4 बार गिरफ्तार; राजस्थान में 7460 रुपए सैलरी वाले ने बना ली करोड़ों की प्रॉपर्टी
रणघोष अपडेट. राजस्थान में दैनिक भास्कर की रिपोर्ट
सीनियर टीचर भर्ती पेपरलीक मामला 3 महीने के बाद भी सुर्खियों में बना हुआ है। पुलिस एक-एक कड़ी को जोड़कर लगातार आरोपियों की गिरफ्तारी कर रही है। पुलिस ने दो सप्ताह पहले पेपर लीक केस से जुड़ी अहम कड़ी पटवारी घमाराम खिलेरी को गिरफ्तार किया था।
भास्कर ने गिरफ्तार पटवारी घमाराम को लेकर पड़ताल की तो सामने आया कि उसका नाम SI, कॉन्स्टेबल, पटवारी से लेकर कई भर्तियों के पेपर आउट करने में सामने आ चुका है। पुलिस जांच में ये खुलासा भी हुआ है कि वो कई भर्तियों में 150 से ज्यादा लोगों को पेपर बेचकर नौकरी लगवा चुका है। पेपरलीक कर उसकी काली कमाई से करोड़ों की प्रॉपर्टी का मालिक बन चुका है। फेसबुक पर अपनी लग्जरी लाइफ की नुमाइश भी करता है। ऐसा नहीं है कि घमाराम पहली बार गिरफ्तार हुआ है। इससे पहले वो तीन बार पकड़ा गया, जेल भी काटी, लेकिन हर बार सिस्टम की खामियों के कारण छूटता गया। जितनी बार जेल से बाहर आया हर बार किसी न किसी भर्ती में उसका नाम सामने आता रहा। इस बार सीनियर टीचर पेपर लीक मामले में सारण ने जब राज खोले तो फिर से पटवारी घमाराम से ही उसके तार जुड़े। आखिर 7460 रुपए महीने कमाने वाले पटवारी घमाराम खिलेरी कैसे करोड़ों का मालिक बन गया,
2013 में पटवारी बना, प्रोबेशन में ही पकड़ा गया
जालोर के मालवाड़ा का रहने वाला घमाराम पुत्र पूनमाराम खिलेरी 2012-13 की पटवारी भर्ती परीक्षा में पास होने के बाद पटवारी की पोस्ट पर लगा था। पुलिस सूत्रों का दावा है कि घमाराम खुद भी नकल गिरोह से सेटिंग करके ही नौकरी पर लगा था। उसकी पहली पोस्टिंग जालोर जिले में सांचौर के हाथीगांव में हुई थी। 2 साल का प्रोबेशन पीरियड खत्म भी नहीं हुआ था कि घमाराम का नाम अगस्त 2015 में पहली बार तहसील राजस्व लेखाकार की परीक्षा में सामने आया। इस एग्जाम में बच्चों को ब्लूटूथ से नकल करवाई जा रही थी। कुछ सरकारी कर्मचारी राजसमंद के कांकरोली में सरकारी स्कूल में बने एग्जाम सेंटर पर ब्लूटूथ के जरिए पेपर सॉल्व करवा रहे थे। इसमें घमाराम भी परीक्षा के दौरान पकड़े गए एक कैंडिडेट को साइंस के प्रश्न सॉल्व करवा रहा था। तब तत्कालीन कांकरोली थानाधिकारी वृद्धिचंद गुर्जर ने नकल करते पकड़े गए अभ्यर्थियों से पूछताछ तो सामने आया कि इस पूरे गेम में सरकारी कर्मचारी ही इन्वॉल्व हैं। ऐसे में कांकरोली थाना पुलिस के इनपुट पर बाड़मेर पुलिस ने कार्रवाई की। गुड़ामालानी के पास धोरों से बाड़मेर पुलिस ने पटवारी घमाराम के साथ 8 सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था।
जेल से बाहर आते ही डमी कैंडिडेट बैठाकर पास कर ली जूनियर अकाउंटेंट
गिरफ्तारी के बाद जांच के चलते 7 अगस्त 2015 को घमाराम को सस्पेंड कर दिया गया था। कुछ महीने वह जेल में ही रहा था, लेकिन फिर जमानत मिल गई। जेल से बाहर आते ही उसके कारनामे और आगे बढ़ते गए। उसी समय जूनियर अकाउंटेंट भर्ती परीक्षा में नकल करवाने के आरोप में घमाराम फिर पकड़ा गया। घमाराम ने खुद भी जूनियर अकाउंटेंट एग्जाम का फॉर्म भरा था। उसका सेंटर उदयपुर जिले में ही था।
चौंकाने वाली बात तो ये है कि उसने जेल से बाहर आते ही अपनी जगह डमी कैंडिडेट को बिठाकर जूनियर अकाउंटेंट का एग्जाम दिलाया था। एग्जाम में डमी कैंडिडेट की मदद से घमाराम पास हो गया था और जूनियर अकाउंटेंट के पद पर उसका सिलेक्शन भी हो गया था, लेकिन बाद में सरकार ने वो एग्जाम पेपर लीक के चलते रद्द कर दिया था।
कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में भी कनेक्शन
