इस बार रोहतक में कोसली का मिजाज बदला हुआ है जनाब

कोसली में बुरी तरह फंसे पंडित जी , ऐसे समर्थकों में घिरे जिसका पता नही असली कौन


रणघोष खास. सुभाष चौधरी कोसली से

गुरुवार की देर रात कांग्रेस ने हरियाणा में लोकसभा प्रत्याशियों का ऐलान करके भाजपा की नींद उड़ाना शुरू कर दिया है। रोहतक से दीपेंद्र हुडडा अपनी राज्यसभा सीट को दाव पर लगाते हुए लोकसभा में उतर गए हैं। दीपेंद्र का यह आत्मविश्वास बताता है की हवा अपना मिजाज बदल रही है। उधर दूसरी बार भाजपा की टिकट पर उतरे डॉ. अरविंद शर्मा जीत मजबूत करती आ रही कोसली की राजनीति में उलझते नहीं फंसते जा रहे हैं। उनका इस हलके में आना और सभी को एकजुट करके रखना महाभारत को रोकने जैसा है। दरअसल पंडित जी के आस पास जो समर्थक व पार्टी कार्यकर्ताओं की भीड़ दिखाई देती हैं उसमें आधे से ज्यादा तो मिलावटी व गिरगिट की शक्ल में  है जो भाजपा हाईकमान व पंडित के आने से पहले विशेषतौर से चार तरह के चरित्र में नजर आते हैं।

पहला चरित्र जिसकी राजनीति दिलचस्पी भाजपा की विचारधारा से शुरू होकर उसी पर कायम है। ऐसे कार्यकर्ता पंडित जी के आस पास भीड़ का घेरा बनाकर नजर नहीं आएंगे। वे अनुशासित सिपाही की तरह बिना शोर मचाए अपनी मौजूदगी बताकर व दिखाकर चले जाएंगे। उनका मकसद भाजपा के के साथ हमेशा खड़े रहना है। वे दिमाग से नहीं दिल से जुड़े हैं। ऐसे  में वे हाजिरी लगाने व खास बनने की होड़ से दूर रहते हैं। अपने इन कार्यकर्ताओं को वहीं नेता समझ पाता है जो जमीनी स्तर पर अपनी सोच के साथ राजनीति करता है। दूसरे चरित्र वाले समर्थक व कार्यकर्ताओं में वे आते हैं जिसकी जमीनी हैसियत जीरो है लेकिन अपनी चाटुकारिता से भरा चेहरा दिखाकर  कार्यक्रम के मंच पर हल्ला बोल व लोकल मीडिया में आसानी से छपने वाली खबरों में सुर्खियां बटोर अपना मकसद पूरा कर जाते हैं। सत्ता का सबसे ज्यादा फायदा उठाने की महारत भी इनके पास होती है। ये भाजपा का सबसे समर्पित कार्यकर्ता होने का पांखड कर उन लोगों का इस्तेमाल कर जाते हैं जिसके दिमाग में चालाकी नहीं होती। कोसली में तीसरे व चौथे चरित्र वाले भाजपा समर्थक क्षेत्रीय राजनीति के मिजाज से जुड़े हुए हैं जो चुनाव के समय इधर उधर होते रहे हैँ। मसलन भाजपा छोड़कर हुडडा खेमें से एंट्री करने वाले पूर्व मंत्री जगदीश यादव की इस सीट पर अपनी जमीनी ताकत है। पिछले चुनाव में भाजपा से  टिकट मिलने की उम्मीद में उन्होंने कोसली से दीपेंद्र को ही सांसदी में हरवाने का काम किया। अब यही नेता 2024 के चुनाव में टिकट मिलने के भरोसे दीपेंद्र हुडडा के साथ नजर आ रहे हैं। जाहिर है इससे भाजपा को नुकसान होगा।  इसी तरह राव यादुवेंद्र सिंह हुडडा खेमें में रहकर दो बार जीतकर दो  दफा हार चुके हैं लेकिन इस परिवार का साथ नहीं छोड़ा। यादुवेंद्र को राजनीति ताकत अपने परिवार की विरासत से मिलती रही है।

 यहां हुडडा की दिमागी  कसरत काम कर रही है

यह चुनाव इस बार पूरी तरह से  हुडडा परिवार की दिमागी कसरत पर चल रहा है। दीपेंद्र जानते हैं कि कोसली का वोट बैंक ही उसकी हार- जीत की वजह तय करता रहा है। पिछले दो चुनाव में यहां की जनता ने उन्हें पूरी तरह हराकर भेजा था। 2014 में किसी तरह दूसरे हलकों की बदौलत जीत गए थे । 2019 में भाजपा से डॉ. अरविंद शर्मा का कोसली ने तबीयत से साथ दिया। रही सही कसर  भाग्य ने पूरी कर दी ओर दीपेंद्र को हारना पड़ा। कमाल की बात यह रही की डॉ. अरविंद शर्मा इस सीट से लड़ना ही नही चाहते थे। चुनाव मतदान के ऐन वक्त पर उन्हें टिकट दी गईं थी। इन दोनों चुनाव से सबक लेकर दीपेंद्र समय रहते इस इलाके में  लोकसभा चुनाव तक वे किसी को नाराज नहीं करना चाहेंगे। सभी टिकट के दावेदारों की जेब में उनके भरोसेमंद वाली टिकट पहले ही डाल दी गई है। जब विधानसभा चुनाव आएंगे उस समय लक्की ड्रा की तरह घोषणा हो जाएगी। तब तक हुडडा का मकसद पूरा हो जाएगा। यही राजनीति का गणित भी है।

  कोसली में आधे से ज्यादा दावेदार हवा हवाई

 यहां बताना जरूरी है कि इस सीट पर भाजपा और  कांग्रेस की तरफ से टिकट के दावेदारों में आधे से ज्यादा तो हवा हवाई है। उधर भाजपा में टिकट के दावेदारों में आधे से ज्यादा का अपना जमीनी वजूद नही है लेकिन वे जानते है की शोर मचाएगे दिखाएगे तो कुछ ना कुछ ले रहेंगे। इसलिए धन बल की बदौलत से माहौल बनाकर अपने छिपे एजेंडे को पूरा करने के इरादे से मेले में दुकान की तरह कार्यालय खोलते हैँ। सामाजिक कार्यक्रमों में पर्ची कटवाकर मुख्य अतिथि बन सुर्खियां बटोरते हैं। इन दावेदारों को पता है कि टिकट उन्हें नहीं मिलने वाली है। वे चुनाव में नाराज या बागी नहीं होने का अपने नेता से अंदरखाने सौदा करते हैं। जैसे ही सत्ता आती है कोई ना कोई पद या बड़ा काम लेकर अपने एजेंडे को पूरा कर जाते हैं। इन सभी वजहों से कोसली में पिछले दिनों  जितने में भाजपाईयों के कार्यक्रम हुए हैं उसमें तमाशा ज्यादा नजर आया। जो हाल एक समय में कांग्रेस के अंदर बाहर था वह अब भाजपा में साफ दिख रहा है। जिसे काबू में करने के लिए भाजपा के दिग्गज नेताओं को विशेष मकसद से कोसली भेजा जा रहा है।