सैनिक स्कूल रेवाड़ी में भारतीय नौसेना दिवस पर वेबीनार का आयोजन

सेक्टर- 4 स्थित सैनिक स्कूल रेवाड़ी में भारतीय नौसेना दिवस पर वेबीनार का आयोजन किया गया। इस वेबीनार में विद्यालय के नौ कैडेटो कैडेट अमनझा, कैडेटकौशलचौहान, कैडेट अनिकेत, कैडेट अरिनयादव, कैडेटप्रदीप, कैडेट पीयूषराय, कैडेटअभय,कैडेट कुनालचौहान, कैडेट रेखा ने भाग लिया। वेबीनार में कैडेटों ने ‘इंडियननेवी:एवेऑफलाईफ’ विषय पर विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारतीय नौसेना भारतीय सेना का महत्वपूर्ण अंग है। सन् 1613 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी की युद्धकारिणी सेना के रूप में इंडियन मेरीन संगठित की गई। 1685 ई. में इसका नामकरण “बंबई मेरीन” हुआ, जो 1830 ई. तक चला। 8 सितंबर 1934 ई. को भारतीय विधानपरिषद् ने भारतीय नौसेना अनुशासन अधिनियम पारित किया और रॉयल इंडियन नेवी का प्रादुर्भाव हुआ। भारत की आजादी के पश्चात 1950 में नौसेना का पुनर्गठन किया गया था इसे भारतीय नौसेना का नाम दिया गया यह भारतीय सेना का सामुद्रिक अंग है जो अपने गौरवशाली इतिहास के साथ देश की समुद्री सीमाओं को सुरक्षित करने और साथ ही साथ बंदरगाह यात्राओं, संयुक्त अभ्यास, मानवीय मिशन, आपदा राहत आदि जैसे कई तरीकों से भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभाती है। प्रतिवर्ष 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। यह दिन 1971 के युद्ध में जीत हासिल करने वाली नौसेना की शक्ति और बहादुरी के जश्न के रूप में मनाया जाता है।‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के तहत 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची नौसैनिक अड्डे पर हमला बोल दिया था। इस ऑपरेशन की सफलता को ध्यान में रखते हुए 04 दिसंबर को हर साल नौसेना दिवस मनाया जाता है। विद्यालय उप-प्राचार्य कमल सिंहरावत नेभारतीय नौसेना दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए भारतीय नौसेना के अदम्य साहस के विषय में जानकारी प्रदान कर कैडेटों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना केवल तकनीकी रूप से विकसित सेवाही नहीं अपितु देश की सुरक्षा व नियति तय करने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। भारतीय नौसेना विश्व की एक प्रमुख शक्ति बनने की भारत की महत्वाकांक्षा को सफल बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। इसके साथ ही उन्होंने विद्यालय द्वारा देश को भावीसैन्य अधिकारीप्रदान करने के उद्देश्य से इस प्रकार के कार्यक्रम व गतिविधियां आयोजित करने हेतु पूर्ण रूप से परिपक्व बताया तथा कैडेटो के प्रयासों की सराहना की।

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