जिस जमीन पर पुलिस कब्जा लेनी पहुंची, उस पर अदालत के आदेश पर ड्यूटी मजिस्टे्रट ने दिलाया था कब्जा

–पीडि़त किशोरी लाल ने 9 साल पुराने सभी कागजात व फोटो दिखाकर पुलिस कार्रवाई को किया कटघरे में खड़ा


रणघोष अपडेट. नारनौल, (रामचंद्र सैनी):

नारनौल के महाबीर मार्ग पर पानी की टंकी के पास जिस जमीन को अपना बताकर पुलिस गत दिवस कब्जा लेने पहुंची थी, उस मामले में कब्जाधारी ने बड़ा खुलासा किया है। कब्जाधारी किशोरी लाल ने आज अनेक दस्तावेजों की प्रतियां और फोटो उपलब्ध करवाते हुए बताया कि जिस जमीन को पुलिस अपना बताकर गत दिवस बिना किसी अदालती आदेश अचानक कब्जा लेने पहुंची उस जमीन पर आज से 9 साल पहले 19 मार्च 2012 को अदालत के आदेश पर तत्कालीन डयूटी मजिस्टे्रट ने कब्जा दिलाया था। उस दौरान तत्कालीन डयूटी मजिस्टे्रट ने 13 लोगों के गवाहों की एक सूची तथा कब्जा कार्रवाई की तमाम रिपोर्ट अदालत में पेश की थी। पीडि़त किशोरी लाल ने 9 साल पुराने कब्जा कार्रवाई के तहसीलदार के नाम पोजीशन वारंट की अदालती आदेशों की फोटो प्रति, डयूटी मजिस्टे्रट की कब्जा कार्रवाई की फोटो प्रति तथा फोटो की प्रतियां उपलब्ध करवाकर गत दिवस की जिला प्रशासन व पुलिस कार्रवाई को सवालों के घेरे मे खड़ा कर दिया है।पीडि़त किशोरी लाल और उनके पौत्र एडवोकेट राजेश सैनी ने बताया कि निचली अदालत से वे केस जीत चुके और अदालत के आदेशों पर उन्हें कब्जा मिल चुका है। उन्होंने बताया कि निचली अदालत के आदेशों के खिलाफ खुद पुलिस विभाग हाईकोर्ट में गया हुआ है तो आखिरकार गत दिवस पुलिस विभाग किन आदेशों और आधार पर उनके कब्जे में दखलंदाजी करने पहुंच गया, यह समझ से बाहर है। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस प्रवक्ता ने  कुछ अखबारों में यह भी बयान जारी किए हैं कि उनकी जमीन पर कुछ लोगों द्वारा अवैध कब्जा किया गया है। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेशों पर मिले कब्जे को बिना किसी अदालत के नाजायज और अवैध ठहराना भी अदालत की अवमानना ही कहा जाएगा। अब सबसे बड़ा सवाल तो यह कि जिस जमीन को अदालत के आदेश पर उन्हें कब्जा करवाकर दी, उसी पर पुलिस किस आधार पर कब्जा लेनी पहुंची। पीडित ने कहा कि गत दिवस पुलिस और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बिना किसी सूचना जबरन कब्जा में दखलंदाजी प्रकरण से हाईकोर्ट के वकील से रायशुमारी करके कानूनी प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस सारे प्रकरण में नारनौल नगर परिषद के इओ अभय सिंह यादव किस आधार पर उपस्थित थे, इस बारे में कार्रवाई की जाएगी।

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पुलिस की गत दिवस की इस कार्रवाई में बार एसोसिएशन नारनौल के पूर्व प्रधान मनीष वशिष्ठ एडवोकेट खुलकर पीडित के पक्ष में खड़े हो गए हैं। उन्होंने गत दिवस भी मौके पर पहुंचकर वहां उपस्थित पुलिस अधिकारियों व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से तीखे सवाल किए। जिनके जवाब नहीं बन पाने के कारण कब्जा लेनी आई टीम बगले झांकती हुई निकल ली। एडवोकेट मनीष वशिष्ठ ने कहा कि  पीडि़त किशोरी लाल सैनी के पौत्र राजेश सैनी एडवोकेट नारनौल बार एसोसिएशन में उनकी साथी सदस्य है। उनके साथ गत दिवस जिस प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई को गलत तरीके से अंजाम दिया जा रहा था, जिसके चलते उन्होंने इस कार्रवाई का डटकर विरोध किया था और आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि  पुलिस और प्रशासन का काम कानून के दायरे में लोगों को कब्जा दिलाना है ना कि खुद किसी दबंग की तरह कानून के खिलाफ जाकर कब्जा कार्रवाई को अंजाम देना है।

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