भाजपा ने किसानों को इन कानूनों से होने वाले फायदों के बारे में अवगत कराने के लिए एक विस्तृत रूपरेखा तैयार की है, जिसके मुताबिक पार्टी की ओर से देश भर के 700 से अधिक जिलों में संवाददाता सम्मेलन और जन सभा सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
इस पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, “अब इससे कुछ नहीं होगा। सरकार को कानून लागू करने से पहले 700 चौपाल लगाना चाहिए था। और भला 700 चौपाल से होगा क्या… देश जितना बड़ा है, उसके हिसाब से सात हजार चौपाल लगाई जानी चाहिए।”कृषि कानून को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “बिल हमेशा गांव में बनना चाहिए। देश के किसानों को दिल्ली की कोठियों में बना हुआ कानून बिल्कुल भी मंजूर नहीं है। कानून लाने से पहले सरकार को गांव में चौपाल लगाना चाहिए था।” आजतक के कार्यक्रम ‘किसान पंचायत’ में शिरकत करने आए राकेश टिकैत ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि केंद्र तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। उन्होंने कहा, “सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे, एमएसपी पर कानून बनाए… इन्हीं मांगों के साथ हम आंदोलन करने आए हैं।”दूसरी ओर, सिंघु बॉर्डर पर किसान नेता कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने कहा कि रविवार को हजारों किसान राजस्थान के शाहजहांपुर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग के रास्ते सुबह 11 बजे अपने ट्रैक्टरों से ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू करेंगे। आंदोलन को और तेज करने की रणनीति साझा करते हुए किसान नेता ने घोषणा की कि उनकी माताएं, बहनें और बेटियां भी जल्द प्रदर्शन में शामिल होंगी। प्रदर्शन स्थलों पर उनकी सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं।
किसान नेता पन्नू ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों से भी किसान यहां आ रहे हैं और वे आने वाले दिनों में आंदोलन को अगले स्तर पर पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने के लिए अवरोधक लगा रही है, लेकिन वे किसी भी तरह प्रदर्शन में शामिल होंगे और आने वाले दिनों में इसे अगले स्तर पर ले जाएंगे।
पन्नू ने कहा, ”अगर सरकार बात करना चाहती है तो हम तैयार हैं, लेकिन हमारी मुख्य मांग तीनों कानूनों को रद्द करने की रहेगी। हम उसके बाद ही अपनी अन्य मांगों पर आगे बढ़ेंगे।” उन्होंने बताया कि किसान संगठनों के नेता नए कृषि कानूनों के खिलाफ 14 दिसंबर को सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे।