गर्मियों की छुट्टी शुरू हुई नहीं कि किराए पर बांके बिहारी व सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स लाना. चंपक व चंदा मामा की कहानियां पढ़ना. मोबाइल की वजह से यह दृश्य ओझल हो चुके हैं या बचपन की यादों में सिमटें हैं. लेकिन हरदा में गांवों में यह दृश्य फिर से जीवंत हो रहे हैं.
कलेक्टर ऋषि गर्ग ने हरदा की ग्राम पंचायत भवनों में जन सहयोग से 100 से अधिक किताब घर बनाए गए हैं. इसकी टैग लाइन रखी गई है ‘किताब घर – भविष्य बेहतर’. यहां बच्चों समेत करीब एक हजार से ज्यादा लोग रोजाना मनोरंजन, बाल साहित्य, इतिहास एवं धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन कर रहे हैं. गर्ग ने News 18 को बताया कि वे अक्सर युवाओं और बच्चों को मोबाइल फोन में व्यस्त देखते थे. उनकी इस आदत को बदलने के लिए गांवों में किताब घर खोलने का विचार आया. यदि किताबें आसपास होंगी तो पहले उन्हें पलटने की और फिर पढ़ने की आदत लग सकेगी. और इस आदत से निश्चित ही उनका भविष्य उज्ज्वल होगा. इस पहल का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है ताकि पूरे प्रदेश में जनभागीदारी से किताब घर खुल सकें.
जन्मदिन पर पुस्तकें दान करने की पहल
कलेक्टर गर्ग बताते हैं कि ग्राम पंचायतों के फंड से रीडिंग रूम और कुर्सी टेबल जैसे संसाधन जुटाए गए. इनकी इंटीरियर डिजाइन ऐसी है कि लोग किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित हो जाएं. यहां जनसहयोग यानी दान के जरिए पुस्तकें जुटाई गईं हैं. ऐसी परंपरा स्थापित की जा रही है कि पुस्तकालय में ग्रामीण अपने परिवार के सदस्यों के जन्मदिन एवं पुण्यतिथि के अवसर पर पुस्तकें दान करें. पब्लिक लाइब्रेरी में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए भी पुस्तकें रखी गई हैं. गांव में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए वातावरण निर्मित हो सकेगा.
गणतंत्र दिवस से हुई थी शुरूआत
कलेक्टर गर्ग ने 26 जनवरी 2023 से जन समुदाय को जोड़ते हुए किताब घर की शुरुआत की थी. तब ग्राम पंचायत कुकरावद और अमासेल में किताब घर खोले गए. महज चार माह में ही जिले के 220 ग्राम पंचायतों में सौ से अधिक पंचायत भवनों में किताब घर प्रारंभ हो गए हैं. कलेक्टर गर्ग ने बताया कि शेष पंचायतों में भी किताब घर जल्द शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं. हरदा के रहटगांव की शिवानी गौर का कहना है कि इस पहल से उन्हें अब अच्छी पुस्तकें पढ़ने को मिल रही हैं.