क्या हो सकती है एक और लॉकडाउन लगाने की कीमत? जानें कितना होगा अर्थव्यवस्था को नुकसान

कोरोना वायरस महामारी को फैले एक साल पूरा हो गया है। साल 2019 में शुरू हुई ये महामारी पूरी दुनिया पर कहर बरपा रही है। कोरोना संक्रमण के मामलों में भारत का स्थान दूसरे नंबर पर है। देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर आ गई है और बाकी के राज्यों के हाल भी खराब हो रहे हैं। संक्रमण की संख्या में इजाफा होने के साथ ही स्वास्थ व्यवस्था एक बार फिर से दबाव में आ गई है। इसके साथ ही बहुत सी जगहों के साथ ही देश भर में फिर से लॉकडाउन लगने के कयास लगाए जा रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से नहीं निकलेंगे तो हो सकता है कि संक्रमण की संख्या भी कम हो जाए। अहमदाबाद और कुछ अन्य शहरों में रात में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

दिवाली, छठ, करवाचौथ जैसे त्योहारों के समय खचाखच भीड़ से भरे बाजारों की तस्वीरों में साफ दिखा कि सामाजिक दूरी, देह से दूरी से संबंधित कोरोना से बचने के किसी भी नियम का पालन नहीं हुआ। संक्रमण के मामलों के बढ़ने में इस लापरवाही का बड़ा हाथ है। अभी भी यदि पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया जाए तो उसके प्रभाव का अध्यन जरूरी है। वैसे भी बहुत से सेक्टर अभी पहले लॉकडाउन के नकारात्मक प्रभाव से बाहर नहीं आ पाए हैं। ऐसे में एक अन्य लॉकडाउन कितना कारगर होगा यह एक बड़ा प्रश्न है।

खरीददारी अभी भी पहले जितने स्तर पर नहीं पहुंची   

ग्राहकों से खचाखच भरी बाजारों की तस्वीरों से यह सिद्ध होता है कि ग्राहकों और दुकानदारों ने कोरोना संबंधी नियमों को पूरी तरह से ताक पर रख दिया है और सब कुछ पहले जैसा हो गया है। लेकिन गूगल मोबिलिटी ट्रेंड्स का डाटा कुछ अलग ही बात बताता है। इसके अनुसार गैर-जरूरी सामान की बाजारों को अभी भी महामारी के पहले वाले स्तर पर आने में लंबा समय लगेगा। कम्यूनिटी मोबिलिटी के लिए गूगल 5 कैटेगरी में डेटा देता है। जैसे, खुदरा और मनोरंजन, परचून और फार्मेसी, ट्रांजिट स्टेशन, काम करने की जगहें, और घर। यह बेसलाइन से प्रतिशत में हुए बदलाव को गिनता है। इसकी बेसलाइन में 3 जनवरी से 6 फरवरी, 2020 तक के हफ्ते के 5 दिनों को लिया गया है। भारत के संदर्भ में, 17 नवंबर तक सिर्फ परचून और फार्मेसी की मोबिलिटी सकारात्मक स्तर पर पहुंची है।  इसके अलावा बाकि के सभी क्षेत्रों में कोरोना के पहले के समय जैसी स्थिति अभी तक नहीं आई है। पर्यटन, खुदरा और मनोरंजन के क्षेत्र को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।

2018-19 के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे के मुताबिक, कृषि क्षेत्र के बाद होटल और रेस्त्रां का रोजगार के क्षेत्र में प्रमुख स्थान है। शहरों में 5 में से 1 नौकरी इसी क्षेत्र से आती है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दशकों से मैनुफैक्चरिंग का जीडीपी में योगदान मन्द ही है। ऐसे में एक नया लॉकडाउन पहले से सुस्ती झेल रहे क्षेत्रों को और बर्बाद कर देगा। अनलॉक के बावजूद यह क्षेत्र लॉकडाउन के कारम हुए नुकसान से बाहर नहीं आ पाए हैं। इसकी वजह से अर्थव्यवस्था की मांग और आपूर्ति की कड़ी फिर से गड़बड़ हो जाएगी। बहुत से विशेषज्ञ अभी भी संदेह में हैं कि अर्थव्यवस्था में दिख रहे सकारात्मक परिवर्तन लंबे समय के लिए हैं या यह सिर्फ त्योहारों के सीजन की उछाल है। आज के वक्त में जब महंगाई बढ़ गई है ऐसे में एक और लॉकडाउन स्थितियों को खराब से बदत्तर स्थिति में ले जाएगा। इसलिए बेहतर होगा कि लॉकडाउन के अतिरिक्त उन सभी साधनों का इस्तेमाल किया जाए जिनके माध्यम से इस महामारी को फैलने से रोका जा सके।

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