अब क्या रिपोर्टिंग करने पर धमकाया जा रहा है? वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने ऐसा ही आरोप लगाया है। उन्होंने यह आरोप तब लगाया जब उन्नाव मामले में रिपोर्टिंग के लिए बरखा दत्त की ‘मोजो स्टोरी’ पर एफ़आईआर दर्ज की गई है। मोजो स्टोरी के ट्विटर हैंडल सहित आठ ऐसे ट्विटर हैंडल के ख़िलाफ़ केस किया गया है। एफ़आईआर में मोजो स्टोरी का नाम आने पर इसकी संपादक बरखा दत्त ने कहा है कि रिपोर्टिंग के सभी पत्रकारीय सिद्धांतों का पालन करने के बावजूद एफ़आईआर दर्ज की गई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह पूरी तरह धमकाने का प्रयास है। वैसे, यह पहली पत्रकार नहीं हैं जिन्होंने ऐसे आरोप लगाए। इससे पहले भी मनदीप पूनिया, सिद्दीकी कप्पन, राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडेय जैसे कई पत्रकारों पर अलग-अलग मामलों में एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी है और इन मामलों में भी सरकार और पुलिस पर ऐसे ही आरोप लगाए गए। ताज़ा मामला उन्नाव का है। उन्नाव में खेत में दलित समुदाय की तीन नाबालिग लड़कियाँ मिली थीं। दो की मौत हो गई और एक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस घटना की रिपोर्टिंग हुई। अब उसी मामले में उन्नाव पुलिस ने आठ ट्विटर हैंडल के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है।
उन्नाव पुलिस ने उन पर आरोप लगाया है कि तीन दलित लड़कियों को कथित रूप से जहर देने के बारे में ‘फर्जी’ कहानियाँ फैलाई गईं। पुलिस ने कहा कि ट्विटर हैंडल से झूठी जानकारी फैलाई गई है कि लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ है, जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं पाया गया था। ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने कहा कि यह भी झूठी ख़बर फैलाई गई कि दोनों लड़कियों का अंतिम संस्कार उनके परिवारों की सहमति के बिना किया गया था, जिसका भी पुलिस द्वारा खंडन किया गया था। इसके बाद आईपीसी की धारा 153 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई।पुलिस की कार्रवाई पर बरखा दत्त ने ट्वीट कर आरोप लगाया है, ‘उन्नाव की हत्याओं की रिपोर्टिंग के लिए हमारे ख़िलाफ़ एफ़आईआर पर- हमने एक उभरती न्यूज़ के सभी पक्षों की रिपोर्टिंग करके पत्रकारीय सिद्धांतों का पालन किया है। आईपीसी की उन धाराओं का इस्तेमाल जो दंडनीय है और जेल की सज़ा हो सकती है, एक विशुद्ध धमकी है। मैं इससे लड़ने और अदालत में इसका सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हूँ।’बाद में उन्होंने एक अन्य ट्वीट कर आरोप लगाया कि उन्नाव पुलिस ने उनके क़ानूनी अधिकारों का उल्लंघन करते हुए एफ़आईआर की एक कॉपी भी देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि इसके बिना वे न्यायिक हस्तक्षेप के लिए अपील नहीं कर सकतीं। उन्होंने कहा है, ‘खुला उत्पीड़न और बदमाशी है। बरखा दत्त ने एक अन्य ट्वीट में आरोप लगाया, ‘इससे भी अधिक संदिग्ध यह है कि उन्नाव पुलिस ने हमें राजनेताओं के एक समूह के साथ जोड़ दिया है। पुलिस का दावा है कि हमारे ख़िलाफ़ एफ़आईआर (1 साल तक जेल) यौन उत्पीड़न का उल्लेख करने के लिए है, जो हमने कभी किया ही नहीं। मोजो स्टोरी के तथ्यों की जाँच से पहले यूपी पुलिस को अपनी एफ़आईआर के तथ्यों की जाँच करनी चाहिए।’
एक रिपोर्ट के अनुसार, मोजो स्टोरी के ख़िलाफ़ प्राथमिकी का कारण यह है कि पुलिस ने दावा किया कि इसने ग़लत तरीक़े से रिपोर्ट की थी। यह रिपोर्ट यह थी कि पुलिस ने मृतक दो लड़कियों के अंतिम संस्कार को लड़कियों के परिवारों की आपत्ति के बावजूद जल्दी कराने पर तुली रही। इस पर मोजो स्टोरी ने ट्वीट कर सफ़ाई पेश की है। मोजो स्टोरी ने सफ़ाई में कहा है, ‘जल्दी दाह संस्कार के प्रयास पर पुलिस के इनकार को प्रमुखता से रिपोर्ट किया गया था और हमने उनके बयान के बाद एक ट्वीट को हटा दिया था। हालाँकि, ज़मीनी स्तर पर जब हमने लड़कियों के परिवारों से बात की तो उन्होंने कहा कि पुलिस जल्द से जल्द दाह-संस्कार कराना चाहती थी। यही हमें बताया गया था।’
priligy over the counter B cell specific disruption of Hem 1 resulted in reduced numbers of recirculating follicular FO, marginal zone MZ, and B1 B cells