अहीरवाल ने खोया सनातन संस्कृति का संवाहक

साहित्य परिषद ने दी संत शरणानंद को विनम्र श्रद्धांजलि


दक्षिण हरियाणा और अहीरवाल के प्रख्यात संत स्वामी शरणानंद क्षेत्र में सनातन संस्कृति के सच्चे संवाहक थे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका निधन क्षेत्र व समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने कहा कि हमने एक साहित्य प्रेमी तथा अध्यात्म एवं संस्कृति का पुरोधा खो दिया है। दडौली स्थित भगवत भक्ति आश्रम के संचालक के रूप में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। कोराना काल में उन्हें आनलाइन श्रद्धांजलि देते हुए परिषद के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा ने उन्हें आध्यात्मिक विभूति बताते हुए कहा कि स्वामी जी एक प्रखर वक्ता के साथ-साथ समाज हितैषी व चिंतक थे। उनका मिलनसार व्यवहार. सामाजिक चेतना व आध्यात्मिक विचार अविस्मरणीय हैं। युवा साहित्यकार सत्यवीर नाहडिय़ा ने कहा कि आज अहीरवाल का प्रखर आध्यात्मिक स्तंभ ढह गया है। वह निरंतर सामाजिक चेतना की अलख जगाते रहे। आध्यात्मिक चिंतन व प्रेरक साधना के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा। परिषद् के महामंत्री गोपाल शर्मा उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि स्वामी जी का निधन क्षेत्र के लिए ही नहीं अपितु साहित्य प्रेमियों, आध्यात्मिक चिंतकों एवं सांस्कृतिक विचारकों के लिए दुखदायी है। वे अहीरवाल में सनातन परंपरा एवं आध्यात्मिक धारा के संवाहक ही नहीं, मानवीय मूल्यों के सच्चे प्रचारक भी थे। परिषद की ओर से वरिष्ठ कवयित्री दर्शना शर्मा समेत सभी सदस्यों ने स्वामी जी को भावर्पूण श्रद्धांजलि अर्पित की।

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