मानवता की असली पहचान : कभी अंजान लोगों ने की थी कैंसर से लड़ाई में मदद, आज कोरोना से लोगों को बचाने में जुटा है ये शख्स

रणघोष खास. देशभर से


साहिबाबाद के रहने वाले दावर नक़वी बीते एक महीने से रोजाना पीपीई किट पहने हुए सड़कों पर नज़र आ रहे हैं, जहां वे जरूरतमंद लोगों को कोरोना से जुड़ी दवाएं और ऑक्सीजन सिलेन्डर उपलब्ध के साथ ही डॉक्टर से भी लोगों का संपर्क करा रहे हैं।कोरोना महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के साथ 29 साल के दावर नक़वी लगातार कोरोना प्रभावित लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। नक़वी को इस कठिन समय में लोगों की मदद करने की प्रेरणा उस एक घटना से मिली जो करीब 3 साल पहले उनके परिवार के साथ घटी थी।गौरतलब है कि देश करीब बीते एक महीने से कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप झेल रहा है और देश में रोजाना कोरोना संक्रमण के औसतन 4 लाख नए केस दर्ज़ किए जा रहे हैं। ऐसे बेहद कठिन समय में दावर का यह प्रयास आज सभी को प्रेरित कर रहा है।

इस घटना ने जगाया

दावर नक़वी साहिबाबाद के रहने वाले हैं और साल 2016 में उन्होने ज़ेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से स्नातक की पढ़ाई की है। दावर बीते एक महीने से रोजाना पीपीई किट पहने हुए सड़कों पर नज़र आ रहे हैं, जहां वे जरूरतमंद लोगों को कोरोना से जुड़ी दवाएं और ऑक्सीजन सिलेन्डर उपलब्ध के साथ ही डॉक्टर से भी लोगों का संपर्क करा रहे हैं।यह सब करने की प्रेरणा उन्हे उस घटना से मिली जो उनके परिवार के साथ तीन साल पहले घटी थी। साल 2018 में उनके भाई मन्नू को ब्लड कैंसर था और तब कई अंजान लोगों ने उनके भाई की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए थे, हालांकि इसके बावजूद उनके भाई को बचाया नहीं जा सका था।

अंजान लोग आए थे मदद को आगे

नक़वी ने बताया कि जब उनके भाई अस्पताल में भर्ती थे तब अंतिम 9 दिन के भीतर उनके भाई के लिए 19 लोगों ने प्लेटलेट्स, प्लाज्मा और डब्ल्यूबीसी  दान की थी। नक़वी के अनुसार उन 19 लोगों में वे सिर्फ 8 लोगों को जानते थे, बाकी सभी लोग अंजान ही थे। नक़वी ने एक शख्स को याद करते हुए बताया कि वे उनके भाई के लिए हैदराबाद से दिल्ली आने के लिए तैयार हो गए थे। नक़वी के अनुसार अब वे बस उस अहसान को चुकाने की कोशिश भर कर रहे हैं।

पहुंचा रहे हैं ऑक्सीजन और दवा

नक़वी और उनके दोस्तों ने मिलकर एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया है, जिसके जरिये लोगों की जरूरतों को सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है। नक़वी के अनुसार इस समय वे दो तरह के लोगों की मदद कर रहे हैं, एक तो वो लोग हैं जिनके पास पैसे नहीं हैं और दूसरे वो हैं जिनके पास अन्य संसाधन नहीं हैं, जैसे कि वो लोग जिनके बच्चे विदेश में रह रहे हैं, या जो किसी अन्य वजह से अकेले रहते हैं। 

नक़वी के पास इस समय 5 ऑक्सीजन सिलेन्डर है जिनमे एक 70 लीटर, दूसरा 20 लीटर, अन्य तीन 10 लीटर क्षमता वाले हैं। मरीज द्वारा दवा का पर्चा दिखाये जाने पर नक़वी और उनके दोस्त जरूरतमंद मरीज के घर तक खुद अपने वाहन से दवाएं पहुंचा कर आते हैं। लोगों की लगातार मदद कर रहे नक़वी को उनके माता-पिता से प्यार भरी डांट भी खानी पड़ जाती है क्योंकि वो उनके लिए डरे हुए हैं। नक़वी बताते हैं कि उन्होने अपने माता-पिता के कमरे में जाना बंद कर दिया है, लेकिन फिलहाल वे लोगों की मदद करना जारी रखेंगे।

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