जिस इंग्लैंड का हवाला देकर सरकार ने वैक्सीन का अंतराल बढ़ाया, उसी ने दो डोज के बीच अंतर कम किया

कोविड-19 की दो वैक्सीन के बीच कितना अंतराल होना चाहिए, इसे लेकर अलग-अलग रिपोर्ट आ रही हैं, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति बन रही है। भारत ने कोविशील्ड वैक्सीन के दो डोज के बीच का अंतर बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह करने का फैसला किया है और इसके लिए सरकार ने इंग्लैंड का हवाला दिया है। लेकिन इंग्लैंड की सरकार ने भारतीय स्ट्रेन से बचने के लिए दो डोज के बीच का अंतर घटाकर 8 सप्ताह कर दिया है। इंग्लैंड की ही एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइजर की दूसरी डोज 12 हफ्ते बाद देने पर वैक्सीन साढ़े तीन गुना ज्यादा प्रभावी होती है।

दो डोज के बीच का अंतर 12 सप्ताह से घटाकर 8 सप्ताल किया

इंग्लैंड में भारतीय स्ट्रेन बी.1.617.2 तेजी से फैल रहा है। इसे रोकने के लिए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि 50 साल से अधिक उम्र के लोगों और बीमारों को वैक्सीन की दूसरी डोज जल्दी लगाई जाएगी। पहले दो डोज के बीच 12 सप्ताह का अंतर रखा गया था, अब इसे घटाकर 8 सप्ताह कर दिया गया है। इंग्लैंड में करीब 70 फीसदी वयस्कों को वैक्सीन की एक डोज और 36 फीसदी को दोनों डोज दी जा चुकी है। इंग्लैंड के चीफ मेडिकल ऑफिसर कृश व्हिटी ने कहा, यह बात स्पष्ट है कि बी.1.617.2 स्ट्रेन इंग्लैंड के पुराने केंट वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक है। इंग्लैंड में कोविड-19 की दूसरी लहर में केंट वेरिएंट ने तबाही मचाई थी।

भारत ने 12 से 16 हफ्ते कर दिया है दो डोज के बीच अंतर

इससे पहले गुरुवार को केंद्र सरकार ने कहा था कि इंग्लैंड के नतीजों को देखते हुए कोवीशील्ड की दो वैक्सीन के बीच अंतराल 6 से 8 हफ्ते से बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते किया जा रहा है। कोवैक्सीन के लिए इस अंतराल में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

फाइजर की दूसरी डोज 12 हफ्ते बाद 3.5 गुना प्रभावी

शुक्रवार को जारी यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी डोज अगर 12 हफ्ते के बाद दी जाए तो वह उम्रदराज लोगों में साढ़े तीन गुना ज्यादा असरदार होती है। हालांकि फाइजर और उसकी वैक्सीन पार्टनर बायो एनटेक ने कहा है कि उनके पास इस तथ्य को साबित करने वाला कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। रिसर्च के अनुसार जब वैक्सीन की दूसरी डोज 12 हफ्ते बाद दी जाती है तो वरिष्ठ नागरिकों में एंटीबॉडी का स्तर सबसे अधिक होता है। इस रिसर्च के लिए 80 से 99 साल की उम्र के 175 लोगों को चुना गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *