सीधे चेयरमैन बनने से पार्षदों की सौदेबाजी खत्म, इसलिए मैदान में कूदने की तैयारी में कई दिग्गज, असली ताकत अब दिखेगी
रणघोष खास. पूनम यादव
पहली बार नगर निकाय चुनाव में सीधे चेयरमैन चुनने का अधिकार मतदाताओं केा मिलने से पार्षदों की होने वाली सौदेबाजी खत्म होने का असर नजर आने लगा है। अनेक दिग्गज मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं। कुछ ने पत्ते नहीं खोले हैं तो अधिकांश जोड़ तोड़ का गणित बनाकर खुलासा करने वाले हैं। इतना जरूर हे कि पहली बार चुनाव में जो भी खड़ा होगा उसकी निजी हैसियत ही हार-जीत की सबसे बड़ी वजह होगी। शहर की बनने वाली इस सरकार में बेशक पार्टी सिंबल से अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन हाथों की कठपुतली वाले उम्मीदवारों को जनता अब आसानी से नहीं पचाएगी। इसकी वजह भी साफ है यह सीधे तौर पर फेस टू फेस चुनाव है जिसमें राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे मायने नहीं रखते। शुरूआत करते हैं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से। यह पूरी तरह उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा चुनाव है। साथ ही 2019 के चुनाव में अपनी समर्थित उम्मीदवार सुनील यादव की हार का बदला लेने का बेहतर अवसर भी। चुनाव में राव की चली तो उनकी तरफ से उम्मीदवार बेहद करीबी समर्थक रहेगा। वे नए पर दांव खेल सकते हैं ताकि विरोध का शोर कम रहे। चेहरा जातिगत समीकरण से भी तय होगा। बहुत कुछ प्रत्याशी की छवि पर निर्भर होगा। राव के लिए सबसे बड़ी चुनौती अंदरखाने पूरी तरह से बंटी भाजपा को मंच पर लाने की रहेगी जो मौजूदा हालात से नजर नहीं आ रही है। कमोबेश वही हालात है जो विधानसभा में बनी हुई थी। चुनाव में इतना समय नहीं है कि सबकुछ समय रहते कंट्रोल कर लिया जाए। बेशक भाजपा सरकार है लेकिन भाजपाईयों में जोश विपक्ष से कमजोर नजर आ रहा है। इसकी वजह भी अलग अलग कारणों से कार्यकर्ताओं की अनदेखी होना है। राव के खेमें से आने वालों की लंबी कतार है। इसमें राव इंद्रजीत सिंह के निजी सचिव रवि यादव अपने परिवार से, सुनील यादव मुसेपुर अपनी पत्नी, पूर्व प्रधान विजय राव अपनी पत्नी, कैलाश सैनी अपनी पत्नी, वेद ठेकेदार अपनी पुत्रवधु, जिला पार्षद अजय पटौदा भी अपनी पत्नी के नाम इधर उधर से चर्चा में हैं। इसमें कितनी सच्चाई है यह भी जल्द सामने आ जाएगा। कांग्रेस की तरफ से पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव वन मैन शो है। वे अपनी पुत्रवधु अनुष्का राव को मैदान में उतारने के लिए होमवर्क में जुट गए हैं। कप्तान मौजूदा हालात को खुद के लिए बेहतर अवसर मान रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस की तरफ से दूसरा बड़ा नाम सामने नहीं आ रहा है। इसके अलावा पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव अपनी पत्नी को उतारने की तैयारी में जुट गए हैं। इस बारे में उनकी पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास से गुप्त मीटिंग भी हो चुकी है। यादव कल्याण सभा के प्रधान रामबीर यादव भी अपनी पत्नी को इस पद के लिए मैदान में उतारने का मन बना रहे हैं। पंजाबी यूथ क्लब के प्रधान केशव चौधरी बहुत पहले से तैयारी करके चल रहे हैं। उनकी पत्नी यादव है। वे भाजपा के रास्तों से होकर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। एडवोकेट नरेश यादव नंबरदार भी अपनी पुरानी राजनीतिक हैसियत को ताकत बनाकर भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। भाजपा की तरफ से जिला महामंत्री अमित यादव अपनी पत्नी, गुरुदयाल नंबरदार पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास के सहयोग से अपने परिवार से दावेदारी में आ रहे हैं। भाजपा नेता सतीश खोला ने अपने परिवार से चुनाव लड़ने से मना कर दिया है लेकिन जिस तरह वे कई माह से वार्ड स्तर पर हर परिवार को सरकारी योजनाओं के माध्यम से जोड़ते आ रहे हैं। उसमें वे वार्ड वाइज डाटा के आधार पर दावा भी कर रहे हैं कि उनके पास वोटबैंक का मजबूत आधार बन चुका है जो सीधे उनके साथ जुड़ा हुआ है। पूर्व पार्षद चेतराम सैनी भी पार्षद और चेयरमैन के लिए दांव खेलने में लगे हुए हैं। कुल मिलाकर यह चुनाव पूरी तरह से टी-20 का बन चुका है। जहां हर पल हर रोज बहुत कुछ बदलता हुआ नजर आएगा।