मानव रहित गगनयान मिशन को इसी साल दिसंबर में लॉन्च किया जाएगा। भारत के चार अंतरिक्ष यात्रियों को इस साल दिसंबर 2021 में गगनयान कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष में जाना है। इसके लिए इन सभी अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस में एक साल का अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। रूस में अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष की परस्थितियों के अनुसार ढलने की ट्रेनिंग दी गई है। पहले गगनयान मिशन के लिए चुने गए भारतीय वायु सेना के पायलटों की सामान्य अंतरिक्ष ट्रेनिंग- बर्फ और पानी में जीवित रहने का प्रशिक्षण, पैराबोलिक उड़ानें और ऑर्बिटल मेकेनिक्स पर सैद्धांतिक कक्षाएं पूरी हो चुकी हैं।
ये ट्रेनिंग 10 फरवरी 2020 से शुरू हुई थी लेकिन कोरोना के चलते बीच में रूक गई थी। ये सभी यात्री अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के डिजाइन किए गए ट्रेनिंग मॉड्यूल से ट्रेनिंग लेंगे।
रूस में इनकी ट्रेनिंग के बाद भारत में ट्रेनिंग के तीन मुख्य भाग होंगे। ऑवरऑल प्रोजेक्ट पर एक मॉड्यूल, चालक दल के सदस्यों के लिए एक मॉड्यूल और फ्लाइट हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर एक मॉड्यूल। इसरो के ह्यूमन स्पेसलाइट सेंटर के डायरेक्टर डॉ उन्नीकृष्णन नायर पहले ही बता चुके हैं कि चार अंतरिक्ष यात्री, जिन्हें भारतीय वायु सेना के पायलटों के एक पूल से चुना गया था, वर्तमान में रूस में जीसीटीसी (यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर) में बेसिक ट्रेनिंग ले रहे हैं।” फिलहाल रूस में ट्रेनिंग खत्म हो चुकी है और अब अंतरिक्ष यात्री भारत में स्पेसिफिक ट्रेनिंग लेंगे जिसके लिए सिमुलेटर को डिफाइन किया गया है।
बता दें कि इससे पहले इस मिशन को दिसंबर 2020 में शुरू किया जाना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। देश के पहले मानव मिशन गगनयान प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 9023 करोड़ रुपए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में 15 अगस्त के भाषण में देश के पहले मानव मिशन को लॉन्च करने की घोषणा की थी।