लक्ष्मण ने चुनाव में भ्रम नहीं पाला, कप्तान परिवार पूरे समय जीत के भ्रम में जीता रहा
रणघोष अपडेट. रेवाड़ी
रेवाड़ी विधानसभा सीट पर भाजपा की 29 हजार से ज्यादा मतों की शानदार जीत ओर कांग्रेस की शानदार हार के मायने को समझिए। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण यादव ने टिकट मिलने के बाद अपने धैर्य ओर उदार स्वभाव को अंत तक बनाए रखा। चुनाव प्रचार में कोई उतावलापन नही दिखाया। जबकि कांग्रेस से कप्तान परिवार जरूरत से ज्यादा उत्साहित ओर जीत के कई तरह के भ्रम में जीता रहा। लक्ष्मण यादव की तरकश से निकल रहे तीर सही निशाने पर लग रहे थे। उन्होंने सबसे पहले कांग्रेस उम्मीदवार चिरंजीव राव के बाहरी होने के लगाए आरोप परपहले ही झटके में मात दे दी। चिरंजीव लक्ष्मण पर आरोप लगाने से पहले भूल गए की वे मूल रूप से कई सालों से गुरुग्राम में रह रहे हैं जबकि लक्ष्मण यादव कोसली विधायक होते हुए भी कई सालों से रेवाड़ी के सेक्टर चार में रह रहे हैं। ऐसे में चिंरजीव खुद को बाहरी साबित कर गए ओर लक्ष्मण को मजबूत बना गए। लक्ष्मण यादव ने हिंदुत्व के मुददे को भी अपने भाषण में रखा। मेवात में कांग्रेसी प्रत्याशी मामन खान का विवादित बयान भी रेवाड़ी में लक्ष्मण के लिए राम बाण की तरह काम कर गया। रेवाड़ी मेवात से सटा होने की वजह से यहां के जनमानस पर इसका सीधा असर पड़ता है। भाजपा के भीतर लक्ष्मण यादव के साथ होने वाली भीतरघात असरहीन साबित हुईं। उसकी वजह लक्ष्मण यादव का जनता से सीधा जुड़ाव और अपनी उदार छवि ज्यादा असरदार रही। इस सीट पर आरएसएस ने जमकर मेहनत की। भाजपा का अच्छा खासा वोट बैंक पहले से ही मजबूत रहा है। उधर चिंरजीव राव का प्रबंधन बेहद कमजोर रहा। कप्तान अजय यादव पहले की तरह इसे चलाते रहे जो उनके लिए उलटा साबित हो गईं। उनके पास पुराने समर्पित कार्यकर्ताओं की जगह बाजारू किस्म के समर्थकों ने ले ली थी जिनका मकसद उन्हें चारों तरफ हरा ही हरा दिखाना था। उधर लक्ष्मण यादव समय रहते समझ चुके थे की उन्हें अंदरखाने कहां से धोखा मिल सकता है। कौन उनके साथ सही में खड़ा है। उनके साथ भाजपा संगठन के साथ साथ अलग से अपने समर्पित लोगों की टीम भी साथ चल रही थी। इस तरह लक्ष्मण बिना शोर मचाए बेहद शांत तरीके से गर्व के साथ जीत गए जबकि कप्तान पूरे चुनाव में पूरी तरह से बैचेन ओर आक्रोशित ज्यादा दिखे। यह शायद उनके जीतने का भ्रम था जिसे जनता ने खत्म कर दिया। सबसे बड़ी बात इस सीट पर यह भ्रम भी खत्म हो गया की पानी की तरह पैसा बहाकर कुछ भी हासिल किया जा सकता है।