असरदार नेताओं पर पैसा खर्च करने वाले समर्थक संभल जाए

 तैयार हो रही है समर्थकों की कुंडली, अधिकांश प्रोपर्टी डीलर, सरकारी- प्राइवेट कंपनियों में ठेकेदार


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी

चुनाव में नेताओं के साथ साथ उनके उन समर्थकों की कुंडली भी तैयार हो रही है जो अलग अलग कारोबारों से तेजी से फर्श से अर्श पर पहुंच गए हैं। ये समर्थक अपने नेता का हर तरह का खर्चा वहन  करते हैं। सिस्टम को मैनेज करते हैँ। इसके बदले नेता इन्हें अपना नाम एटीएम की तरफ इस्तेमाल करने की छूट दे देता है। सबकुछ बेहद ही सोची समझी रणनीति के तहत किया जाता है। इसलिए ऐसे समर्थक किसी भी जलसे या आयोजन में अपने नेता के आस पास टहलते रहते हैं। भाजपा की एक कोर टीम को यह विशेष जिम्मेदारी दी हुई है की वह अपनी पार्टी के विशेष नेताओं खासतौर से विपक्षी दलों के असरदार नेताओं के समर्थकों की सूची बनाए जो अवैध और अनैतिक तौर पर कारोबार चला रहे हैं। यह टीम उसी तरह रिपोर्ट तैयार करती है जिस तरह इन दिनों ईडी, इंकम टैक्स और सीबीआई कर रही है। फर्क इतना है भाजपा की इस टीम को पहचान पाना आसान  नही है। पीएम नरेंद्र मोदी इन दिनों अपने भाषण में भ्रष्टाचार को लेकर एक बात को बार बार उल्लेखित कर रहे हैं की यह तो अभी ट्रायल है असली फिल्म तो अभी बाकी है। सबसे गौर करने लायक बात यह है की चुनाव में जहा नेता प्रचार प्रसार में व्यस्त है वहीं यह टीम मीडिया के माध्यम से रिपोर्ट तैयार कर रही है की पानी की तरह बहाए जा रहे पैसो के पीछे असली सूत्रधार कौन है।

दो दिन पहले हरियाणा में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों का एलान किया गया है। भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से राव दान सिंह को मैदान से  उतारा गया है। वे अभी प्रचार में उतरे नहीं है उनके समर्थकों पर निगरानी शुरू हो गई है। इसी तरह गुरुग्राम सीट पर भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह समर्थकों की भी सूची तैयार हो रही है। टीम फिलहाल मजबूत और असरदार नेताओं पर ही काम कर रही है चाहे वे भाजपा से संबंध रखते हो या विपक्षी दलों से। दान सिंह के आठ समर्थक महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम और राव इंद्रजीत सिंह के 15 समर्थकों के नाम का मोटे तोर पर सामने आए है। चुनाव आयोग के दिशा निर्देश पर जिला प्रशासन की टीम अलग से निगरानी रख रही है की चुनाव प्रचार में किस तरह खर्च किया जा रहा है। हम इस रिपोर्ट में समर्थकों के नाम उल्लेख नहीं कर सकते लेकिन उनके कारोबारों का उल्लेख जरूर कर रहे हैं। मुख्यतौर पर इन नेताओं के अधिकांश समर्थक प्रोपर्टी डीलिंग, प्लाटिंग से ज्यादा जुड़े हुए हैं। कंपनियों में अलग अलग टेंडर लेकर अपना कारोबार चला रहे हैं। कुछ सरकारी विभागों के अलग अलग कार्यों की ठेकेदारी करते आ रहे हैं। अधिकतर समर्थक फाइनेंसर के तौर पर चुनाव में पूरी तरह से सक्रिय रहते हैं। माहौल देखकर पाला बदल जाते हैँ। इनका मकसद नेताओं की आर्थिक मदद कर अपने कारोबार की सुरक्षा करना ओर उसे बढ़ाना होता है। बावल और धारूहेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित  कपंनियों में अपने नेताओं के प्रभाव से प्रवेश कर ये समर्थक अलग अलग तरह का टेंडर पर काम कर रहे हैं। अब देखना यह है की तैयार हो रही ऐसे समर्थकों की सूची पर टीम कार्रवाई करती है या चुनाव तक या उसके बाद दबाव के तौर इसका इस्तेमाल करती है। टीम के सदस्यों की माने तो पूरे देश में यह कार्य चल रहा है। चुनाव पर इस पर कार्य जरूर होगा चाहे कितना ही असरदार नेताओं के समर्थक क्यों नही हो। सही मायनों में भ्रष्टाचार की असली जड ही यही लोग होते हैं जो सिस्टम में अधिकारियों से मिलकर सारा खेल करते हैं।