पढ़ाने को समझ रहे सजा, धरने में आ रहा मजा
:- सर्दी में छत की धूप, गर्मी में ठंडी हवा चाहिए, नहीं तो शिक्षा खतरे में, गुरुजी नाराज हो जाएंगे
रोज 2 घंटे पढ़ा नहीं सकते लेकिन ढाई घंटे धरना जरूर दे सकते हैं
:-कायदे से गुरु कभी गलत नहीं हो सकता इसलिए सारी गलती सरकार की।
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
जनवरी माह की सर्दी कायदे से शिक्षण संस्थानों में बच्चों एवं शिक्षकों के लिए घर में बैठकर गूंद के लडडू, तरह तरह के चुरमा, मूंगफली, गजक, गाजर का हलवा समेत अनेक पकवानों के साथ छत की धूप में आनंद लेने के लिए हैं। इसमें किसी तरह का दखल सीधे तौर पर बच्चों के स्वास्थ्य एवं भविष्य के लिए खतरा है और गुरुजनों के आत्मसम्मान पर सीधी चोट। इसी तरह गर्मी के मई-जून माह में चलने वाली झुलसाती लू में शिक्षकों व बच्चों को स्कूल आने के लिए मजबूर करना सरकार के तानाशाह रैवया को दर्शाता है और शिक्षक- बच्चों पर सीधा अत्याचार। ऐसे में सर्दी एवं गर्मियों में स्कूल बुलाने के नाम पर जारी होने वाले फतवों का जवाब देने के लिए विशेषतौर से सरकारी शिक्षकों के पास धरने पर बैठने के अलावा कोई चारा नहीं है। लिहाजा पिछले दो दिनों से रेवाड़ी समेत अनेक जिलों के जिला सचिवालय पर बच्चों को पढ़ाने के नाम पर जबरदस्ती स्कूल बुलाने के विरोध में हसला के बैनर तले शिक्षकों ने रोज ढाई घंटे धरना देना शुरू कर दिया है जबकि स्कूल में एक शिक्षक को मुश्किल दो घंटे पढ़ाने के लिए आना है। इस विशेष डयूटी को भी शिक्षा निदेशालय ने अर्जित अवकाश मानकर इस पर मिलने वाली राशि देने की बात कही है। यानि शिक्षकों को स्पेशल कक्षा लेने के लिए अलग से भुगतान किया जाएगा। गुरु कभी गलत नहीं हो सकता। इसलिए यहां शिक्षा निदेशालय पूरी तरह से दोषी नजर आ रहा है। निदेशालय की गलती यह है कि उन्होंने पिछले दिनों हुए पंचायती चुनाव में शिक्षकों की डयूटी लगने से प्रभावित हुई बच्चों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया था ताकि बोर्ड की परीक्षा में कोई बच्चा पीछे नहीं रह जाए। यहां कमाल की बात देखिए जो सरकारी शिक्षक स्कूल में पढ़ाने का विरोध कर रहे हैं उसमें अधिकांश के बच्चे बोर्ड की परीक्षा की तैयारियों में निजी स्कूल, कोचिंग सेंटरों पर सुबह शाम पढ़ने के लिए जा रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा हरियाणा पंचकूला के निदेशक की तरफ से जारी पत्र के अनुसार एक से 15 जनवरी तक सभी सरकारी एवं प्राइवेट स्कूल बंद रहेंगे। बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनजर कक्षा 10 वीं व 12 वीं के विद्यार्थियों के लिए विद्यालयों द्वारा प्रात: 10 से दोपहर 2 बजे तक परीक्षा की तैयारी हेतु कक्षाओ का आयोजन होगा। संबंधित अध्यापकों को विभागीय निम्मानुसार अर्जित अवकाश प्रदान किया जाएगा। जो एक निर्धारित राशि के तौर पर शिक्षकों के वेतनमान व अन्य भत्तों में जुड़ जाएगी। कायदे से एक शिक्षक के हिस्से में दो या अधिकतम तीन पीरियड आते हैं। एक पीरियड 40 मिनट का होता है। अधिकतम दो घंटे एक शिक्षक को बच्चो के बेहतर भविष्य के नाम पर देने हैं वह भी 15 जनवरी तक। इसमें भी 4 चार अवकाश आ रहे हैं। शिक्षा अधिकारी एवं जिम्मेदार शिक्षकों की माने तो अधिकतर शिक्षक पढ़ाने के नाम पर सुबह 10 बजे की बजाए 11 बजे पहुंच रहे हैं और एक बजे इधर उधर हो जाते हैं। कक्षा में कितनी गंभीरता से शिक्षक पढ़ाते हैं यह बताने की जरूरत नहीं है। कमाल की बात यह है कि स्कूल में दो घंटे बच्चों को पढ़ाने की बजाय ढाई घंटे सचिवालय के सामने धरने पर बैठना शिक्षक के किस स्वरूप को दर्शाता है यह गौर करने लायक बात है।
शिक्षक- बच्चों को ही सर्दी गर्मी से खतरा क्यों है आमजन को क्यों नहीं
जिन बच्चों को सर्दी या गर्मी के नाम पर छुटटियां मिलती है उनके माता-पिता या परिवार के सदस्य उस दौरान रूटीन की तरह काम पर क्यों जाते हैं। क्या उनका शरीर एक ही परिवेश में होते हुए अलग तापमान से बना हुआ है। इसी तरह बच्चों के स्वास्थ्य के नाम पर सर्दी व गर्मी की छुटटियों को मौलिक अधिकार समझने वाले शिक्षक बता पाएंगे कि वे धरना प्रदर्शन करके शिक्षा के स्तर को किस दिशा में ले जाकर देश के बेहतर भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।