अरावली पहाड़ी में मिली पाषाण युग की नक्काशी

करीब 10,000 साल पुरानी है धरोहर, इलाके में और भी हैं स्टोन एज साइट


इतिहास का खजाना अरावली की पहाड़ियों पर बिखरा पड़ा है. सोहना के बादशाहपुर तेथर गांव में हाल ही में खोजे गए नए भित्तिचित्र और क्वार्टजाइट चट्टानों पर उकेरे गए इंसानों और जानवरों के हाथ और पैरों के निशान, इसकी नई कड़ी हैं. पुरातत्वविदों का कहना है कि यह पुरापाषाण काल या पाषाण युग का है. ये स्टोन एज साइट एक पहाड़ी के ऊपर है और मंगर से केवल 6 किमी दूर है. जहां पाषाण काल के गुफा चित्रों को 2021 में खोजा गया था. विशेषज्ञों ने कहा कि पत्थरों की ये नक्काशियां पुरानी लगती हैं और पुरापाषाण युग (लगभग 25 लाख साल पहले) से लेकर 10,000 साल तक पुरानी हो सकती हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक इस 2 किमी. के दायरे में फैली नवीनतम साइट की खोज हाल ही में एक इकोलॉजिस्ट और वन्यजीव शोधकर्ता सुनील हरसाना ने की. उन्होंने पुरातत्व विभाग को पाषाण युग की नक्काशियों के बारे में सूचित किया और उनकी गहन जांच का अनुरोध किया. रविवार को पुरातत्वविदों की एक टीम ने पुष्टि कर दी है कि चट्टानें वास्तव में पुरापाषाण काल की हैं. पत्थरों पर चित्र बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले कई उपकरण और औजार भी स्टोन एज साइट पर पाए गए. हरियाणा के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय की उप निदेशक बनानी भट्टाचार्य ने कहा कि इससे हमें यह देखने का मौका मिलता है कि कैसे इंसानों ने शुरुआती औजार बनाए. अधिकांश नक्काशियां जानवरों के पंजे और इंसानों के पैरों के निशान की हैं.
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वे जल्द ही इलाके का व्यापक सर्वे करेंगे. प्रमुख सचिव (पुरातत्व और संग्रहालय) एमडी सिन्हा ने कहा कि यह इलाका मानव सभ्यता के विकास का मूल स्थल है. सरस्वती-सिंधु सभ्यता को देखें तो उसका पूरा चक्र इसी इलाके में शुरू हुआ. पूर्व-वैदिक और वैदिक अस्तित्व के भी प्रमाण यहां मिलते हैं. हम आगे के शोध के लिए सर्वेक्षण करेंगे. इस इलाके में पहले ही पुरापाषाणकालीन चित्रों की खोज की गई है. 2021 में पुरातत्व विभाग ने फरीदाबाद के मंगर में 5,000 हेक्टेयर की एक साइट की खोज की, जहां गुफाओं और औजारों के साथ गुफा चित्र पाए गए थे.

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