आगरा: पारस अस्पताल को मिली क्लीन चिट, ऑक्सीजन रोकने की हुई थी मॉक ड्रिल

रणघोष अपडेट. यूपी से


उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित पारस अस्पताल को क्लीन चिट मिल गई है। इस अस्पताल में बीती 27 अप्रैल को ऑक्सीजन को रोकने की मॉक ड्रिल हुई थी। इसमें मरीजों को दी जा रही ऑक्सीजन को पांच मिनट के लिए रोका गया था।  इस घटना के सामने आने के बाद इस हरक़त को मौत की मॉकड्रिल कहा गया था और उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी कायम की थी। कमेटी ने जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट दे दी है। कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि उस दिन 16 लोगों की मौत हुई थी और इनमें से किसी की भी मौत उस मॉक ड्रिल की वजह से नहीं हुई। कमेटी ने कहा है कि इन सभी लोगों की हालत गंभीर थी और इनमें से 14 लोग कई अन्य बीमारियों से भी पीड़ित थे जबकि बाक़ी दो मरीजों को छाती में संक्रमण की दिक्कत थी। कमेटी ने कहा है कि इन सभी मरीजों का इलाज कोरोना के प्रोटोकॉल के तहत किया जा रहा था और जांच करने के बाद यह सामने आया है कि इनमें से किसी भी मरीज़ की ऑक्सीजन की सप्लाई को बंद नहीं किया गया था।कमेटी के मुताबिक़, मामले के जांच अधिकारी ने पाया है कि 25 अप्रैल को इस अस्पताल को 149 ऑक्सीजन के सिलेंडर्स मिले थे और उस दिन 20 सिलेंडर रिजर्व में थे जबकि 26 अप्रैल को 121 सिलेंडर मिले थे और उस दिन 15 रिजर्व में थे। कमेटी ने अस्पताल के मालिक अरिंजय जैन के बयान को भी रिपोर्ट में शामिल किया है। इसमें अरिंजय जैन कहते हैं, “मरीजों के मरने की बात पूरी तरह झूठ है। ऑक्सीजन बंद करने के बाद कोई मॉक ड्रिल नहीं की गई। किसी भी मरीज की  ऑक्सीजन सप्लाई बंद नहीं की गई और इसका कोई सबूत नहीं है। यह सब अफ़वाह है, वरना 26 अप्रैल को सुबह 7 बजे 22 लोगों की मौत दर्ज होती।” उन्होंने कहा है कि अस्पताल की ओर से वहां भर्ती सभी मरीजों की जांच की गई थी और इनमें से 22 मरीजों की हालत बेहद गंभीर थी। आगरा के जिलाधिकारी प्रभु एन. सिंह ने 8 जून को कहा था कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से कोई मौत नहीं हुई है। हालांकि उन्होंने महामारी एक्ट के तहत अस्पताल के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने का आदेश दिया था।  वायरल हुआ था वीडियो इस अस्पताल के स्टाफ़ का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें दो लोग आपस में बात कर रहे थे कि दोपहर में मॉक ड्रिल का एक ट्राई मार लेते हैं, समझ जाएंगे कि कौन सा मरेगा और कौन सा नहीं। स्टाफ़ के लोग कह रहे थे कि उन्होंने मॉक ड्रिल की और किसी को पता भी नहीं चला और जब ऑक्सीजन शून्य की तो 22 मरीज छंट गए। इस घटना के सामने आने के बाद अस्पताल और वहां से स्टाफ़ की लोगों ने मजम्मत की थी और कहा था कि यह काम इंसानियत पर कलंक है।

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