रणघोष खास. देशभर से
नरेंद्र मोदी सरकार के 43 मंत्रियों ने बुधवार को शपथ ले ली है। वहीं कई पुराने और महत्वपूर्ण चेहरे अब इस मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं हैं। शपथ ग्रहण से कुछ घंटे पहले ही देश के स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और सूचना एवं प्राद्योगिकी मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई है। मोदी सरकार के कुल 12 मंत्रियों को उनके पद से हटाया गया है।जानकारों का मानना है कि इसके पीछे का कारण- व्यावहारिक राजनीतिक मजबूरियां है और महामारी के बाद जनता को जमीनी काम दिखाने की जरूरत है।पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल का यह पहला मंत्रिमंडल विस्तार है, इसमें कुल 43 मंत्री शामिल किए गए हैं, जिनमें से 15 को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। प्रधानमंत्री ने जून में सभी मंत्रालयों की समीक्षा की थी। जानकारों का कहना है कि इस दौरान पीएम मोदी ने तय किया कि किस-किस मंत्री को हटाना है।
हर्षवर्धन
कोविड महामारी के दौरान भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय संभाल रहे हर्षवर्धन को अपना पद छोड़ना पड़ा है। माना जा रहा है कि सरकार दिखाना चाहती है कि कोविड महामारी के दौरान लोगों को जो भी परेशानियां आई हैं, या घाटा हुआ है, अब नहीं होने दिया जाएगा। हालांकि अब यह सवाल भी उठेगा कि उन्होंने महामारी के दौरान ठीक से प्रबंधन नहीं किया और लोगों की जान बचाने में असफल रही।
प्रकाश जावड़ेकर
पीएम मोदी ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की भी छुट्टी कर दी है। इसकी दो वजह समझ में आती है एक तो पर्यावरण मंत्रालय में बहुत कुछ काम नहीं हुआ है और दूसरा प्रकाश जावड़ेकर का पार्टी के भीतर समर्थन भी कम हुआ है।
जानकारों का कहना है कि पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट देखने से लगता है कि सरकार और पर्यवारण मंत्रालय ने 2020 के बाद से कोई भी नया कदम नहीं उठाया है। लगता है कि मंत्रालय ने 2020 के बाद कोई काम नहीं किया है। वहीं भारत के सामने इस वक्त कई पर्यावरण चुनौतियाँ हैं। दिसंबर में कैनबरा में कोप-26 की बैठक होनी हैं, उसमें पर्यावरण को लेकर कई बड़े फैसले लिए जाने हैं। बावजूद इसके पर्यावरण मंत्रालय ने इस दिशा में कोई विशेष काम नहीं किया है। वहीं पीएम ने नारा दिया है कि भारत अगले साल तक सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री हो जाएगा, मगर पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट या काम को देखकर ये कतई नहीं लगता कि कोई इतनी बड़ी चीज होने जा रही है। हो सकता है इससे भी प्रधानमंत्री मोदी खफा हों।
रमेश पोखरियाल निशंक
मोदी कैबिनेट विस्तार के दौरान शिक्षा मंत्री की भी छुट्टी कर दी गई है। उत्तराखंड से आने वाले रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल में ही भारत की नई शिक्षा नीति लागू की गई है। जानकारों का कहना है कि नई शिक्षा नीति लागू करने में निशंक की नाकामी ही उन्हें हटाए जाने की वजह है। पीएम मोदी नई शिक्षा नीति पर निशंक के कामकाज से नाराज थे। दरअसल, शिक्षा नीति में इतना बड़ा परिवर्तन सरकार ने किया मगर इस पर अपेक्षित चर्चा नहीं हुई। यानी निशंक जन-जन तक शिक्षा नीति को पहुँचाने में असफल रहे, शायद इस बात को लेकर भी पीएम खफा थे। वहीं कोविड महामारी के दौरान केंद्रीय बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को लेकर भी अफरा-तफरी मची।
