बावल में कांग्रेस शोर ज्यादा मचाती रही, भाजपा खामोशी से जीत मजबूत कर गईं
रणघोष अपडेट. बावल से
बावल आरक्षित सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण कुमार की 25 हजार से ज्यादा वोटों से हुई शानदार जीत के कई मायने हैं। डॉ. कृष्ण कुमार उन भाग्यशाली उम्मीदवारों में शामिल है जिन्हें स्वास्थ्य विभाग के निदेशक पद से इस्तीफा दिलाकर पहले टिकट दी गईं। उसके बाद केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के आशीर्वाद से चुनाव मैदान में उतारा गया। उनके लिए सबकुछ नया था। शुरूआती चरण में ऐसा लग ही नही रहा था की वे पूरी योजनाबद्ध तरीके से चुनाव लड़ रहे हैं। राव इंद्रजीत के समर्थकों की टीम ने पूरी तरह से मोर्चा संभाल रखा था। उधर कांग्रेस से डॉ. एमएल रंगा पूरी तरह से बावल की जमीन से रूबरू थे। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवारों की अच्छी खासी तादाद थी जो कही भी डॉ. रंगा के साथ नजर नही आईं। डॉ. कृष्ण कुमार की जीत में आरएसएस की टीम पूरी तरह से सक्रिय थी। संगठन भी सक्रिय नजर आया। डॉ. कृष्ण कुमार को यह टिकट यहा से दो बार विधायक रहे डॉ. बनवारीलाल की जगह मिली थी। डॉ. रंगा की हार की वजह मजबूत प्रबंधन का नही होना भी है। उनके पास अपने समर्थकों की टीम थी जो अपने स्तर पर व्यवस्था को संभाले हुए थी। उधर डॉ. कृष्ण कुमार के पास पहले सेभाजपा का मजबूत संगठन हर गांव और बूथ पर नजर आया। यहां कांग्रेस जाट ओर एससी समाज के वोट बैंक को लेकर बेहद निश्चिंत नजर आ रही थी जो उनके लिए झटका साबित हुआ। कांग्रेस खोल खंड से भाजपा को मिलने वाली जबरदस्त बढ़त को समय रहते कंट्रोल नही कर पाईं। कुल मिलाकर इस सीट पर भी खामोश वोट बैंक भाजपा की जीत का आधार बन गया।