कॉन्स्टेबल भर्ती-2013 (एग्जाम 2015 में हुआ) में घमाराम का नाम सामने आया था। इस पेपर लीक के मास्टरमाइंड जगदीश जानी और भीखाराम बिश्नोई ने ही उसके नाम का खुलासा पुलिस के सामने किया था। इसी गिरोह का नाम पहले भी कई भर्तियों के पेपर आउट करने में आया था, जिनमें जूनियर अकाउंटेंट भर्ती, कॉन्स्टेबल भर्ती, SI भर्ती, LDC भर्ती, RAS प्री भर्ती शामिल है। इन भर्तियों में कई ट्रक ड्राइवर, ढाबा मालिक भी सिलेक्ट हो गए थे। 342 पदों के लिए हुई सब इंस्पेक्टर भर्ती में जालोर जिले से ही 70-75 लोग सिलेक्ट हुए थे, जो आज भी काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। इतना ही नहीं 12 हजार पदों पर हुई कॉन्स्टेबल भर्ती में परीक्षा में जालोर, सिरोही, बाड़मेर, पाली से अधिकांश लोग सिलेक्ट हुए थे। सिरोही में कुल 168 पदों के लिए भर्ती हुई, जिसमें 66 अभ्यर्थी जालोर के सफल हुए थे। ऐसे में सूत्रों के अनुसार अकेले घमाराम पेपर लीक कर 150 लोगों को नौकरी लगवा चुका है।
नकल के चार मामलों में कोर्ट में चालान पेश
पटवारी घमाराम 150 से ज्यादा युवाओं को सेटिंग से नौकरी लगवा चुका है। इसकी 2015 में नकल गैंग के सबसे पुराने सरगना जगदीश जानी से सेटिंग हो गई थी। घमाराम लगातार जानी के नकल गिरोह के साथ जुड़ा रहा जिससे इसको आसानी से भर्तियों के पेपर मिल जाते थे। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार नकल के चार मामलों में इसके खिलाफ कोर्ट में चालान भी पेश हो चुका है। पटवारी के खिलाफ ये चारों ही मामले वर्ष 2015 के दर्ज हैं, हालांकि अभी ये मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं।
भूपेंद्र सारण और घमाराम का पुराना दोस्ताना
भूपेंद्र सारण और घमाराम के बीच पुरानी दोस्ती है। कोई भी भर्ती परीक्षा हो, दोनों सेटिंग करके पेपर ले लेते हैं। घमाराम ने JEN, SI भर्ती का पेपर भी भूपेंद्र सारण के साथ मिलकर ही आउट किया था। जांच में सामने आया कि SI भर्ती में जिन युवकों को पेपर दिया गया था उनमें से करीब 20 अभ्यर्थियों का सिलेक्शन हो गया था। वे आज भी SI के पद पर राजस्थान पुलिस में नौकरी कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक पुलिस ये पता नहीं लगा पाई कि पेपर खरीद के कौन-कौन भर्ती हुआ है।
सारण से पूछताछ में आया पटवारी का नाम सामने, 8 लाख में खरीदा पेपर
उदयपुर पुलिस पहले मास्टरमाइंड सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण तक ही अंतिम कड़ी मान कर चल रही थी, लेकिन जब भूपेंद्र सारण को बेंगलुरु एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया तो कई नाम सामने आने लगे। पूछताछ में खुलासा हुआ कि पटवारी घमाराम भी पूरे नेटवर्क में शामिल है। भूपेंद्र ने ही पटवारी घमाराम को पेपर बेचा था। पुलिस ने पटवारी घमाराम को पकड़ा तो पूछताछ में पटवारी उसने बताया कि भूपेंद्र सारण से 8 लाख रुपए में पेपर खरीदा था। इसके बाद सांचौर में अभ्यर्थियों को बेचा था। जिन अभ्यर्थियों को पेपर बेचा गया था वे 24 दिसंबर को उसी बस में पेपर सॉल्व करते हुए पकड़े गए थे।
एग्जाम से 1 दिन पहले वॉट्सऐप कॉल
परीक्षा से एक दिन पहले सारण ने हेमा गुड़ा, सांचोर के हेड मास्टर सुरेश पुत्र जगदीश बिश्नोई को सॉल्व पेपर भेजकर बस में अभ्यर्थियों से इसे सॉल्व करवाने को कहा था। इसके लिए सारण ने वॉट्सएप कॉल के जरिए सुनील विश्नोई और घमाराम की बात करवाई थी। पुलिस ने बस में सुनील से हल करवाई जा रही GK की प्रश्न पुस्तिका (9196700) जब्त की थी।
पुलिस गई तो फुटबॉल खेल रहा था पटवारी
भूपेन्द्र से पूछताछ के पुलिस ने पटवारी को पकड़ने के लिए उदयपुर पुलिस ने 1 मार्च को हरियाली पटवार मंडल में दबिश दी, जहां वह कार्यरत था। बताया जा रहा है तब पटवारी घमाराम गांव में बच्चों के साथ फुटबॉल खेल रहा था। तभी पुलिस उसे गिरफ्तार करके लाई। फिर कोर्ट में पेश कर 3 दिन के रिमांड पर लिया गया। तब उसने कई राज उगले। इस गिरफ्तारी के बाद पटवारी घमाराम को एक बार फिर से निलंबित कर दिया गया है।