टारगेट पर रहेंगे मलाईदार सीटों पर बैठे बाबू , वेतन हजारों में संपत्ति करोड़ों पार
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
हरियाणा सरकार भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचने के लिए अब हरियाणा सिविल सेवा (कर्मचारी आचरण) नियम 2016 के तहत बड़ी कार्रवाई करने की योजना बना रही है। इसमें सभी विभागों के कर्मचारियों की संपत्ति से जुड़े रिकार्ड को अलग अलग मापदंडों के आधार पर जांचा जाएगा। विशेषतौर से उन बाबूओं पर नजर रहेगी जो लंबे समय से एक सीट पर बैठे हुए हैं। सेवा शुल्क नहीं मिलने पर फाइलों को जानबूझकर दबाकर रखते हैं। सीएम विंडों एवं अन्य शिकायतों में सबसे ज्यादा बाबूओं की कारगुजारियां उजागर हो रही है। इसलिए इसके लिए गुप्तचर एंजेसियों से कहा गया है कि वह ऐसे बाबूओं की पहचान कर रिपोर्ट भेजे।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा सिविल सेवा (कर्मचारी आचरण) नियम 2016 के तहत जहां सरकारी कर्मचारी या तो अपने नाम से या उसके परिवार के किसी सदस्य के नाम से चल संपति के संबंध में संव्यवहार करता है तो वहां वह ऐसे संव्यवहार की तिथि से एक माह के भीतर उसकी सूचना विहित प्राधिकारी को देगा। यदि ऐसी संपत्ति का मूल्य सरकारी कर्मचारी के दो माह के मूल वेतन से अधिक है। दूसरा सरकारी या विहित प्राधिकारी किसी भी समय साधारण या विशेष आदेश द्वारा सरकारी कर्मचारी से आदेश विनिर्दिष्ट की गई अवधि के भीतर ऐसी चल या अचल संपति का सभी प्रकार से किसी ऐसे सदस्य द्वारा जो आदेश में विनिर्दिष्ट किया जाए धारित या अर्जित की गई हो। ऐसे विवरण में यदि सरकार या विहित प्राधिकारी द्वारा ऐसा अपेक्षित हो। ऐसे साधनों या उस स्त्रोत का ब्यौरा शामिल होगा जिनके द्वारा जिससे ऐसी संपत्ति अर्जित की गई है। इन दोनों ही स्थितियों के आधार पर रिपोर्ट तैयार होगी। अभी तक जो रिपोर्ट सामने आ रही है। भ्रष्टाचार को बढ़ाने में बाबुओं की बड़ी भूमिका रहती है। वे आमजन की फाइलों को बजाय सीधे निपटाने के दलालों के माध्यम से तत्परता से निपटाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि दलालों के हाथों में फाइल आते ही वह सभी खामियां भी खत्म हो जाती है जो सीधे फाइल लाने वालों के सामने रख दी जाती है। हालांकि यह पहली बार ऐसा नहीं हो रहा है। कई सालों से चलती आ रही इस परपंरा को अब कमीशनखोरी के तौर पर मान्यता मिल चुकी है। ऐसा भी नहीं है कि अकेला बाबू अपने दम पर बाबू फाइलों पर कुंडली मार ले। ऊपर से नीचे तक ओर नीचे से ऊपर तक एक मजबूत सिस्टम के तहत ऐसा सबकुछ होता है। जो अधिकारी ईमानदारी से इस सिस्टम को तोड़ने का प्रयास करता है या तो वह खुद टूट जाता है या फिर इसी सिस्टम में मर्ज हो जाता है। तीसरी स्थिति में उसका तबादला हो जाता है। ऐसा भी नहीं है कि सभी विभागों में ऐसा होता है। जिला सचिवालय से लेकर खंड स्तर के कार्यालयों में विशेषतौर से तहसील, राजस्व, नगर निकाय, हुडा, डीटीपी, पीडब्ल्यूडी, पंचायती राज विभाग, आरटीए, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग विशेष तौर से शामिल है। बड़े अधिकारियों के अधीनस्थ काम करने वाले कर्मचारी भी प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए अपना खेल करते हैं।
हर जिले में 10 से 20 बाबूओं के पास करोड़ों- अरबों की संपत्ति
कहने को नेता एवं अधिकारी जिम्मेदारी एवं जवाबदेही के नाम पर भ्रष्टाचार में ज्यादा बदनाम होते हैं जबकि बाबू सबसे बड़े खिलाड़ी होते हैं। इसलिए निष्पक्ष जांच की जाए तो हर जिले में 10 से 20 बाबू ऐसे मिल जाएंगे जो करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति के मालिक है। कार्यालयों में इनका रहन सहन एकदम साधारण मिलेगा लेकिन असल जीवन के ठाट बाट में सबको पीछे छोड़ देते हैं। ऐसा भी नहीं है कि इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। निष्पक्ष एवं ईमानदारी से जांच की जाए तो बहुत बड़ा खुलासा हो सकता है।
इसी वजह से सरकार- सिस्टम पर कमजोर हो रहा विश्वास
भ्रष्टाचार को रोकना अब सरकार के बस की बात भी नहीं है। ऑन लाइन सिस्टम से इसे रोकने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन इसमें उतनी कामयाबी नहीं मिल पाई है जितनी उम्मीद की गई थी। लिहाजा अधिकांश जन कल्याणकारी योजनाएं कागजों में ही दम तोड़ देती हैं। कार्रवाई के नाम पर वहीं घिसे पीटे शब्द दोहराए जाते हैं। जांच दल गठित कर दिया है, सख्त कार्यवाही की जाएगी। नतीजा वही का वही कुछ दिन बाद सिर्फ खानापूर्ति करके मामले को रफादफा कर दिया जाता है।
इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है
1- क्या शहर की कोई सड़क, चौराहा ऐसा है जो अतिक्रमण से अछूता हो ?
2- खाद्य पदार्थो की जांच दल निकलता है तो दुकाने बन्द हो जाती है कारण क्या है ??
3- कोई सरकारी विभाग जिसमें कोई आमजन अपने कार्य आसानी से करवा सकता है ?
4- सड़कों का हाल ( शहर की कोई सड़क ऐसी हो जिसमें गड्ढे न हो, कारण ? बनाने में उच्च गुणवत्ता का सामान लगता है क्या ?
5- अवैध प्लाटिंग शहर के बाहरी किसी तरफ भी नजर दौड़ाए हर जगह अवैध प्लाटिंग का धंधा नजर आएगा
6- न्यायालय ओर सरकारी आदेश की हों रही है क्या पालना?
7- आये दिन अवैध हथियार मिलना,? अवैध हथियार बनाने वालों पर कोई कार्यवाही होती है क्या ?
8- बेलगाम, बिना दस्तवेजो के वाहन, वाहन जांच सिर्फ खानापूरी ?
9-शराब की अवैध बिक्री जिम्मेदार कौन है
10- कैटल फ्री शहर – कैटल फ्री शहर में प्रत्येक सड़क, चौराहों पर नजर दौड़ाए तो पशु ही पशु दिखाई देंगे जिम्मेदार कौन ?