रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
जीएसटी परिषद की शुक्रवार को हुई बैठक में पेट्रोल व डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने पर कोई सहमति नहीं बन पाई। इसका मतलब यह है कि फिलहाल ये उत्पाद मौजूदा प्रणाली में ही रहेंगे, यानी इन पर केंद्रीय उत्पाद कर व राज्यों का मूल्य संवर्धित कर यानी वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) लगता रहेगा।इसका अर्थ यह हुआ कि फ़िलहाल डीज़ल-पेट्रोल की कीमतों में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होने जा रहा है।
पेट्रोल-डीज़ल पर हुई बात
समझा जाता है कि जीएसटी परिषद की बैठक में पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने का मुद्दा उठा। लेकिन कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने इसका ज़ोरदार विरोध किया। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, छत्तीसगढ़, केरल समेत ज्यादातर राज्यों ने कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर ही रहने दिया जाए।इस वजह से यह प्रस्ताव गिर गया। निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
हाई कोर्ट के निर्देश पर पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार हुआ। लेकिन सदस्यों ने ज़ोर देकर कहा कि वे इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना नहीं चाहते हैं। कैंसर से संबंधित दवाओं पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। दिव्यांगों के लिए रेट्रोफिटमेंट किट पर अब 5% जीएसटी लगेगा।दो जीवन रक्षक दवाओं – ज़ोल्गेन्स्मा और विलटेप्सो को जीएसटी में छूट दी गई है। जीएसटी परिषद की बैठक में सात राज्यों के उप मुख्यमंत्री शामिल हुए। इस बैठक में अरुणाचल प्रदेश के चौना मेन, बिहार के उप मुख्यमंत्री राज किशोर प्रसाद, दिल्ली के मनीष सिसोदिया, गुजरात के नितिन पटेल, हरियाणा के दुष्यंत चौटाला, मणिपुर के युमनाम जोए कुमार सिंह और त्रिपुरा के जिष्णु देव वर्मा मौजूद थे।इसके अलावा कई राज्यों के वित्त या भी मुख्यमंत्री की ओर से नामित मंत्री भी शामिल हुए।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलान किया कि कोरोना की दवाओं पर मिलने वाली जीएसटी में छूट 31 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। इसका मतलब यह हुआ कि कोरोना दवाओं पर जीएसटी की कम दर साल के अंत तक रहेगी। जीएसटी परिषद की इस बैठक में बायोडीज़ल पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत करने को मंजूरी मिली है। धातुओं पर जीएसटी 5% से बढ़ाकर 18% करने पर भी फ़ैसला हुआ है। जीएसटी परिषद की यह बैठक अहम दो कारणों से थी। एक तो जीएसटी के टैक्स स्लैब में बदलाव होना था, यानी कुछ चीजों को एक टैक्स स्लैब से निकाल कर दूसरे टैक्स स्लैब में डाला जाना था। दूसरा और सबसे अहम मुद्दा था पेट्रोलियम उत्पादों यानी डीज़ल और पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाना।