सुबह एक गिलास दूध, गूंद के लड्‌डू खाकर दिनभर ताश खेलते हैं 101 साल के मुरलीराम

100 साल के होने पर पूरे गांव को दी थी दावत


रणघोष अपडेट. बहाला की कलम से


रेवाड़ी जिला के गांव बहाला में कभी आना हो तो सबसे युवा 101 साल के मुरलीराम से जरूर मिलने जाना। वे दिन भर साथियों के साथ ताश की महफिल लगाते हैं। हंसते मुस्कराते नजर आ जाएंगे। पिछली 15 अगस्त को परिवार के लोगों ने मिलकर 100 साल का होने पर पूरे गांव को शानदार दावत दी थी।

WhatsApp Image 2021-01-09 at 17.59.48मुरलीधर के स्वस्थ्य रहने की दो प्रमुख वजह है। पहली कोई गलत बात सहन नहीं होती दूसरा  खुद को किसी भी विवाद या झगड़े से दूर रखते हें। अगर कोई उनके साथ चालाकी करता है तो उससे दूरियां बना लेते हैं। परिवार के सदस्यों की बात तभी मानते हैं जब उसमें पूर्णतया सच्चाई और ईमानदारी हो। फौज से रिटायर मुरलीधर 16 साल की उम्र में सेना में भर्ती हो गए थे। 1962 में चीनी सेना से युद्ध लड़ने के बाद वे 1964 में रिटायर होकर खेती बाड़ी में जुट गए थे।  पत्नी रामकौर उनसे 15 साल छोटी है। इस दंपति के सात संतानें हैँ जिसमें चार बेटे तीन बेटियां है। वर्तमान में परिवार में कुल 22 सदस्य है। उनके मंझले बेटे रमेश कुमार जो खुद फौज से रिटायर होकर घर आ चुके हैं बताते हैँ कि पिताजी वसूलों पर चलते हैं। आज भी मां रसोई के काम में हाथ बंटाती है। गूंद के लड्‌डू का स्वाद भी उनके हाथों से आता है। दोनों का शरीर निरोगी काया है। घर में जो बनता है वहीं खाते हैं। उनके लिए स्पेशल चूल्हे की रोटियां बनती है। वे सुबह जल्दी उठकर दूध एवं गूंद का लड्‌डू खाकर गांव में निकल जाते हैं वहां उनकी मंडली पहले से तैयार रहती है। दोपहर में खाना के लिए आते हैं फिर चले जाते हैं। दूध व दही जरूर उनके भोजन में शामिल रहता है।   वे अपनी जिंदगी को अपने अंदाज में जीते हैं। सबसे मेलजोल रखना उन्हें बहुत अच्छा लगता है।

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