शिक्षा जगत के इतिहास में शानदार- जबरदस्त- जिंदाबाद से संपूर्ण नई क्रांति का आगाज, जरूर पढ़े

रेवाड़ी- महेंद्रगढ़ जिले के 10 हजार परिवारों में अब हर बच्चा होगा “होनहार”


रणघोष खास.  रेवाड़ी- महेंद्रगढ़ की माटी से


 भारतीय शिक्षा प्रणाली का ऑप्रेशन करने वाली दो भारतीय फिल्में थ्री इडियट ओर आरक्षण का मॉडल अब जमीनी हकीकत बनने जा रहा है। इसके लागू होते ही  सरकारी- प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के नाम पर शिक्षा को खोखला करती आ रही अमीरी- गरीबी की मानसिकता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। तीन सप्ताह बाद हरियाणा के रेवाड़ी- महेंद्रगढ़ जिले के 10 हजार परिवारों के बच्चों को होनहार चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े देश- प्रदेशभर के उच्च श्रेणी के शिक्षक शानदार- जबरदस्त- जिंदाबाद मॉडल के तहत अपनी सेवाएं देंगे। इसके लिए पूरा प्लान फाइनल हो चुका है।

 टॉप क्लास प्राइवेट- सरकारी स्कूलों के शिक्षक देंगे सेवाएं  

सबसे पहले रेवाड़ी- महेंद्रग्रढ़ जिले को चयनित किया गया है। सर्वप्रथम उन परिवारों का चयन किया गया है जो आर्थिक तोर पर बेहद संघर्ष से गुजर रहे हैं। इन परिवारों के बच्चे अमूमन सरकारी ओर साधारण प्राइवेट शिक्षण संस्थान में पढ़ रहे हैं। होनहार ट्रस्ट (रजि.) के बैनर तले देश- प्रदेशभर के ऐसे शिक्षकों का पैनल तैयार किया गया है जो इन्हीं परिवारों से ही निकलकर वर्तमान में सबसे महंगे ओर नामी शिक्षण संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। साथ ही सरकारी स्कूलों से भी शिक्षकों का पैनल तैयार किया है जिनकी अपनी पहचान है।

 डिजीटल प्लेटफार्म से जुड़ेंगे बच्चे, सभी के पास मोबाइल

 कोरोना काल में डिजीटल एजुकेशन को अपनी पहचान मिल चुकी है। बेशक कारगर साबित होने में संघर्ष जरूर कर रही है। ट्रस्ट ने तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सर्वप्रथम एक मापदंड के तहत सर्वे कराकर परिवारों के बच्चों से बातचीत कर रिपोर्ट तैयार कर ली थी। उसी को ध्यान में रखते हुए पढ़ने- पढ़ाने का मॉडल तैयार किया गया है।

  एकदम अलग अंदाज में होगी कक्षाएं

 इन परिवारों के बच्चों को प्रतिदिन दो घंटे पढ़ाया जाएगा। यह समय स्कूल समय से एकदम अलग होगा ताकि विद्यार्थी का रूटीन बाधित नहीं हो। इन  दो घंटों में उन्हीं दो या तीन विषयों पढ़ाया जाएगा जो विद्यार्थी पढ़ना चाहते हैं। अन्य विषयों में पढ़ाई वे संबंधित स्कूल से रूटीन की तरह करते रहेंगे। सप्ताह में एक दिन उन नामी हस्तियों को आमंत्रित किया जाएगा जो इन्हीं परिवारों से निकलकर अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। सांझा किए जाने वाले उनके अनुभवों से बच्चों में ऊर्जा का संचार होगा।

 इन परिवारों के संघर्ष की कहानियां मीडिया में प्रकाशित होगी

 इन परिवारों के संघर्ष की कहानियों को दैनिक रणघोष में प्रमुखता के साथ हर रोज प्रकाशित किया जाएगा ताकि उन्हें पढ़कर बच्चों के मनो मस्तिक में यह भावना विकसित हो जाए कि सफलता संघर्ष के रास्ते से मिलती हैं ना की बेहतर सुविधा के माहौल में।

प्रत्येक कक्षा से रोज  चुना जाएगा स्टार ऑफ दा डे

प्रतिदिन प्रत्येक कक्षा से एक विद्यार्थी का चयन स्टार ऑफ दा डे के तौर पर किया जाएगा। उसकी फोटोग्राफ दैनिक रणघोष में प्रकाशित होगी ताकि बच्चों में एक दूसरे से सीखकर आगे बढ़ने की संस्कार- संस्कार को मजबूती मिले।

 वेबसाइट- यूटयूब चैनल पर होगी पर होगी पूरी सामग्री

हर रोज पढ़ाने वाले शिक्षक की विडियो ट्रस्ट की वेबसाइट एवं यू टयूब चैनल पर उपलब्ध रहेगी। किसी कारणवश अगर कोई विद्यार्थी कक्षा में उपस्थित नहीं रहता है तो वह विडियो से इस कमी को पूरा कर सकता है। इसके लिए ट्रस्ट के तहत हर बच्चे के मोबाइल पर ऐप डाउनलोड किया जाएगा।  

 गुरु दक्षिणा के नाम पर लिया जाएगा एक कप चाय जितना खर्च

नि:शुल्कता की मानसिकता एक दूसरे की मेहनत को खोखला करती है। साथ ही विजन के मूल्यों एवं महत्व को भी कमजोर कर देती है। इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी से गुरु दक्षिणा के नाम पर हर रोज महज एक कप चाय जितना खर्च लिया जाएगा। दक्षिणा के रूप में मिलने वाली यह राशि  तकनीकी व्यवस्थाओं एवं शिक्षकों की मुलभूत आवश्यकताओं पर खर्च होगी। परिवार के सदस्य गुगल पे, पेटीएम, फोन पे के नाम पर ट्रस्ट के खाते में हर रविवार को इसे जमा कराएंगे। उसी समय रसीद भी प्राप्त हो जाएगी। इसके अलावा विद्यार्थी से किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।   

 अनेक तरह की होगी प्रतियोगिताएं

 बच्चों में छिपी प्रतिभाओं को निखारने के लिए अलग से गठित एक पैनल अलग अलग प्रतियोगिताओं का आयोजन करेगा। इसमें विजेताओं को नामी हस्तियों के हाथों से सम्मानित करने के साथ साथ शानदार ईनाम भी दिए जाएंगे ताकि विद्यार्थियों में अपने लक्ष्य को लेकर हर पल उत्साह बना रहे।  

  इसलिए शुरू हो रही है यह अनूठी शिक्षा प्रणाली

कोरोना काल में शिक्षा के स्तर की डराने वाली तस्वीर सामने आ चुकी है। पिछले 15-20 सालों में शिक्षा प्रणाली के मूल स्तर का तेजी से गिरना ओर इसकी आड़ में बाजार का विकराल रूप में खड़ा हो जाना यह बताता है कि देश की युवा पीढ़ी को किस कदर परीक्षा में मिलने वाले नंबरों की काली कोठरी में डाला जा रहा है। नतीजा विद्यार्थियों में काबिल बनने की जगह उन डिग्रियों ने ले ली जिसे शिक्षा के बाजार में शैक्षिक खर्चों की रसीदें कहा जाता है। इन तमाम पहुलओं पर पूरी तरह शोध करने के बाद होनहार संस्था से जुड़े शिक्षकों ने यह संकल्प लिया है कि वे 10 हजार परिवारों के बच्चों को होनहार (काबिल) बनाएंगे ताकि कामयाबी खुद चलकर उनके पास आए।  

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