9 सेकंड में ‘धूल’ में मिल गए नोएडा के ट्विन टावर

रणघोष अपडेट. देशभर से 

नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर धूल में मिल गए। रविवार दोपहर ठीक 2.30 बजे इसे ध्वस्त कर दिया गया। क़रीब नौ साल में बनाए गए इन दोनों टावरों को मिट्टी में मिलने में कुछ सेकंड भर लगे। इन दोनों गगनचुंबी इमारतों के ध्वस्त होने के बाद धूल का बड़ा गुबार फूटा। कुछ घंटे तक इसके रहने के आसार हैं। एक अधिकारी के अनुसार प्रथम दृष्टया आसपास कुछ भी नुक़सान नहीं हुआ है। थोड़ी देर बाद धीरे-धीरे यातायात बहाल किया जाएगा।इसको ध्वस्त किए जाने को लेकर इसलिए चिंताएँ थीं क्योंकि इन टावरों के आसपास कई कॉम्पलेक्स हैं, 60 फीट वाली मुख्य सड़क है, पार्क है और पेड़ पौधे भी हैं। इन टावरों के सबसे क़रीब सिर्फ़ 9 मीटर की दूरी पर ही दूसरा कॉम्पलेक्स है। इतनी भीड़भाड़ वाली जगह पर इन गगनचुंबी टावरों को ध्वस्त करना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं था। इन्हीं सब चिंताओं के मद्देनज़र सुरक्षा को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारी की गई।ट्विन टावर के पास एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी के लगभग 5,000 लोगों को विध्वंस से पहले निकाला गया। लोगों को सेक्टर 93 में पार्श्वनाथ प्रेस्टीज आवासीय परिसर में अस्थायी आश्रय दिया गया। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे दोपहर 2.15 से 2.45 बजे के बीच दोनों टावरों के विध्वंस के लिए बंद करने का आदेश दिया गया। शहर में ड्रोन के लिए नो फ्लाई ज़ोन रहा। नोएडा से 100 से अधिक दमकलकर्मी और मेरठ व गाजियाबाद से अन्य टीमों को बुलाया गया।नोएडा प्राधिकरण के अनुसार, विस्फोट वाले क्षेत्र के ऊपर एक समुद्री मील के दायरे में विध्वंस के समय उड़ानों की अनुमति नहीं दी गई।

टावरों को गिराए जाने से पहले पानी के टैंकर, एंटी स्मॉग गन और बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया।किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के लिए सुपरटेक ट्विन टावर्स के बगल में एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने रविवार को बताया कि जिस इलाके में सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराया गया था, उसके आसपास धूल बैठ गई है। अधिकारी ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया…पड़ोस में किसी अन्य इमारत को कोई नुकसान नहीं हुआ है।’ बता दें कि 32 मंजिला और 29 मंजिला के दोनों टावरों को गिराने के लिए 3700 किलो विस्फोटक लगाए गए हैं। इन विस्फोटकों को टावरों में 2600 से ज़्यादा छेद करके भरा गया है। क़रीब 9 सेकंड में टावर ध्वस्त हो जाएँगे। इन टावरों का क़रीब 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा होगा जिसे साफ होने में कम से कम तीन महीने लगेंगे।

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