भी वह रिजल्ट देता है, मैं नहीं मानता कि वह कोई बुरा कार्य कर रहा है। दूसरी बात इस दौरान मैं अपने मुख्याध्यापक से कई अन्य मुद्दों जैसे मेरी प्रथम एवं द्वितीय एसीपी मेरे दोनों बच्चों का चिल्ड्रन एजुकेशन एलाउंस फेस्टिवल एडवांस जो ₹18 हजार का होता है तथा विशेष रूप से वह मेरे इंग्लिश लेक्चरर के लिए प्रमोशन का फार्म भरकर भेजने में आनाकानी कर रहे थे। उसको लेकर तथा बहुत सारी अन्य कागजी चीजों को लेकर उन्होंने मुझे अपने साथ उलझाऐ रखा। मेरा एक पैर डीईओ ऑफिस में होता था, एक एसडीएम ऑफिस में, एक डीसी ऑफिस में और एक बावल में और दिमाग में 24 घंटे बात चलती रहती थी जाने क्या होगा । परंतु मैंने कभी भी अपने विद्यार्थियों या परिवार को यह महसूस नहीं होने दिया एवं नाही अपने किसी साथी विशेष को इस बात के लिए परेशान होने दिया कि मेरे साथ क्या घटित हो रहा है। इस दौरान दो बार तो मेरे विद्यालय में पंचायत हुई है । ऐसे हालात में भी जिस दिन परीक्षा थी, मैने इन बच्चों को घर से अलग-अलग व्हीकल से उनको अलग-अलग स्कूलों में स्वयं जाकर बैठाया। जब इनकी छुट्टी हुई उससे पहले तीनों स्कूलों से गाड़ी से इन बच्चों को पिकअप करवाया, और शाम जब तक अपने घर नहीं पहुंच गए तब तक मेरा फोन लगातार इनके अभिभावकों के प्रश्नों के जवाब दे रहा था। इस दौरान मैं साइकिल पर सवार था। खैर जिस प्रकार का जवाब मैं उनको देना चाह रहा था इस रिजल्ट के माध्यम से उनको मिल चुका है । जिन बच्चों ने यह परीक्षा उत्तीर्ण की है। उसमें माइकल पुत्र प्रकाश पहलवान, निशा पुत्री सतपाल ,प्रदीप पुत्र सतपाल, मनीष पुत्र पवन, गौरी शंकर पुत्र सतबीर,साक्षी पुत्री विनोद कुमार एवं पूजा पुत्री विनोद कुमार शामिल है।