दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने रविवार को दिल्ली सरकार द्वारा 1000 लो फ्लोर बसों की खरीद की केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई से जांच कराने को मंजूरी दे दी। इस मंजूरी के बाद दोनों- उप राज्यपाल सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के बीच फिर से जुबानी जंग बढ़ने के आसार हैं। केजरीवाल सरकार ने कहा है कि यह राजनीतिक द्वेष से कार्रवाई की जा रही है। मुख्य सचिव नरेश कुमार ने सीबीआई जाँच के लिए अनुरोध किया था। कहा गया कि उन्होंने जून में प्राप्त एक शिकायत के आधार पर यह अनुरोध किया था। शिकायत में डीटीसी बसों के टेंडर और खरीद से संबंधित समिति के अध्यक्ष के रूप में दिल्ली परिवहन मंत्री की नियुक्ति में अनियमितता का आरोप लगाया गया था। इसमें यह भी कहा गया कि निविदा के लिए प्रबंधन सलाहकार के रूप में दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मॉडल ट्रांजिट सिस्टम यानी डीआईएमटीएस की नियुक्ति खरीद में अनियमितताओं को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से की गई थी।पिछले साल शिकायत के बाद बस खरीद का टेंडर रद्द कर दिया गया था।इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार उपराज्यपाल को अगस्त में मुख्य सचिव से एक रिपोर्ट मिली थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि निविदा प्रक्रिया में गंभीर विसंगतियाँ की गई थीं। रिपोर्ट में कहा गया, ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिशा-निर्देशों और सामान्य वित्तीय नियमों का घोर उल्लंघन है।’ इसमें यह भी कहा गया कि डीआईएमटीएस को जानबूझकर एक सलाहकार बनाया गया था ताकि निविदा प्रक्रिया में विसंगतियों का समर्थन किया जा सके।इस बीच आम आदमी पार्टी ने उप राज्यपाल सक्सेना पर तीखा हमला किया है। उसने उपराज्यपाल पर पलटवार करते हुए कहा कि वह अपने खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से ध्यान हटाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। आप ने संजय सिंह के एक वीडियो बयान को ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने खादी के चेयरमैन रहने के दौरान वीके सक्सेना पर गंभीर आरोप लगाए हैं।