अहीरवाल राजनीति की बड़ी खबर : पिता- पुत्र में झगड़े के बाद बदल रही रामपुरा हाउस की कहानी

पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के मंझले बेटे एवं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के छोटे भाई  राव अजीत सिंह की तरफ से अपने  राजनीतिक उत्तराधिकारी अर्जुन राव के खिलाफ दर्ज कराए गए मामले के बाद रामपुरा हाउस की कहानी का नया अध्याय शुरू हो गया है। अहीरवाल में रामपुरा हाउस की यह पारिवारिक घटना मामूली नहीं है। इसलिए इसका असर आने वाले समय में दूर तक नजर आएगा। यहां बता दें कि अर्जुन राव ने 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर अटेली से चुनाव लड़ा था और वे हार गए थे। अर्जुन राव पिछले तीन- चार सालों से सक्रिय राजनीति कर रहे थे। जिसे मजबूत करने और आगे बढ़ाने में उनके पिता राव अजीत सिंह अह्म किरदार में थे। परिवारिक राजनीति के तोर पर राव अजीत सिंह का अपने बड़े भाई राव इंद्रजीत सिंह से भी सीधा टकराव रहा है। शारीरिक तौर पर स्वस्थ्य नहीं रहने की वजह से अर्जुन राव ने पूरी तरह अपने पिता की  विरासत को संभाल लिया था। राव अजीत सिंह काफी समय से रामपुरा हाउस में रह रहे थे। उनकी पत्नी कविता सिंह  रामपुरा गांव की सरपंच है। इस पारिवारिक झगड़े के बाद इसका असर अर्जुन राव की राजनीति पर पूरी तरह पड़ेगा इसमें कोई शक नहीं। इसकी वजह राव अजीत सिंह की अपनी राजनीतिक शैली रही है। बेशक वे अपने जीवन में कोई चुनाव नहीं जीत पाए लेकिन किसी को हराने एवं जीताने में वे अह्म भूमिका में रहे हें। अटेली- बावल विधानसभा क्षेत्र में उनका अच्छा खासा दबदबा रहा है। कुछ विधायक उनके आशीर्वाद से भी बने हैं। जहां तक अर्जुन राव का सवाल है उनके पास अपने दादा पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह की राजनीति का विराट वृक्ष के अलावा पिता की राजनीति विरासत का मजबूत आधार था। जिसके बूते वे खुद को आगे बढ़ा रहे थे। अब इस घटना के बाद राजनीति तोर पर अर्जुन राव को आने  वाले समय में काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है। अर्जुन राव के अपने ताऊ केंद्रीय राव इंद्रजीत सिंह से भी बेहतर संबंध नहीं रहे। वे मौका लगते ही उनके खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं। 

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