रणघोष अपडेट. हरिद्वार. नई दिल्ली
दिल्ली-हरिद्वार नेशनल हाईवे पर बहदरबाद के पास बनी गीतांजलि रेजीडेंसी में रह रहे परिवारजनों ने बाबा रामदेव की पतंजलि योग पीठ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन परिवार के सदस्यों ने राष्ट्रपति से लेकर पीएम, मुख्यमंत्री से लेकर संबंधित सभी सरकारी विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर न्याय दिलाने की अपील की है। यह विवाद पिछले पांच सालों से चल रहा है।
पतंजलि पीठ पर आरोप यूनिवर्सिटी के लिए जबरन सोसायटी पर करना चाहती है कब्जा
दिल्ली के निवासी नवीन सेठी ने साल 2007 में 50 लाख में गीतांजलि रेजीडेंसी में घर बिल्डर सुरेंदर घई के ज़रिए खरीदा था। जिसकी रजिस्ट्री साल 2009 में कराई गई। यह मकान नवीन की मां 74 वर्षीय सतीश सेठी के नाम दर्ज है। साल 2016 में नवीन जब अपना मकान देखने पहुंचे तब उन्होंने देखा कि वहां पतंजलि की टीम मकानों का निरीक्षण कर रही है। पूछने पर पता चला कि बिल्डर ज़मीन बेचकर चला गया है। नवीन व अन्य निवासियों ने बिल्डर से बात करने की कई कोशिशें की लेकिन बिल्डर लापता हो गया। नवीन के अनुसार हमने मकान इसलिए खरीदा था कि माताजी एवं बाबूजी अपने रिटायरमेंट के बाद अपना जीवन हरिदवार की पावन धरती पर गुजार सकें। इसके लिए पिताजी ने अपने जीवन भर की रिटायरमेंट की सारी पूँजी इस कॉटेज को खरीदने में लगा दी। वहां रहकर सोसायटी के पार्क, क्लब, पूल जैसी सुविधाओं का आनंद उठा सकेपार्क, क्लब, पूल जैसी सुविधाओं का आनंद उठा सके। पैसा भी उसी हिसाब से दिया था. लेकिन हमें मिलने वाली सभी सुविधाएं पतंजलि को बेच दी गई। बिल्डर ने हमारे साथ धोखाधड़ी की और रातो रात वहां के निवासियों को जानकारी दिए बिना ही पूरी सोसायटी पतंजलि को बेच दी और फ़रार हो गया। यहां के निवासियों ने बताया कि पतंजलि योगपीठ ने निर्माण कार्य के दौरान बचे सभी घरों को खंडहर में परिवर्तित कर दिया है। आज सारे घरों की हालत बहुत ही जर्जर है एवं रहने लायक नहीं हैं। “2017 में जब पीठ के विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य शुरू हुआ, सभी मकानों की बिजली और पानी काट दी गई और धीरे- धीरे हमारे मकानों के सामने की सडकों की खुदाई चालू कर दी। मकानों के अंदर घुसने का रास्ता बंद हो गया। ज़बरदस्ती की गई। ऐसे में कई लोग पतंजलि को मकान बेचकर चले गए। अब यहां सात मकान बचे हैं। जब यहां के निवासियों ने अपने ये मकान पतंजलि को बेचने से इन्कार कर दिया तो पंतजलि ने मकानों के आसपास के क्षेत्र का स्तर उँचा उठा दिया ओर सभी मकानों को करीब 8 फीट गड्ढे में दबा दिया गया। ये सब कार्य लाक डाउन के दौरान किया गया। आरोप है कि पिछले साल लाक डाउन में अपने घरों को देखने जा नहीं सके ओर पतंजलि ने इस तरह से सभी घरों पर कब्जा जमा लिया। यहां के निवासियों ने जब इसकी शिकायत पुलिस एवं तहसील स्तर पर की तो तहसीलदार एवं एसडीएम ने जांच में लिखा कि जमीन का स्तर उँचा उठाकर घरों को दबा दिया गया है एवं इन मकानों में अब कोई नहीं घुस सकता। अधिकारियों ने सलाह दी कि वो पतंजलि के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते इसलिए सभी निवासियों को कोर्ट जाने की सलाह दी। विवि बनाने का कार्य हरिदवार रूडकी विकास प्राधिकरण (एचआरडीए) के तहत आता है लेकिन ये पूरा विश्वविघालय बिना एचआरडीए की अप्रुवल के बनाया गया। ये तथ्य आरटीआाई जांच के दौरान सामने आया। इस बाबत एचआरडीए ने लगभग 6,92,00,000/- लाख की पेन्ल्टी पतंजलि पर लगाई गई। ये पेन्ल्टी इसलिए लगाई कि उसे बिना बताए एवं बिना अप्रुवल के ये विवि बनाया गया।
गीताजंलि रेजीडेन्सी के निवासियों ने जब एचआरडीए में शिकायत की गई तो उनकी तरफ से पतंजलि को पत्र लिखकर पूछा गया कि क्या निर्माण स्थल के अंदर किसी के घर हैं तो पंतजलि ने साफ मना कर दिया कि यहां कोई घर नहीं हैं। ये पत्र आरटीआई के तहत प्राप्त किया गया। एचआरडीए ने भी निवासियों को कोर्ट जाने की सलाह दी। यहां के निवासियों ने तहसीलदार, एसडीएम, हरिदवार डीएम, एचआरडीए सचिव, मुख्यमंत्री, प्रधानमत्री, राष्ट्रपति सभी को इस बारे में शिकायत की लेकिन आज तक कहीं से भी इस मामले पर संज्ञान नहीं लिया गया है। आखिर में सभी निवासी रूडकी कोर्ट गए लेकिन यहां भी अलग अलग कारणों से तत्काल राहत नहीं मिली।
इस सोसायटी को 2001 में विकसित किया गया था
इस सोसायटी को देहरादून के संजय घई, सुरेंदर घई और सुभाष घई की कम्पनी आकाशगंगा डेवलपर्स ने साल 2001 में विकसित किया था। इस कॉलोनी की दीवार पतंजलि योगपीठ से बिल्कुल सटी हुई थी। एक समय में गीतांजली सोसाइटी के रहवासी इसे अपनी पहचान के तौर पर देखते थे लेकिन अब यही पतंजलि योगपीठ इनके लिए दुस्वप्न बन चुकी है। इस सोसाइटी में 200 हज़ार वर्ग गज के इलाके में करीब 150 मकान, पार्क, मंदिर, क्लब हाउस, पक्की सडकें, हरे भरे पेड़ इत्यादि बनाए गए थे। साल 2016 तक 18 मकान बिक चुके थे। उसी साल दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट और आकाशगंगा डेवलपर्स के बीच सौदा हुआ जिसमें आकाशगंगा डेवलपर्स ने बची ज़मीन और सभी सुविधाएं जैसे क्लब, मंदिर, पूल इत्यादि का क्षेत्र दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट को 13 करोड़ में बेच दिए। इस सौदे में लिखा गया था, “आवासीय कम्पाउंड क्षेत्र में पूर्व में बेच दिए गए 18 मकानों के लिए रास्ता, बिजली एवम पानी की व्यवस्था यथावत रहेगी.”