रणघोष खास: शहर के सबसे पुराना सबसे बड़ा राव तुलाराम पार्क की हकीकत सबकुछ बता देगी

एक बार घूमकर आइए सौंदर्यीकरण का असली चेहरा सामने आ जाएगा

रणघोष खास > रेवाड़ी

शहर का सबसे पुराना और सबसे बड़ा राव तुलाराम पार्क यह बताने के लिए काफी है कि सौंदर्यीकरण, स्वच्छता और नगर परिषद के काम करने के तौर तरीकों में जमीनी तौर पर कितनी सच्चाई है। इस पार्क में बस एक बार टहल कर आ जाइए समझ जाएंगे किस तरह लगाए गए पौधे बिना पानी के खत्म हो रहे हैं। आवारा पशुओं का यह जमावड़ा बनता जा रहा है। जिस शौचालय के लिए 10 लाख रुपए से खर्च किए गए उस पर ताला लटका हुआ है। पीने के पानी की टंकी छह सालों से बंद पड़ी है। कोई भी दुपहिया वाहन लेकर इधर उधर घूम सकता है। इतना सबकुछ होने के बाद भी इस पार्क के रख रखाव के नाम पर 20 लाख रुपए से ज्यादा नगर परिषद द्वारा खर्च किए जा रहे हैं। यह राशि कहां से चलकर कहां खत्म हो रही है। यह बताने की जरूरत नहीं है। इसकी असल सच्चाई या तो ठेकेदार जानता है या उसे पीछे के दरवाजे से ठेका देने वाले अधिकारी या कर्मचारी। यहां बता दें कि यह पार्क जिस महान पुरुष के नाम पर रखा गया है केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह उनके वंशज है। इसके बावजूद नप इस पार्क की बदहाली को लेकर कभी भी गंभीर नजर नहीं आईं।

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ऐसा नहीं है कि इस बारे में अधिकारियों को पता नहीं है। यह पार्क शहर की नाईवाली पर स्थित है जहां सुबह शाम सैकड़ों लोग टहलने के लिए आते हैं। इसके आस पास कोई पार्क नहीं है। यहां के लोगो का कहना है कि जब शहर के इतने बड़े पार्क की यह हालत है तो समझ में नहीं आता कि जिले को सौंदर्यीकरण एवं साफ सफाई में अवार्ड कैसे मिल जाता है। हालांकि डीसी यशेंद्र सिंह ने अपने स्तर पर नप अधिकारियों की जमकर क्लास भी ली है लेकिन इसके बावजूद कोई असर नजर नहीं आया है। पार्क में आवारा पशुओं के अलावा दुधारू पशुओं के मालिक भी अपने पशुओं को पार्क में छोड़कर चले जाते हैं। गेट हमेशा खुला रहता है। कोई भी मनचले बाइक के साथ अंदर प्रवेश कर मस्ती करते नजर आते हैं। पार्क की रेलवे वाली साइड का हिस्सा भी तोड़कर वहां से अब कूड़ा कचरा डाला जा रहा है। छह साल से अधिक समय से पानी की टंकी बंद पड़ी है। नप ने पार्क में 10 लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च कर शौचालय बनवाए थे। उस पर ताले लटके हुए हैं। पेड- पौधे पानी के अभाव में सूख रहे हैं। यहां आने वाले लोग ही पॉलीथीन में पानी लाकर उसे बचाने का प्रयास कर रहे हैं। नप के सूत्रों के अनुसार शहर में पार्कों की रख रखाव के लिए हर साल 50 लाख से ज्यादा का ठेका छोड़ा हुआ है। राव तुलाराम पार्क के लिए यह बजट करीब 20 लाख रुपए सालाना निर्धारित किया हुआ है। ऐसे में पार्क की तस्वीर देखकर आसानी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि रखरखाव के नाम पर यह राशि कहां से चलकर कहां खर्च हो रही है। इतना सबकुछ उजागर होने के बाद भी अगर अधिकारी कोई एक्शन नहीं लेते हैं तो समझ जाइए पूरे सिस्टम में पूरी दाल ही काली है।

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