रणघोष में पढ़िए बदल रही राजनीति के मायने

 हरको बैंक से हरियाणा टूरिज्म बोर्ड चेयरमैन बनने का असर


 अरविंद यादव एक बार फिर लुहार के हथौड़े की तरह अपना काम कर गए


रणघोष खास. सुभाष चौधरी


दक्षिण हरियाणा की राजनीति में भाजपा के वरिष्ठ नेता अरविंद यादव एक बार फिर अच्छी खासी सुर्खियां बटोर रहे हैं। वजह भी साफ है जब उन्हें पार्टी संगठन या सरकार में बड़ी जिम्मेदारियां दी जाती है तो भाजपा का एक धड़ा प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष तौर पर इसे बगावती सम्मान बताकर हमला करना शुरू कर देता है। जब रूटीन में उनसे जिम्मेदारी वापस ले ली जाती है तो यही धड़ा इसे पार्टी का अनुशासन बताकर स्वागत करने में लग जाता है।  दरअसल इस छोटे से पूरे घटनाक्रम में अरविंद विरोधी धड़े का असर सुनार की हथौड़ी जितना साबित हुआ। 100 बार वार करने के बाद ही सुनार के चेहरे पर मुस्कान आती है जबकि अरविंद यादव लुहार के हथौड़े के अंदाज में एक बार में ही अपना काम कर गए। हरको बैंक चेयरमैन पद पर तीसरी साल वापसी नहीं हुई तो लगा कि विरोधियों ने उन्हें घर बैठाकर अपने इरादों को पूरा कर लिया है। 8 दिनों तक  अरविंद यादव समर्थकों में शांति के साथ सन्नाटा पसरा रहा। सोशल मीडिया पर इधर उधर से केंद्रीय  मंत्री राव इंद्रजीत सिंह समर्थकों की आ रही खबरें यह साबित करने में लगी हुई थी कि राव के खिलाफ इरादे रखने वालों की राजनीति में उम्र लंबी नहीं होती है। 5 जनवरी शाम को राज्य सरकार ने अरविंद यादव को हरको बैंक से भी बड़ी जिम्मेदारी वाले हरियाणा टूरिज्म बोर्ड का चेयरमैन बनाने की सूचना जारी की तो नजारा ही बदल गया। दरअसल अरविंद यादव की राजनीति को समझने में राव समर्थकों को पूरी तरह भाजपाई बनना पड़ेगा। भाजपा की  वर्क स्टाइल कांग्रेस या अन्य दलों में व्यक्ति विशेष के प्रभाव वाली नहीं है। खुर्द कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को पता नहीं होता कि संगठन व सरकार कब किस समय उन्हें जिम्मेदारी थमा दे और कब इससे मुक्त कर दें। कहने को पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने 2019 में राव समर्थित सुनील मुसेपुर को टिकट मिलने पर भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा। कायदे से वे बागी थे लेकिन भाजपा का आला कमान एवं शीर्ष पदाधिकारी, नेता एवं मंत्री रेवाड़ी आने पर कापड़ीवास का उतना ही सम्मान करते हैं जितना पार्टी में रहकर करते थे। मतलब साफ है दक्षिण हरियाणा में भाजपा के भीतर भी दो तरह की भाजपा अपना काम कर रही है। राव इंद्रजीत सिंह समर्थक अपने नेता को ही भाजपा मानते हैं जबकि अन्य पार्टी के बनाए तौर तरीकों में अपना वजूद देखते हैं। राव अहीरवाल के सबसे बड़े जमीनी नेता है। इसका अहसास भाजपा हाईकमान को भी है इसलिए वह अनेक मौकों पर संतुलन बनाकर चलती है ताकि आपसी चौधराहट एवं सम्मान की लड़ाई में पार्टी को कोई नुकसान नहीं हो। कुल मिलाकर अरविंद यादव की यह नई ताजपोशी संतुलन का भी  काम करेगी। इससे पहले हरको बैंक चेयरमैन रहते हुए अरविंद यादव का अनेक मामलों में अपने ही महकमें के सहकारिता मंत्री एवं राव समर्थित डॉ.  बनवारीलाल से टकराव होता रहा है। इसका नकारात्मक असर अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर भी पड़ा है।

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