हिंदू या मुसलमान से नहीं, इंसान से वोट मांगने आया :राज बब्बर

यहां जमीन पर रहने वाले हिंदू या मुसलमान नहीं मेवाती ही कहलाएंगे


रणघोष अपडेट. गुरुग्राम


इंडिया एलाइंस की प्रमुख पॉलीटिकल पार्टी कांग्रेस के गुड़गांव से उम्मीदवार राज बब्बर मंगलवार को पहली बार मुस्लिम बहुल मेवात पहुंचे । राज बब्बर का संबोधन अधिकांश उर्दू अल्फाज के बीच ही रहा । राज बब्बर ने इस बात का एहसास ही नहीं होने दिया कि वह पहली बार या मेवात की जनता पहली बार एक दूसरे से रूबरू हो रहे हैं। राज बब्बर ने मेवात की आवाम से आह्वान करते हुए कहा कि मैं यहां पर हिंदू या फिर मुसलमान से नहीं, बल्कि इंसान से वोट मांगने आया हूं । मेरा पैगाम मोहब्बत है। जीत और हार, मेरे हाथ में नहीं, मैं केवल और केवल मेहनत कर सकता हूं। मैं नेकी से चलने का इरादा लेकर यकीन दिला सकता हूं । जीत और हार का फैसला तो आपके हाथ की उंगली को ही करना है। अपनी अपनी उंगली को मजबूत करके रखना। जहां बटन दबाना है, वही दबाना है , वहीं दबाना है और वही दबाना है। राज बब्बर ने घासेड़ा गांव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा पूर्वक नमन किया। इस मौके पर मौजूद समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने गांधी के साथ-साथ राज बब्बर के समर्थन में नारेबाजी की। यहां जनसभा में पहुंचे लोगों से उन्होंने कांग्रेस का चुनाव चिन्ह का हवाला देते हुए कहा पंजा बहुत मुबारक होता है , मुक़द्दस होता है । हर जगह यह पंजा मुक़द्दस है, मुबारक है । इस पंजे का सभी को ध्यान रखना है । कोई भी मजहब धर्म हो पंजा हमेशा  सिर पर ही रहता है । उन्होंने कहा मैं आपके बीच  में  इल्तजा करने आया हूं । मैं यह  जुर्रत नहीं कर सकता, यह मेरा मानना है गुरूर और घमंड जमीन पर रहने वाले बासींदों को शोभा नहीं देता है। इज्जत और जन्नत देना तो उसे परवरदिगार का काम है । कब वह छीन ले और कब वह दे दे ?  मेवात की धरती और जमीन विरासत की जमीन है। आज से नहीं 500 साल पहले यह साबित भी हो चुका है। हिंदुस्तान के लोगों के दिलों  में बसने वाले शहिद हसन  खां मेवाती की यह शहादत वाली जमीन है । कोई भी यह नहीं कह सकत की यह जमीन मुसलमान की है, यह जमीन हिंदुओं की है। यहां पर रहने वाला हिंदू भी और मुस्लिम भी पहले मेवाती ही कहलाएंगे।