हरियाणा में भाजपा को बेदखल करने के लिए कांग्रेस को भाजपा बनना पड़ेगा

रणघोष खास. प्रदीप नारायण


हरियाणा की मौजूदा राजनीति में कांग्रेस हाईकमान ने नया प्रदेश अध्यक्ष बदलकर उसके चारों तरफ चार कार्यकारी अध्यक्ष खड़ा करके जो बदलाव किया है उससे खास फायदा पार्टी को होने वाला नहीं है। यह महज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा को पूरी तरह व थोड़ा बहुत सीनियर नेत्री किरण चौधरी एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला को खुश करने वाली बात है। इससे हलका सा पार्टी में हुडा विरोधी कुछ नेताओं को कुछ बैचेनी हो सकती है। यह फेरबदल ऐसा है जैसा घरों में लंबे समय बाद फर्नीचर की जगह बदल देने से नया लुक आता है। इससे कांग्रेस के अंदर- बाहर तो परिवर्तन का अहसास होगा। सत्ता पर काबिज भाजपा- जेजेपी की सेहत पर इसका असर पड़ेगा यह सोचना खुद पर शक करना होगा।

दरअसल भाजपा अब देश प्रदेश में राजनीति की प्रयोगशाला बन चुकी है जहां दिन रात डिमांड- सप्लाई के हिसाब से फार्मूले तैयार होते हैं। संगठन के तौर पर कांग्रेस भाजपा से उतनी पीछे जा चुकी है जितना पाकिस्तान को चीन- अमेरिका का कर्ज उतारने में अपना सबकुछ दांव पर लगाना पड़ रहा है। देश के इतिहास में पहली बार सड़कें बेहिसाब महंगाई को देखकर खामोश है। आक्रोश ने मानो अपना मिजाज ही बदल लिया हो। इसकी एक नहीं अनेक वजह हैं जिसने देश की जनता की आवश्यकताओं व सोचने समझने की क्षमता को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। इसमें कोई दो राय नहीं हरियाणा में हुडा ही कांग्रेस का असली चेहरा है। इसे समझने में पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने उतनी देरी कर दी जितना कोरोना की पहली लहर को समझने में चीन गलती कर बैठा था।  जिस मुख्यमंत्री मनोहरलाल खटटर को खटारा सरकार बताकर कांग्रेस इतराती थी अब वह उसी के राजनीति गणित को समझने के लिए अपने सिर को खुजला रही है। इसकी वजह भी साफ है खट्‌टर सरकार के पीछे संगठन खंडा है तो कांग्रेस के पीछे व्यक्ति विशेष..। भाजपा किसी भी समय सीएम को बदलकर किसे बैठा दे। इससे भाजपा संगठन व प्रदेश की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा कांग्रेस में छोटा पदाधिकारी इधर उधर कर दो। ऐसे हल्ला मचेगा मानो मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर मार दिया हो। इसी मानसिकता का नतीजा है कि भाजपा के कार्यकर्ता हर तरह के बदलाव के लिए खुद को तैयार रखते हैं जबकि कांग्रेस में बदलाव से पहले ही भगदड़ शुरू हो जाती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई का दर्द यहीं बयां कर रहा है।

 भाजपा को कमजोर करने के लिए भाजपा बनना पड़ेगा

जिस तरह लोहे को लोहा काटता है उसी तरह राजनीति में अब भाजपा ही भाजपा को कमजोर कर सकती है। यह बात कांग्रेस को समझनी होगी। राजनीति में विचारधारा अब उसी तरह काम करती है जिस तरह आजकल के डॉक्टर्स अपने अस्पताल में मरीजों की कम- ज्यादा संख्या देखकर तय करते हैं कि मरीज को रेफर करने में भलाई है या फिर खुद इलाज करने में..। जो हनुमान चालीसा बचपन में भूत पिशाच से मुकाबला करने के लिए याद कराई जाती थी वह इन दिनों नेता एक दूसरे का भूत उतारने में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए भाजपा का भूत उतारने के लिए  कांग्रेस को वह सबकुछ करना पड़ेगा जिसका इस्तेमाल करके भाजपा चारों तरफ से मजबूत हो चुकी है।

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