CM को गिरफ्तार करने के अलग स्टैंडर्ड नहीं, केजरीवाल के खिलाफ सबूत; ईडी की SC में क्या-क्या दलील

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉउन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया। इस हलफनामे में एजेंसी ने विस्तार से बताया कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉउन्ड्रिंग (पीएमएलए) एक्ट, 2002 में ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं हैं, जो मुख्यमंत्री और एक सामान्य नागरिक की गिरफ्तारी में अंतर करता हो।

ईडी ने कहा, ‘पीएमएलए, 2002 में किसी मुख्यमंत्री या आम नागरिक को गिरफ्तार करने के लिए साक्ष्य के विभिन्न स्टैंडर्स (मानकों) के लिए कोई अलग प्रावधान नहीं हैं। याचिकाकर्ता, अपनी पोजिशन पर जोर देते हुए, अपने लिए एक विशेष कैटेगरी बनाने की कोशिश कर रहा है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता हैं।’

हलफनामे पर प्रतिक्रिया देते हुए, आम आदमी पार्टी (आप) प्रवक्ता ने एजेंसी पर ‘भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर झूठ गढ़ने’ का आरोप लगाया। अधिकारी ने कहा, ‘आज देश में किसी को कोई शक नहीं है कि ईडी भाजपा की पॉलिटिकल विंग है…ईडी को भाजपा मुख्यालय से निर्देश मिलते हैं।’ हालांकि भाजपा ने इन आरोपों पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है।

अपने हलफनामे में, ईडी ने इस बात पर जोर दिया कि केजरीवाल को गिरफ्तार करने का फैसला पर्याप्त सबूतों और कानून के आधार पर लिया गया था। एजेंसी ने गिरफ्तारी के टाइमिंग पर सवाल उठाने वाले उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि उन्हें अपनी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने से डिसेबल करने के लिए अरेस्ट किया गया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा लगभग छह महीने तक कथित तौर पर जांच से बचने की बात को हाइलाइट (उजागर करना) किया गया। बताया गया कि उन्होंने एजेंसी के 9 सम्मन को नजरअंदाज किया।

एजेंसी ने हलफनामे में तर्क देते हुए कहा, किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी, चाहे वह कितने ही बड़े पद पर क्यों न हो मैटेरियल एविडेंस (सबूत) के आधार पर होती है। इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा का उल्लंघन नहीं हो सकता। गिरफ्तारी के मामले में किसी नेता के साथ सामान्य अपराधी से अलग व्यवहार करना अरेस्ट पावर का मनमाना और अतार्किक प्रयोग होगा जो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत दिए गए समानता के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।

माना जा रहा है कि जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ दिल्ली हाईकोर्ट के 9 अप्रैल के आदेश के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर 29 अप्रैल को सुनवाई करेगी। कोर्ट ने 15 अप्रैल को उनकी याचिका पर नोटिस जारी किया था, लेकिन इस संबंध में अंतरिम रिहाई के लिए उनकी अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया था। जब तक ईडी जवाब नहीं देता तब तक दिल्ली शराब घोटाले सो जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच जारी रहेगी। हाईकोर्ट द्वारा ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज करने के 24 घंटे से भी कम समय में, दिल्ली सीएम ने 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।