हरियाणा: राकेश टिकैत ने खाप पंचायतों में बढ़ाई पैंठ, किसान आंदोलन को बनाया ‘रास्ता’

किसान आंदोलन के रास्ते भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैट हरियाणा की खाप पंचायतों में पैंठ बढ़ा रहे हैं। जींद के कंडेला,रोहतक के बाद भिवानी की किसान महापंचायत में हरियाणा की 150 से अधिक खाप पंचायतें टिकैत के समर्थन में आगे आई हैं। 26 जनवरी से पहले तक पंजाब व हरियाणा के किसानों के हाथों संयुक्त किसान मौर्चे के मंच से चल रहा आंदोलन अब पूरी तरह से टिकैत के हाथों में आटिका है। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में बवाल व लाल किला पर धार्मिक झंडा फहराने से कमजोर पड़े आंदोलन को बीच में छोड़ कुछ किसान निराश होकर जहां घर लौट रहे थे ऐसे में टिकैत का इमोशनल कार्ड काम आया और दो ही दिन में तेजी से पलटा आंदोलन सिंघु और टिकैत बॉर्डर के रास्ते गाजीपुर बॉर्डर पर केंद्रित हो गया। आंदोलन ही नहीं बल्कि विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं ने भी संसद सत्र के बाद टिकैत के साथ खड़े होने का दावा पुख्ता करने को गाजीपुर का रुख किया। तीन किसान महापंचायतों के हरियाणा की खाप पंचायतों के बीच पैंठ बनाने वाले टिकैत यूपी के साथ लगते हरियाणा के अन्य शहरों में भी ऐसी किसान महापंचायतों के जरिए खाप पंचायतों में अपनी पैंठ और मजबूत करेंगे। हरियाणा के जाट लैंड जींद, रोहतक, सोनीपत, भिवानी, हिसार, चरखी दादरी की 500 से अधिक खाप पंचायतों में टिकैत ने किसान आंदोलन के जरिए अपनी खासी पैंठ बना ली है। अभी तक किसान आंदोलन भारतीय किसान यूनियन के अलग-अलग धड़ों के हाथ था, जिसमें सिख चेहरा होने के नाते भाकियू के गुरनाम सिंह चढूनी का प्रभाव कुरुक्षेत्र, कैथल और करनाल जिलों तक ही सीमित हैं। कोई बड़ा जाट चेहरा अभी तक कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की अगुवाई के लिए आगे नहीं आया था इसका लाभ टिकैत को मिला और मौका संभालते हुए टिकैत ने मौर्चा भी संभाल लिया। सियासी मंच पर जाट नेता के रुप में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और इनेलाे के प्रधान महासचिव अभय चौटाला को आंदोलनरत किसानों का समर्थन है जबकि जजपा नेता उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और उनकी पार्टी के तमाम जाट नेताओं का खाप पंचायतों द्वारा बहिष्कार किया जा रहा है। जाट चेहरा होने के बावजूद भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ राज्य की जाट सियासत में वह स्थान नहीं बना पाए जिसकी उम्मीद भाजपा को थी। टिकैत से जुड़े किसान आंदोलन को लगातार चलाने के लिए किसानों ने पूरा बैकअप प्लान तैयार किया है। अधिकतर गांवों में पंचायत में फैसला लिया कि हर परिवार को आंदोलन से जोड़ा जाएगा। इसके तहत एक-एक सप्ताह तक लोग दिल्ली बॉर्डर पर रहेंगे। जब गांव से दूसरा जत्था पहुंचेगा, इसके बाद ही पहला जत्था वापस आएगा। कृषि कानून वापस न लिए जाने की सूरत में टिकेत ने भी अक्टूबर तक आंदोलन जारी रहने के संकेत दिए हैं। खाप पंचायतों से टिकैत के परिवार का गहरा नाता रहा है। राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ मुजफ्फरनगर, शामली इलाके की बड़ी खाप पंचायत बलियान के अध्यक्ष भी हैं। इस खाप पंचायत का वहां के 80 से अधिक गांवों में व्यापक प्रभाव है। 26 नवम्बर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर जब किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी तो सुयंक्त किसान मौर्चे के आगे राकेश टिकैत की भूमिका बहुत सीमित बताई जा रही थी। कई किसान नेता तो टिकैत को बिकाऊ तक कह रहे थे और बाते आ रही थी कि टिकैत की मौजूदगी से आंंदोलन को नुकसान हो सकता है,आज वही आंदोलन टिकैत के हाथों में टिका है।

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