रविशंकर प्रसाद
कानून और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद को हटाने पीछे ट्विटर विवाद को भी देखा जा रहा है। रविशंकर प्रसाद ने जिस प्रकार से विश्व की बड़ी तकनीक कंपनियों कौ चुनौती दी, उससे भारत एक अजीब हालत में उलझ गया। वहीं भारत लोगों की निजी जानकारियों को लेकर डेटा प्रोटेक्शन लॉ भी ला रहा है। इस पर संयुक्त संसदीय समिति रिपोर्ट तैयार कर रही है। मगर विशंकर प्रसाद ने रिपोर्ट के पेश होने से पहले ही ट्वीट कर दिया था कि वो इस रिपोर्ट से बहुत खुश हैं। माना जा रहा है कि इससे सरकार की बहुत फजीहत हुई थी। दरअसल भारत सरकार नया डेटा प्रोटेक्शन लॉ तैयार कर रही है, जिसे संयुक्त संसदीय समिति देख रही है। इसकी रिपोर्ट अभी आनी है, मगर रविशंकर प्रसाद को ये मालूम ही नहीं था कि रिपोर्ट अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुई है और उन्होंने ट्वीट कर दिया कि वो इस रिपोर्ट से बहुत खुश हैं। ऐसे में हो सकता है कि पीएम को उनका काम करने का तरीका पसंद नहीं आया हो।
संतोष गंगवार
कुछ माह पूर्व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की खुली आलोचना करने वाले संतोष गंगवार को भी पद से हाथ धोना पड़ा है। इसके पीछे भी दो कारण समझ में आते हैं पहला कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी संकट से ठीक ढंग से नहीं निपटना और दूसरा योगी सरकार की आलोचना। भारत में जब कोरोना की पहली लहर आई थी, तो बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरोंने बेहद मुश्किल स्थिति में शहरों से गाँवों की ओर पलायन किया था। प्रवासी संकट के कारण केंद्र सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था। वहीं गंगवार को पद से हटाने के पीछे योगी आदित्याथ के नाम लिखी उनकी चिट्ठी हो सकती है। चिट्ठी में उन्होंने कोविड की दूसरी लहर के दौरान सरकार के कामकाज की खुले दिल से आलोचना की थी। संतोष गंगवार ने गंभीर सवाल उठाए थे, लेकिन शायद सरकार ने ये संकेत दिया है कि योगी आदित्यनाथ की आलोचना बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इन मंत्रियों की भी हुई छुट्टी
पश्चिम बंगाल से आने वाले बाबुल सुप्रियो को की भी छुट्टी कर दी गई। माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के कारण उन्हें हटाया गया है। इनके अलावा थावरचंद गहलोत (सामाजिक न्याय मंत्री), सदानंद गौड़ा (उर्वरक और रसायन मंत्री) संजय धोत्रे (शिक्षा राज्य मंत्री), देबोश्री चौधरी (महिला बाल विकास मंत्री), प्रताप सारंगी और रतन लाल कटारिया को भी पद से हटा दिया गया है। इतनी बड़ी संख्या में मंत्रियों को हटाने का एक कारण तो ये है कि सरकार में नए मंत्रियों के लिए जगह बनानी है। वहीं मोदी सरकार का सिद्धांत साफ है कि अच्छा परफॉर्मेंस दीजिए और प्रमोशन पाइए नहीं तो घर जाइए।
Wow, wonderful blog structure! How lengthy have you been running a
blog for? you made running a blog glance easy.
The total look of your website is excellent, let alone
the content material! You can see similar here dobry sklep
Hello, i read your blog from time to time and i own a similar one and i was just curious if you get a lot of spam
responses? If so how do you stop it, any plugin or anything
you can advise? I get so much lately it’s driving me mad so any support is very much appreciated.
I saw similar here: Dobry sklep
azithromycin 500mg online india