डाक विभाग के कंधों पर होगी कोरोना वैक्सीन को देश के हर हिस्से में पहुंचाने की जिम्मेदारी, नेटवर्क की मैपिंग शुरू

भले ही कोरोना वैक्सीन अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाई हो, लेकिन इसको पूरे देश में पहुंचाने के नेटवर्क पर काम शुरू हो गया है। ‘हिन्दुस्तान’ को मिली जानकारी के मुताबिक डाक विभाग ने मास वैक्सीनेशन के लिहाज से अपने नेटवर्क की मैपिंग शुरू कर दी है और सरकार के निर्देश मिलते ही युद्ध स्तर पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

सूत्रों ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि वैक्सीन आने के बाद इसे देश के कोने-कोने में पहुंचाने के लिए पोस्टल नेटवर्क का इस्तेमाल किया जा सकता है। यही नहीं, विभाग ने इसके ट्रांसपोर्टेशन को लेकर कोल्डचेन बनाने की तैयारी पर भी बातचीत शुरू कर दी है। ताकि वैक्सीन आने के बाद उसे जरूरी तापमान पर देश के सुदूर इलाकों तक पहुंचाया जा सके।

मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक, अभी वैक्सीन किस रूप में आएगी और कितने तापमान पर उसका ट्रांसपोर्टेशन होगा, इस बारे में पुख्ता निर्देश नहीं मिले हैं, लेकिन पहले से तैयारी इसलिए शुरू हो गई है ताकि निर्देश मिलने के बाद बिना समय गंवाए इस पर काम किया जा सके। इस काम में विभाग की डेढ़ हजार से ज्यादा गाड़ियां, जिनमें करीब एक हजार जीपीएस से लैस गाड़ियों को इस काम में लगाए जाने की उम्मीद है। विभाग में इस संभावना पर भी विचार विमर्श किया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से निश्चित तापमान को बनाए रखते हुए बॉक्स मुहैया कराए जा सकें, जिन्हें निश्चित समय में डाक विभाग के कर्मचारी तय जगह पर पहुंचा पाएंगे।

पहले भी टीबी से जुड़े सैम्पल को टेस्टिंग लैब्स तक पहुंचा चुका है
डाक विभाग पहले भी टीबी से जुड़े सैम्पल को नियत तापमान पर रिकॉर्ड समय में टेस्टिंग लैब्स में पहुंचाने का काम कर चुका है। साथ ही नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन यानि नाको के साथ जरूरी दवाओं और सैंपल के ट्रांसपोर्टेशन से विभाग जुड़ा रहा है। नाको की तरफ से भी विभाग को तापमान सही रखे जा सकने वाले बॉक्स में जरूरी दवाइयां और सैंपल दिए जाते थे, जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना होता था। कोरोना महामारी के दौरान जब देशव्यापी लॉकडाउन हुआ था उस दौरान डाककर्मियों ने बड़े पैमाने पर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट यानि पीपीई किट को भी जिला अस्पतालों और निर्धारित स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचाने का काम किया है।

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