डीएसपी राजेश चेची ने ऐसा गाया पीड़ित बोला जिंदगी के मायने समझ लिए नहीं करूगा आत्महत्या

– वक्त से दिन और रात, वक्त से कल ओर राज गीत सुनाकर इस पुलिस अधिकारी ने बता दिया पहले इंसान बन जाओ सबकुछ ठीक हो जाएगा


– इस खबर के साथ डीएसपी राजेश चेची के गाए गीत को  जरूर सुने


रणघोष खास. सुभाष चौधरी


एक तरफ कोरोना की दूसरी लहर ने जिंदगी को ताश के पत्तों की तरह बिखेरना शुरू कर दिया है वहीं दूसरी तरफ ऐसे हालात में आमजन को लड़ने के लिए बावल के डीएसपी राजेश चेची एक बार फिर अपने नए अंदाज में जिंदगी के मायने बता रहे हैं। डीएसपी राजेश ने जब अपनी आवाज में 1965 में बनी फिल्म वक्त का यादगार गीत सुनाया तो एक शिकायत कर्ता इतना भावुक हो गया कि उसने कह दिया उसे इंसान होने के मायने समझ में आ गए हैं। उसके साथ बहुत कुछ बुरा हुआ। फिर भी वह अपनी शिकायत को आगे नहीं चलाना चाहता है। बाकी का जीवन समाज की सेवा और ऊपरवाले की भक्ति मे गुजारना चाहता है। खाकी वरदी में भी ऐसे इंसान होते हैं। यह इस गीत के लहजे ने बता दिया।

दरअसल डीएसपी राजेश चेची अपनी अलग ही पहचान के तौर पर जाने जाते हैं। चाहे किसी जरूरतमंद को खून देने के लिए रात को अस्पताल में पहुंच जाना, कड़ाके की ठंड में कांप रही महिला को अपनी गरम वरदी देना और पुलिस महकमें में आने वाले पीड़ितों को बड़े प्यार और स्नेह से समझना और सुनवाई करना हो। पिछले दिनों उन्होंने अपनी फेसबुक पर वक्त फिल्म का गाना अपने अंदाज में सुनाया तो सैकड़ों- हजारों लोगों ने इस पुलिस अधिकारी को सैल्यूट किया। अधिकतर का यहीं कहना था कि इस महकमें में ऐसे अधिकारी भी होते हैं। उनकी वरदी में भी एक बेहतर इंसान हिलोरे मार रहा है। यह गीत के बोल बता रहे हैं। इस गीत को सुनकर एक पीड़ित ने डीएसपी राजेश चेची को फोन किया और कहा  कि ऐसे गीत वहीं गा सकता है जिसके अंदर करूणा- मानवता और इंसानियत कूट कूटकर भरी हो। वह ऐसे हालात से गुजर रहा था आत्महत्या तक ख्याल आ गया। अब वह ऐसा हरगिज नहीं करेगा। उसकी पत्नी बेटियों को छोड़कर दूसरे के साथ चली गईं। इसके बाद वह सदमें में चला गया था। बुरी तरह से टूट चुका था। जब डीएसपी साहब को यह गीत गाते हुए देखा तो लगा कि यह वक्त का फेर है। इसलिए वह अपना बाकी की जिंदगी लोगों की सेवा और ऊपरवाले की भक्ति में लगाना चाहता है। उसकी बेटियां बहन के पास रहेगी। रणघोष इस खबर  के साथ डीएसपी राजेश चेची की विडियो भी शेयर कर रहा हैं। वह इसलिए की हम कोरोना काल में यह जान ले कि मौजूदा हालात से  बेहतर इंसान बनकर ही लड़ा जा सकता है।

 

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