सऊदी अरब में इस्लामिक देशों का जमावड़ा

रणघोष अपडेट. विश्वभर से 

सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सोमवार को शुरू हुए अरब-इस्लामिक देशों के सम्मेलन में गज़ा और लेबनान में इसराइल की सैन्य कार्रवाई को तुरंत रोकने की मांग की है.
उन्होंने ग़ज़ा में इसराइली हमले को ‘जनसंहार’ क़रार दिया और स्वतंत्र फ़लस्तीन राष्ट्र की स्थापना की मांग की. सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हो रहे अरब-इस्लामिक देशों के सम्मेलन में फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप्प अर्दोआन समेत 50 से अधिक देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया.माना जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के ठीक बाद आयोजित ये सम्मेलन गज़ा और लेबनान में इसराइल की कार्रवाई रोकने के लिए दबाव बनाने की रणनीति है. सऊदी अरब और दूसरे इस्लामी देश इसराइल पर ग़ज़ा और लेबनान से वापसी के लिए दबाव बनाना चाहते हैं. ट्रंप की इसमें अहम भूमिका हो सकती है.ऐसा माना जा रहा है कि जनवरी में सत्ता संभालने के बाद ट्रंप इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू पर युद्धविराम के लिए दबाव बन सकते हैं.

प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फ़लस्तीन के मुद्दे पर क्या कहा

सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सोमवार को अरब-इस्लामिक देशों के इस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि उनका देश एक बार फिर इसराइल की ओर से फ़लस्तीनियों के जनसंहार की निंदा करता है. इसराइल को इसे तुरंत रोकना चाहिए.उन्होंने सम्मेलन में हिस्सा ले रहे नेताओं की इस मांग का समर्थन किया कि इसराइल वेस्ट बैंक और गज़ा से अपने सैनिकों को पूरी तरह हटा ले.क्राउन प्रिंस सलमान ने फ़लस्तीन को एक स्वतंत्र देश का दर्जा देने की मांग करते हुए कहा, ”हमने दो राष्ट्रों के सिद्धांत को समर्थन देने के लिए एक अंतरारष्ट्रीय अभियान शुरू किया है.”उन्होंने कहा, ”फ़लस्तीन के ख़िलाफ़ निरंतर अपराध,अल-अक़्सा मस्जिद की पवित्रता के उल्लंघन और सभी फ़लस्तीनी इलाक़ों में फ़लस्तीनी अथॉरिटी की अहम भूमिका को ख़त्म करने की इसराइल की कार्रवाई फलस्तीनियों के सभी वैध अधिकार पाने की कोशिशों को कमज़ोर कर देगी.”मोहम्मद बिन सलमान ने ग़ज़ा में फ़लस्तीनियों के लिए काम करने वाली यूएन की एजेंसी यूनाइटेड नेशन्स रिलीफ़ एंड वर्क्स फ़ॉर फ़लस्तीन यानी यूएनआरडब्लूए पर प्रतिबंध लगाने की भी निंदा की है.पिछले दिनों इसराइल ने इस एजेंसी पर ये कहकर प्रतिबंध लगा दिया था इसमें शामिल लोग हमास के लड़ाकों की मदद करते रहे हैं.हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ ग़ज़ा में इसराइली हमलों में अब तक 43 हजार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

सऊदी प्रिंस ईरान पर क्या बोले

प्रिंस सलमान ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़श्कियान से हाल में बात की है सऊदी प्रिंस ने सम्मेलन में ईरान का भी मुद्दा उठाया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसराइल को ईरान की संप्रभुता का सम्मान करने के लिए बाध्य करे.उन्होंने कहा कि सऊदी अरब ईरान पर इसराइल के किसी भी हमले की कोशिश को ख़ारिज करता है.

साल 2023 में अमेरिकी मध्यस्थता में सऊदी अरब और इसराइल के बीच संबंध सामान्य करने को लेकर एक ऐतिहासिक समझौता हुआ था.

इस समझौते में फ़लस्तीनियों ने वेस्ट बैंक में इसराइल के पूर्ण कब्ज़े वाली ज़मीन पर नियंत्रण की मांग रखी थी.सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले देशों ने इसराइल-ग़ज़ा समस्या को ख़त्म करने के एक 33 सूत्री हल पेश किया है, जिसमें फ़लस्तीनियों के प्रति समर्थन ज़ाहिर किया गया.साथ ही लेबनान, ईरानी, इराक़ और सीरिया की संप्रभुता के उल्लंघन की निंदा की गई.इसमें इसराइल-ग़ज़ा संघर्ष को ख़त्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संयुक्त राष्ट्र के समाधानों और अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फ़ैसलों को लागू करवाने की अपील की गई है.

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के एक दिन बाद ही उनके साथ फ़ोन पर बात की थी.साथ ही उन्होंंने 10 नवंबर को ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़श्कियान से बात की थी.उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस फौरी संघर्ष और इसराइल की आक्रामकता को ख़त्म करने में नाकाम रहा है.सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फ़ैसल ने पिछले महीने कहा था कि जब तक फ़लस्तीनियों के अधिकार बहाल नहीं हो जाते, तब तक इसराइल से रिश्ते सामान्य करने पर बात नहीं हो सकती.

क्या फ़लस्तीन पर प्रिंस सलमान का क्या रुख़ बदलेगा?

eमध्य-पूर्व के मीडिया आउटलेट ‘अल मॉनिटर’ से बात करते हुए सऊदी अरब के राजनीतिक टिप्पणीकार और सऊदी सरकार के क़रीबी माने जाने वाली राजनीतिक टिप्पणीकार अली शिहाबी ने कहा, ”उन्हें नहीं लगता कि ट्रंप के जनवरी 2025 में सत्ता संभालने के बाद फ़लस्तीन के मुद्दे पर सऊदी अरब का रवैया बदलेगा.”

उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि इसराइल और गज़ा बीच युद्धविराम की वार्ता से क़तर के अलग हो जाने के बाद सऊदी अरब इस मामले में मध्यस्थता करना चाहेगा.

हालांकि अरब-इस्लामी देशों का ये सम्मेलन सऊदी अरब की ओर से शांति बहाल की दूसरी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

इससे पहल यूरोपियन यूनियन के मध्य-पूर्व शांति प्रक्रिया के विशेष प्रतिनिधि स्वेन कूपमैन इस साल 20 अक्तूबर को सऊदी अरब पहुंचे थे.

वो इस मामले में ईयू की पहल की कोशिश की जानकारी देने आए थे. उन्होंने कहा था कि इस पर बातचीत आगे बढ़ाने के लिए यूरोपियन यूनियन नवंबर में ब्रसेल्स में बैठक करेगा.