चुनाव शहर की सरकार का…….रेवाड़ी- अंबाला चेयरमैन की घोषणा 14 को, उम्मीदवार से तय होगी कापड़ीवास की वापसी

रेवाड़ी नगर परिषद चेयरमैन की लड़ाई पूनम यादव- रेखा यादव के बीच


रणघोष अपडेट. चंडीगढ. रेवाड़ी


 नगर निकाय चुनाव में चेयरमैन को लेकर शनिवार को प्रदेश भाजपा की गठित कमेटी की मीटिंग हुईं। जितने भी आवेदन आए उस पर गंभीरता से मंथन हुआ। सभी तरह के समीकरणों पर विस्तार से चर्चा हुईं। उधर इसी दौरान जेजेपी ने गठबंधन नीति के तहत अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी। धारूहेड़ा नगर पालिका जेजेपी के हिस्से में आई है जहां से मान सिंह जेलदार को उम्मीदवार बनाया गया है।  यहां गौर करने लायक बात यह है कि जेजेपी जिस तत्परता से निर्णय लेती है भाजपा बड़ा संगठन होने की वजह से उतनी देरी से फैसले पर आती है। मीटिंग में अंबाला एवं नगर परिषद चेयरमैन को लेकर घोषणा को 14 दिसंबर तक रोक लिया गया। यहां प्रमुख नाम फाइनल किए गए हैं। जिसमें रेखा यादव पत्नी अमित यादव एवं पूनम यादव पत्नी बलजीत यादव है। इन दोनों में एक नाम पर सहमति को लेकर भाजपा मजबूत धड़ों में बंटी हुई है। केंदीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पूनम यादव को टिकट दिलाने के पक्षधर है। जबकि संगठन के अधिकतर पदाधिकारी रेखा यादव के लिए वकालत कर रहे हैं। अमित यादव भाजपा में संगठन के तौर पर काफी मजबूत है जबकि बलजीत यादव नगर पार्षद चुनाव में मजबूत पकड़ के साथ राव इंद्रजीत सिंह खेमें से आते हैं। शनिवार को ही निर्दलीय विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास की विधिवत तौर पर वापसी होनी थी लेकिन उम्मीदवार का निर्णय नही होने से उसे भी रोक दिया गया। दरअसल कापड़ीवास रेखा यादव के पक्ष में हैं। अगर राव इंद्रजीत सिंह समर्थित को टिकट मिल जाती तो कापड़ीवास का भाजपा में आना ही खुद के लिए कुठाराघात हो जाता।  कापड़ीवास मौजूदा हालात में राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी है। उनका कहना है कि अगर भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता को टिकट मिलती है तो पूरा समर्थन करेंगे। वे आत्म से भाजपाई है। उधर राव इद्रजीत सिंह की अपनी राजनीति वर्क स्टाइल है। वे हरगिज नहीं चाहेंगे कि पार्टी के भीतर उनके धुर विरोधी टिकट लेने के मकसद को पूरा करें। राव का अपना जमीनी जनाधार है। अगर उनके कहने से पार्टी पूनम यादव को टिकट देती है तो राव को कांग्रेस के साथ साथ पार्टी के अंदर भी बराबर का लड़ना होगा। अगर  रेखा यादव को मैदान में उतारती है तो स्वाभाविक है  कि राव समर्थक उस जोश के साथ नजर नहीं जाएंगे जो भाजपा चाहती है। इधर भाजपा की इस लड़ाई से अपना गणित तैयार कर रहे पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव ने अभी अपने असली पत्ते नहीं खोले हैं। उन्होंने परिवार से चुनाव नहीं लड़ने का हवा में तीर चलाया है जो अभी तक सही दिशा में  दौड़ रहा है। अगर कापड़ीवास की पंसद का उम्मीदवार नहीं उतरा तो वे भाजपा से बाहर रहकर निर्दलीय की तैयारी में उतर चुके सतीश यादव के समर्थन में आ सकते हैं। ऐसे में मुकाबला पूरी तरह से त्रिकोणीय हो जाएगा। अगर कप्तान अपने किसी समर्थक को टिकट दिलाते हैं। इसी तरह पूनम यादव को अवसर मिलता है तो मुकाबला आगे चलकर भाजपा और निर्दलीय के बीच होगा। यहां कांग्रेस रेस से बाहर हो सकती है। अगर कप्तान ने अपने परिवार को मैदान में उतार दिया तो वे मजबूत पोजीशन में आ जाएंगे। कुल मिलाकर 14 दिसंबर को रेवाड़ी नगर परिषद चेयरपर्सन का आधा निर्णय टिकट की घोषणा से ही हो जाएगा।

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