कोरोना का टीका लगवाने से हमारे नेता क्यों घबरा रहे हैं ? यह कैसी देशभक्ति

रणघोष खास. देशभर से


वैक्सीन कोरोना वायरस से सुरक्षा देगी और उनके शरीर पर कोई बुरा असर नहीं होगा। यह भरोसा बनाने के लिए अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन और उनकी पत्नी ने सार्वजनिक रूप से वैक्सीन लगवाई। अमेरिकी संसद के निचले सदन की स्पीकर और उच्च सदन के सभापति यानी उप राष्ट्रपति ने भी वैक्सीन लगवाई। हालांकि इसके बावजूद अमेरिका में वैक्सीन लेने वालों का भरोसा नहीं बना और जब कई जगह वैक्सीन का स्टॉक फेंका जाने लगा तो उसके स्टॉक के नए नियम बने।इसी तरह इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दिसंबर में अपने देश में टीकाकरण शुरू होते ही सबसे पहले टीका लगवाया। उन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज भी लग गई है। इसके अलावा यूरोपीय संघ के देशों के नेताओं से लेकर अरब देशों के शेखों तक हर जगह बड़े नेताओं ने सार्वजनिक रूप से टीका लगवाया है। लेकिन भारत में स्थिति बिल्कुल अलग है। यहां सरकार की ओर से दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोहपूर्वक टीकाकरण अभियान का उद्घाटन किया, लेकिन टीका किस किस ने लगवाया यह बताने की जरूरत नहीं है।  भारत सरकार ने एलान किया है कि देश में कोरोना का टीका पहले चरण में एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगाया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद कहा कि फ्रंटलाइन वर्कर्स में सफाई कर्मचारी भी शामिल हैं। यानी सफाई कर्मचारियों को भी पहले चरण में कोरोना का टीका लगाया जाएगा। इसके अलावा पुलिस, अर्धसैनिक बल और सैन्य बलों के लोगों को भी पहले चरण में ही टीका लगाया जाएगा। सोचने वाली बात है कि जो लोग ऑर्डर ऑफ़ प्रेसिडेंस यानी प्रोटोकॉल में सबसे ऊपर आते हैं और देश के पहले, दूसरे या तीसरे नागरिक कहे जाते हैं, वे फ्रंटलाइन वर्कर नहीं हैं। इसीलिए ये लोग फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ टीका नहीं लगवा रहे हैं।

अखिलेश और शिवराज का इनकार

प्रधानमंत्री भले ही कह रहे हों कि नेता लोग पहले टीका लगाने के लिए मारामारी न करें, लेकिन हकीकत यह है कि कोई नेता मारामारी कर ही नहीं रहा है। सब टीका लगवाने से खुद ही बच रहे हैं। कई मुख्यमंत्रियों और पूर्व मुख्यमंत्रियों ने टीका लगवाने से इनकार कर दिया है और बहाना बनाया है कि पहले ज़रूरतमंदों को लगे। सबसे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अलग-अलग कारणों से घोषणा की कि वे टीका नहीं लगवाएंगे। शिवराज सिंह ने जहां टीकाकरण में आम जरूरतमंद लोगों को प्राथमिकता देने की बात कही, वहीं अखिलेश यादव ने वैक्सीन की विश्वसनीयता पर संदेह जताया।टीकाकरण से खुद को बचाते इन नेताओं के इस रवैये को देख कर पहली नजर में तो यही लगेगा कि ये लोग देश के लिए कितना सोचते हैं। लेकिन जरा सा ध्यान से देखेंगे तो ये सवाल खड़ा होगा कि क्या ये लोग वैक्सीन की गुणवत्ता को लेकर संशय में हैं? अन्यथा कोई कारण नहीं है कि जहां तीन करोड़ लोगों को टीके लग रहे हैं, वहां पांच हजार और लोगों को न लग पाएं। जी हां, देश में सांसदों, विधायकों आदि की कुल संख्या पांच हजार के लगभग है। इसमें प्रधानमंत्री, उनके 55 मंत्री और साथ ही राज्यों के राज्यपाल, उप राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक आदि सब शामिल हैं। हैरान करने वाली बात यह भी है कि जहां पहले चरण में तीन करोड़ लोगों को टीका लग रहा है, वहां क्या पांच हजार और लोगों को टीका नहीं लग सकता है? क्या इससे टीके घट जाएंगे?

कांग्रेस की आपत्ति

देश में टीकाकरण की इस स्थिति पर कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि तीसरे चरण के परीक्षण का डाटा आए बगैर ही सरकार ने कोवैक्सीन को मंजूरी देकर देश के लोगों को गिनी पिग बना दिया है। कांग्रेस को इस पर भी आपत्ति है कि सरकार लोगों को अपनी पसंद की वैक्सीन चुनने नहीं दे रही है। इस पूरी स्थिति पर सरकार की ओर से कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं आया है। बस प्रधानमंत्री मोदी यही कह रहे हैं कि भारत बायोटेक की वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही स्वीकृति दी है, इसलिए लोग अफवाहों से दूर रहें। इसी तरह स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी कह रहे हैं कि वैक्सीन कोरोना के ख़िलाफ़ संजीवनी की तरह काम करेगी। देश और दुनिया में अनेक असाध्य और जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए सैकड़ों किस्म की वैक्सीन बनी हैं और बचपन से ही लोगों को लगनी शुरू हो जाती हैं। लेकिन ज्ञात इतिहास में कभी किसी वैक्सीन को लेकर संशय का ऐसा माहौल नहीं बना, जैसा कोरोना की वैक्सीन को लेकर बना है। असल में वैक्सीन से किसी बात की गारंटी नहीं मिल रही है। वैक्सीन की डोज के साथ यह नसीहत दी जा रही है कि मास्क लगाए रखना है, दो गज की दूरी रखनी है, हाथ धोते रहना है या सैनिटाइज करते रहना है। जब तक वैक्सीन नहीं थी तब तक भी इसी उपाय से लोग बचते रहे थे और वैक्सीन के बाद भी ये ही उपाय करने है तो वैक्सीन का क्या मतलब है?

 

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