रणघोष की सीधी सपाट बात

15-20 सालों से दो प्राइवेट स्कूल चलाता रहा यह जेबीटी शिक्षक, कार्रवाई के नाम पर अधिकारियों की आंखों में मोतियाबिंद


-भास्कर ने इस शिक्षक को ज्ञानदीप स्कूल का संचालक बताया

– रामपुरा हाउस ने इस मास्टर से पल्ला झाड़ा, नो एंट्री का बोर्ड


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी

क्या एक सरकारी जेबीटी शिक्षक डयूटी पर रहते हुए दो प्राइवेट स्कूल का संचालन कर सकता है। क्या इस शिक्षक की हरकतों को देखकर शिक्षा अधिकारियों की आंखें बंद हो जाती है। सरेआम- सार्वजनिक तौर पर शिक्षक की खाल में यह शख्स केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के नाम का कई सालों से परमिट की तरह इस्तेमाल करता रहा। उसकी भनक राव इंद्रजीत सिंह तक क्यो नहीं लगने दी। क्या अधिकारियों को धमकाते इस शख्स का विडियो नहीं बनता तो इसके कारनामें पता होते हुए पहले की तरह छुपा दिए जाते। पिछले 15-20 सालों से यह अरूण यादव नाम के इस शख्स ने अपने निजी स्कूलों को चलाने के लिए क्या सभी नियमों एवं मान्यताओं को पूरा किया हुआ है। इसने कितने समय स्कूल डयूटी के समय बच्चों को पढ़ाया यह बच्चे ही व उनके अभिभावक ही बेहतर बता सकते हैं। स्कूल के हाजिरी रजिस्टर में तो यह बेहद अनुशासित एवं समर्पित शिक्षक ही नजर आएगा। वजह यह अपने स्कूल के मुखिया से लेकर शिक्षा अधिकारियों को राव इंद्रजीत सिंह के नाम पर प्यार से या दबंगई से दबाता रहा है। स्कूल में नकल कराने के नाम पर इसकी हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी की तरफ से तैनात स्टाफ से भी बदतमीजी की शिकायतें दर्ज होती रही हैं। बेशक यह चतुराई से अपने दोनों निजी स्कूलों के रिकार्ड में सदस्य तक नहीं होगा लेकिन इसका अधिकतर समय इन्हीं संस्थाओं को संभालने में जाता है। सीसीटीवी कैमरे से इसकी लोकेशन से यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह शख्स सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कितना खिलवाड़ कर रहा है। पहले से ही सरकारी शिक्षा का स्तर गिरा हुआ है रही सही कसर इस तरह के बाजारू व पांखडी शिक्षक पूरी कर देते हैं।

 भास्कर ने इस शिक्षक को ज्ञानदीप स्कूल का संचालक बताया


रेवाड़ी भास्कर में आरटीओ को लेकर छपी खबर में अरूण कुमार को ज्ञानदीप स्कूल का संचालक बताया गया है। साथ ही इस शख्स से खुद को स्कूल का संचालक बताते हुए सफाई दी है कि उसके स्कूल की बस का इंजन सीज हो गया था। एक माह से वर्कशाप में खड़ी थी। जब यह ठीक होकर बावल पहुंची तो आरटीए ने चालान कर दिया। अब सवाल उठता है कि क्या एक सरकारी शिक्षक एक ही समय में बच्चों को पढ़ाते हुए निजी स्कूल का संचालन भी कर सकता है। क्या इसके लिए भी शिक्षा अधिकारियों को लिखित में शिकायत का इंतजार है। क्या उन्हें पता होते हुए भी कुछ भी नजर नहीं आ रहा। अगर अधिकारियों की यही मनो दशा है तो सरकार इन पर लाखों करोड़ों रुपए वेतन  व अन्य सुविधाओं के नाम पर क्यों खर्च कर रही है। क्या ये अधिकारी सिर्फ बिना रसूक साधारण व बिना प्रभावशाली लोगों के खिलाफ ही कार्रवाई कराने के लिए बैठा रखे हैं।

 रामपुरा हाउस ने इस मास्टर से पल्ला झाड़ा, नो एंट्री का बोर्ड


अभी तक तो यह शख्स बिना सबूत के केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की नजरों से बचता रहा। विडियो वायरल होने पर अब इसके पास बचाव के लिए कुछ नहीं बचा। राव इंद्रजीत सिंह की यह फिदरत रही है कि वे  उनके नाम पर दादागिरी दिखाने वाले किसी भी कार्यकर्ता की नो एंट्री कर देते हैं। वजह आज भी इलाका राव इंद्रजीत सिंह को साफगोई के तौर पर ज्यादा पंसद करता है। इस शख्स का पूरा चिटठा राव के पास पहुंचने के बाद स्पष्ट दिशा निर्देश दे दिए गए हैं कि अपने निजी स्वार्थ के लिए राव की छवि को चोट पहुंचाने वाला हमारा कार्यकर्ता नहीं हो सकता।

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