पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के पोते एवं राव अजीत सिंह के बेटे अर्जुन राव का मंगलवार को उनके पृतक गांव रामपुरा स्थित उनकी दादा की समाधि स्थल के नजदीक अंतिम संस्कार कर दिया गया। 19 अक्टूबर को बैंकाक में दिल का दौरा पड़ने से इस 44 वर्षीय कांग्रेसी नेता का निधन हो गया था। इस मौके पर परिवारिक तौर पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, यादुवेंद्र सिंह समेत सभी सदस्य, महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी जिले से काफी संख्या में रामपुरा समर्थक एवं विभिन्न दलों के स्थानीय नेता मौजूद रहे।
पारिवारिक तौर पर अर्जुन राव का जाना बड़ी अपूरणीय क्षति है। सामाजिक ओर राजनीतिक दृष्टिकोण से यह कुछ समय के लिए ठहराव है। अर्जुन राव 2019 का अटेली विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव हारने के बाद भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में लौट आए थे। इसी माह की 15 तारीख को उनके पिता राव अजीत सिंह ने अटेली की नई अनाज मंडी में चुनाव कार्यालय का उदघाटन कर यह जता दिया था कि 2024 में वे इस बार मैदान जीतकर की दम लेगे। अतीत में हुई गलतियों को नहीं दोहराएंगे। राव अजीत सिंह ने पहली बार अपने बड़े भाई केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से अपने बेटे की जीत को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक तौर पर सहयोग भी मांगा था। आमतौर पर पिछले कई सालों से दोनों भाईयों में राजनीति विचारों का टकराव बना रहा है। 15 दिन पहले रणघोष से भी बातचीत में अर्जुन राव ने भी अपने ताऊ से सहयोग करने के लिए कहा था। राव इंद्रजीत का राजनीति फैलाव दक्षिण हरियाणा में एक नेता के तौर पर सबसे ज्यादा है।
राव अजीत सिंह- अर्जुन राव की अधूरी राजनीति की कहानी में आगे क्या होगा..
इस परिवार में इतना जरूर तालमेल रहा है कि कोई भी सदस्य एक दूसरे के खिलाफ मैदान में नहीं उतरेगा। रामपुरा हाउस की राजनीति इतिहास को दोहराए तो जब भी इस परिवार पर राजनीति संकट आया है अंदरखाने भाईयों ने खामोश रहकर एक दूसरे की ताकत बनने का काम किया है। इसलिए केंद्र व राज्य में किसी भी दल की सरकार रही हो इस हाउस की मौजूदगी हमेशा बनी रही है। अब सवाल यह उठता है कि अर्जुन राव के अचानक चले जाने से क्या राव अजीत सिंह की राजनीति विरासत इधर उधर मर्ज हो जाएगी या फिर नई हिम्मत के साथ उनकी पत्नी कविता सिंह छोटा बेटा अभिजीत राव हिम्मत जुटाकर एक समय बाद मैदान में नजर आएंगे। अभिजीत राव शुरूआत से ही राजनीति से दूर रहे है। कविता सिंह पर्दे के पीछे पति अजीत सिंह एवं बेटे अर्जुन की राजनीति को संभालती रही है। इतना ही नहीं वह पृतक गांव रामपुरा की सरपंच के तौर पर भी राजनीति आधार को मजबूत कर चुकी है। 2024 के चुनाव में अभी एक साल का समय बचा है। ऐसे में अर्जुन सिंह की कभी पूरी नहीं होने वाली कमी के बीच यह परिवार राजनीति तौर पर खुद को संभालते हुए आगे बढ़ पाता है या फिर ठहरता है। यह देखने वाली बात होगी।