पहली बार पूर्ण डिजिटल होगी जनगणना, मोबाइल से जुटाए जाएंगे आंकड़े; 2011 से क्या होगा बड़ा बदलाव?

नई दिल्ली। भारत में पहली बार पूरी तरह डिजिटल जनगणना होने जा रही है। अगले साल से शुरू होने वाली इस प्रक्रिया में करीब 34 लाख प्रगणक यानी जनगणना कर्मी अपने ही स्मार्टफोन से डेटा इकट्ठा करेंगे और उसे सीधे केंद्रीय सर्वर पर अपलोड करेंगे।

2011 से कैसे अलग होगी यह जनगणना?

2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना में भी डिजिटल तकनीक का प्रयोग किया गया था, लेकिन तब भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) की ओर से टैबलेट दिए गए थे। इस बार कर्मियों को किसी टैबलेट की जरूरत नहीं होगी, बल्कि वे अपने Android या iOS फोन पर बने विशेष ऐप से आंकड़े दर्ज करेंगे।

  • ऐप को पहले 2021 की जनगणना के लिए विकसित किया गया था।

  • अब इसमें तकनीकी सुधार किए गए हैं ताकि यह सभी के लिए आसान और सहज हो।

  • ऐप अंग्रेजी सहित क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध होगा।

जियो-टैगिंग पहली बार

2027 की जनगणना में पहली बार सभी आवासीय और गैर-आवासीय भवनों की जियो-टैगिंग होगी। इससे देशभर में मकानों और इमारतों का सटीक डिजिटल नक्शा तैयार किया जा सकेगा।

पूरी तरह डिजिटल डेटा

अगर किसी कारणवश कोई कर्मी कागज पर डेटा इकट्ठा करता है तो उसे बाद में डेडिकेटेड वेब पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इसका मतलब यह है कि पहली बार सभी आंकड़े शुरू से ही डिजिटल रूप में सुरक्षित रहेंगे। इससे परिणाम भी पहले की तुलना में काफी जल्दी आने की संभावना है।

दो चरणों में होगी जनगणना

  • पहला चरण (अप्रैल से सितंबर 2026): मकान सूचीकरण का कार्य।

  • दूसरा चरण (फरवरी 2027): पूरे देश में जनसंख्या गणना।

    • हालांकि, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में यह कार्य सितंबर 2026 में ही पूरा हो जाएगा।

बजट और नई सुविधाएं

भारत के महापंजीयक (RGI) ने इस प्रक्रिया के लिए 14,618.95 करोड़ रुपये का बजट मांगा है।

  • रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए एक विशेष वेबसाइट भी विकसित की जाएगी।

  • नागरिकों को पहली बार स्व-गणना (Self Enumeration) का विकल्प भी मिलेगा।

  • घर के सदस्यों की जातियों की गणना भी इस बार की जाएगी।