अहंकार मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है–शक्ति प्रभा

चरखी दादरी:
मानव जीवन व सोच का अगर कोई सबसे बड़ा विरोधी है तो वह है स्वयं मनुष्य का अहंकार। यह एक ऐसा भाव है जो अगर अंतर में समाहित हो जाए तो सभी सद्गुणों का लोप हो जाता है। इसके उपरंत मनुष्य पतन की राह पर चल पडता है। हम यह ध्यान रखे कि चाहे कितना भी बड़ा कार्य परमात्मा हमारे द्वारा करवा दे लेकिन इस भाव को कभी भी अपने अंतर में रोपित न होने दे।यह बात आज जैन महासाध्वीयों शक्ति प्रभा, अक्षिता व रक्षिता ने नगर
प्रवेश के सीमा पर उनका स्वागत कर रहे जैन समाज के नागरिकों को संबोधित करते हुए कही। इसके उपरांत जैन धर्म के जयकारों के साथ श्रद्धालुओं द्वारा उन्हें स्थानीय छोटी बजारी स्थित जैन स्थानक परिसर में लाया गया। अब आगामी कुछ समय के लिए तीनों साध्वी जैन संस्थान में प्रवास करेगी। इस दौरान उनके सानिध्य में रोजाना अनेक धार्मिक कार्यक्रमों व गतिविधियों को आयोजित करवाया जाएगा। साध्वीयों ने कहा कि अहंकार एक ऐसा भाव है जो कि धनी से धनी व गुणवान से गुणवान मानव को भी अंतत ऐसे पतन की राह पर ले‌ जाता है जिस पर चलकर उसे केवल पछताना ही पड़ता है। आज तक के इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है जहां कि बलवान से बलवान व्यक्ति भी आखिर में केवल अपने इसी दुगुर्ण के चलते न सिर्फ अपनी ख्याति को खो बैठा बल्कि आज उनका नाम केवल उनके बुरे कर्मों के चलते ही याद किया जाता है। इसलिए कभी भी इस भाव को अपने अंर्तमन पर हावी न होने दे। अगर जीवन में किसी भाव को समाहित ही करना है तो अपने अंतर में प्रेम, सदभाव, प्रभू के प्रति सच्ची निष्ठा को स्थान दे। जिससे यह जन्म सुधरे तथा भव सागर को पार पाने का मार्ग प्रशस्त हो। इस दौरान बडी संख्या में जैन समाज के महिला, पुरूष, बच्चें उपस्थित थे।

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