योगी स्टाइल इंसाफः सीएम बनने के बाद अब तक 183 एनकाउंटर

रणघोष अपडेट. देशभर से 

यूपी में पहले भी एनकाउंटर होते रहे हैं। यूपी के लिए यह नई बात नहीं है। किसी जमाने में यूपी में जब वीपी सिंह मुख्यमंत्री थे तो उस समय भी एनकाउंटर की लहर चली थी जिसके तहत तमाम डाकुओं को ठिकाने लगाया जा रहा था। ठीक वैसी ही कुछ झलक अब योगी राज में देखने को मिल रही है और एनकाउंटर को योगी स्टाइल इंसाफ बताया जा रहा है। मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ ने जब पहली बार सत्ता संभाली, गैंगस्टर अतीक अहमद के 19 वर्षीय बेटे असद अहमद और उसके सहयोगी की हत्या एनकाउंटर नंबर 183 है।24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में अप्रैल के पहले 13 दिनों में यह तीसरा एनकाउंटर भी है। योगी स्टाइल इंसाफ महज आंकड़ों का खेल नहीं है। यूपी का एक बहुत बड़ा वर्ग उनके इस इंसाफ को पसंद कर रहा है तो इसके विरोधियों की संख्या कम नहीं है। तमाम लोग इसे हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण से देख रहे हैं। क्योंकि बीजेपी इस साल कई राज्यों में चुनाव का सामना करने वाली है और 2024 आम चुनाव के लिए भी बिसात बिछाई जा रही है तो बीजेपी के पास सबसे आसान है ध्रुवीकरण के जरिए चुनाव जीतना। जो उसका पसंदीदा हथियार भी है। हालांकि इसी के साथ यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि क्या यूपी में अपराधी, माफिया सिर्फ किसी समुदाय विशेष के ही लोग हैं। सपा प्रमुख अखिलेश ने कई मौके पर कहा कि यूपी सरकार टॉप 10 अपराधियों की सूचित घोषित करे। यानी सूची घोषित होने के बाद उन पर नामों पर कार्रवाई हो। लेकिन ऐसी कोई सूची सामने नहीं आई। अलबत्ता वाट्सऐप यूनिवर्सिटी पर एक सूची जरूर दिखाई देती है, जो धर्म निरपेक्ष लगती है। उसमें हर समुदाय के अपराधी या माफिया का नाम है। जिसमें सबसे ज्यादा लोग अब बीजेपी से जुड़े हैं, फिर सपा का नंबर है और उसके बाद बसपा और कांग्रेस समर्थक हैं। बहरहाल, जितने मुंह उतनी बातें। अभी तो सिर्फ योगी के निशाने और शिकार पर चर्चा है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यूपी पुलिस के पास योगी के सत्ता में आने के बाद पूरे एनकाउंटर का हिसाब है। 19 मार्च, 2017 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद योगी ने इस विवादास्पद स्टाइल के लिए पुलिस को ताकत दी। सीएम का कार्यभार संभालने के एक पखवाड़े के भीतर ही 31 मार्च को सहारनपुर के नंदनपुर गांव में एक कथित अपराधी गुरमीत को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया।इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सीएम के लिए यह स्टाइल अपराध पर नकेल कसने का एक पावरफुल हथियार है जो अब उनके शासन का एक प्रमुख आधार बन गया है। उन्होंने इसे एक उपाय मान लिया है। 3 जून, 2017 को, इंडिया टीवी आप की अदालत कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने कहा था कि अगर अपराधी अपराध करते हैं, तो ठोकें जाएंगे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव तमाम विपक्षी नेताओं ने तब कहा था कि योगी ठोक दो की शैली में शासन चला रहे हैं जिसे मंजूर नहीं किया जा सकता। यूपी के एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार कहते हैं- अपराध और अपराधियों के खात्मे के वादे को पूरा करते हुए 2017 के बाद से यह 183वीं मुठभेड़ है।झांसी में बड़ागांव थाना क्षेत्र में असद अहमद और गुलाम हुसैन को यूपी पुलिस की टास्क फोर्स ने कल गुरुवार को ठिकाने लगाया था। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एडीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा- मुठभेड़ों में मारे गए या घायल हुए लोग कट्टर अपराधी हैं। एसटीएफ और एटीएस सहित सभी पुलिस एजेंसियां ​​मुख्यमंत्री के अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के निर्देश के अनुसार काम कर रही हैं। 183 हत्याओं के अलावा, आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 5,046 अपराधियों को पुलिस कार्रवाई में घायल होने के बाद गिरफ्तार किया गया है। उत्तर प्रदेश में, जहां अपराधियों के पैर में गोली मार दी जाती है, उसे न केवल पुलिसकर्मियों बल्कि सत्ता के गलियारों में भी ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ कहा जाता है।

हालांकि इस तरह के अभियानों के दौरान पिछले छह वर्षों में 13 पुलिसकर्मी भी “शहीद” हुए और 1,443 पुलिसकर्मी घायल हुए। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक आदित्यनाथ ने ऐसे एनकाउंटरों को राजनीतिक मकसदों के लिए भी इस्तेमाल किया है। जनवरी 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान शामली में एक सार्वजनिक रैली में, उन्होंने राज्य में असुरक्षा, दंगे और माफिया का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था – “वादा है, 10 मार्च के बाद उन्हें पूरी तरह शांत कर देंगे। अभी हाल ही में, 25 फरवरी को, प्रयागराज में गोलीबारी के एक दिन बाद जब उमेश पाल और दो सुरक्षाकर्मी मारे गए तो आदित्यनाथ ने विधानसबा में कहा था – “इस माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा।” आंकड़ों के अनुसार, उनके पहले कार्यकाल के दूसरे वर्ष 2018 में अधिकतम एनकाउंटर या हत्याएं हुईं। 2019 के लोकसभा चुनाव से एक साल पहले 2018 में आदित्यनाथ ने खुद को अपराधियों से सख्ती से निपटने वाले एक सख्त व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों ने कानून और व्यवस्था के मामले में यूपी के उदाहरण को सबसे अच्छे राज्य के रूप में पेश किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *