पुलिस में फर्जीवाड़े से कॉन्स्टेबल बनी, चुपचाप रिटायरमेंट भी

उदयपुर में 15 साल नौकरी करती रही; पति के कारण पोल खुली


रणघोष अपडेट. राजस्थान से 

पुलिस डिपार्टमेंट में झारखंड की एक महिला की फर्जी तरीके से नौकरी लगने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि महिला 15 साल से नौकरी कर रही थी, लेकिन किसी अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लगी। जब उसके पति ने फर्जीवाड़े का शिकायत की तो मामले का खुलासा हुआ। मामला उदयपुर का है। दरअसल, राजस्थान पुलिस ने 14 जून 2005 को झारखंड की रहने वाली हीरा गगराई ने महिला कॉन्स्टेबल पद के लिए एसटी वर्ग में आवेदन किया। साथ में अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र भी लगाया। जबकि हीरा मुंडा जाति से संबंधित थी। यह जाति प्रदेश में अधिसूचित ही नहीं थी। ऐसे में वह सामान्य श्रेणी में आवेदन करने के लिए ही पात्र थी।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार दरअसल, नियम है कि राजस्थान से बाहरी राज्य वाले एसटी-एससी कैंडिडेट सिर्फ जनरल कैटेगरी में ही आवेदन कर सकते हैं। राजस्थान के मूल निवासी को ही एसटी-एससी का फायदा मिलता है, लेकिन इस मामले इस नियम को दरकिनार कर दिया।

भर्ती के दौरान इस महिला के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन जांचने वाले अफसर सवालों के घेरे में है कि उन्होंने मूल रूप से बाहरी राज्य की महिला को एसटी वर्ग में नियुक्ति कैसे दे दी? उन अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

महिला हीरा गगराई मुंडा जाति की है। ये जाति झारखंड में शिड्यूल् ट्राइब के रूप में अधिसूचित है, लेकिन राजस्थान में ये जाति शिड्यूल ट्राइब के रूप में अधिसूचित नहीं है। ऐसे में इस महिला को राजस्थान की भर्ती में सिर्फ जनरल कैटेगरी में लाभ मिलना था।

तलाक का नोटिस दिया तो पति ने की शिकायत

हीरा की 2005 में झारखंड के ही बीएसएफ हवलदार सुनील बारी से शादी हुई थी। रिटायर्ड होने के बाद सुनील भी हीरा के साथ उदयपुर पुलिस लाइन के क्वाटर में रहने लगा। 2016 में दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हो गया था। इसके बाद सुनील हीरा को छोड़कर पुत्री को लेकर गांव चला गया। 2018 में हीरा ने उसे तलाक का नोटिस भेजा। इसके बाद सुनील ने उदयपुर पुलिस के अधिकारियों को हीरा के फर्जीवाड़े से पुलिस में भर्ती होने की शिकायत की।

भर्ती के दौरान दो साल ज्यादा थी उम्र भी
पति की शिकायत के बाद एसपी विकास शर्मा ने 22 अक्टूबर 2022 को मामले की जांच महिला अपराध एवं जांच प्रकोष्ठ की उपअधीक्षक चेतना भाटी को सौंपी। 16 दिसंबर को कांस्टेबल को नोटिस जारी किया। 28 को उसने आरोपों को खारिज करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की। भाटी ने पाया कि हीरा ने गलत ढंग से एसटी वर्ग में नियुक्ति पा ली। वह सामान्य वर्ग में भी आवेदन की पात्र नहीं थी। क्योंकि उसका जन्म 29 दिसंबर 1978 को हुआ था, जबकि सामान्य वर्ग में भर्ती के लिए 1 जनवरी 1980 निर्धारित थी। हीरा संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाई। इस पर आरोपों को प्रमाणित मानते हुए एसपी ने 16 जनवरी 2023 को वीआरएस दे दिया। बताया जाता है कि हीरा अब तक करीब 45 लाख रुपए वेतन ले चुकी है। अभी वह 50 हजार रुपए मासिक वेतन ले रही थी। शर्मा ने जांच के बाद अपने आदेश में लिखा- महिला कॉन्स्टेबल हीरा गगराई द्वारा दिया गया जबाव सही नहीं पाए जाने और लगाए गए आरोप पूरी तरह प्रमाणित पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि शिकायत के बाद महिला कांस्टेबल के खिलाफ विभागीय जांच हुई थी। इसके बाद ही वीआरएस दिया गया है। भर्ती के दौरान प्रमाण पत्र की ठीक से जांच नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
कॉन्स्टेबल से हो रिकवरी
वकील राकेश मोगरा ने कहा- भर्ती के समय राजस्थान में मान्य नहीं होने वाले प्रमाण पत्र को पेश कर नौकरी लेना कानूनन गलत है। पुलिस को एफआईआर दर्ज कर लिए गए परिलाभों की विभागीय रिकवरी करनी चाहिए। दस्तावेजों की जांच करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

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