आंदोलन में तेजी लाने की कवायद- हर घर से एक व्यक्ति का दिल्ली पहुंचने का आह्वान

कितलाना टोल पर 58वें दिन किसानों  का जोश बरकरार, टोल रहा फ्री


किसान आंदोलन में और तेजी लाने के लिए हर घर से एक आदमी को दिल्ली बॉर्डर जाना जरूरी है। यह आह्वान कितलाना टोल पर चल रहे अनिश्चित कालीन धरने पर अध्यक्ष मंडल की बैठक के बाद वक्ताओं ने अपने संबोधन में किया। उन्होंने कहा कि आंदोलन नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है। ऐसे में इसमें थोड़ी ज्यादा ताकत लगाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लगभग हर गांव में 36 बिरादरी के सहयोग से कमेटी बन चुकी हैं जो अलग अलग समय पर दिल्ली बॉर्डर और टोलों के धरने पर पहुंचे हैं। लेकिन इसे और ज्यादा व्यवस्थित करना है।  वक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहंकार में भरे हैं। किसान आंदोलन को चले 88 दिन बीत गए हैं इस दौरान 230 से ज्यादा किसान शहादत दे चुके हैं लेकिन मोदी की नींद नहीं खुली है। उन्होंने कहा कि किसान सभी वर्गों के सहयोग से संघर्ष कर रहे है और तीनों कानून रद्द करने होने तक आंदोलन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि ये समझ से परे है कि एमएसपी का बार बार राग अलापने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसको कानूनी अमलीजामा पहनाने से क्यों हिचक रहे हैं। कितलाना टोल पर चल रहे अनिश्चित कालीन धरने के 58वें दिन नरसिंह डीपीई, बिजेंद्र बेरला, गंगाराम श्योराण, मास्टर ओमप्रकाश कितलाना, पूर्व सरपंच कला सिंह ढाणी फौगाट, सुभाष यादव, रणधीर कुंगड़, बीरमति डोहकी, मंगल सुई, मीरसिंह नीमड़ीवाली ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा गरीब को और गरीब बनाने की है। इसलिये पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कोरोना की आड़ में ये तीनों काले कानून लाये गए।  मुंढाल के पूर्व विधायक रणबीर महेंद्रा ने धरने का समर्थन देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ खड़ी है और जहां भी जरूरत पड़ेगी सहायता देने को तत्पर हैं। धरने पर गांव बिधनोई से पहुंचे दलबीर फौजी, जयसिंह, पूर्व सरपंच सोमबीर, ओमबीर श्योराण, सुरेन्द्र कटारिया, प्रवीण जांगड़ा, पवन कुमार, राकेश बंटी, रविन्द्र कटारिया ने  ग्रामीणों की ओर से 8 क्विंटल खाद्य सामग्री अध्यक्ष मंडल को सौंपी। धरने का मंच संचालन रणधीर घिकाड़ा ने किया।  इस अवसर पर सुरजभान सांगवान, एडवोकेट राजेन्द्र सोलंकी, राजू मान, कमल प्रधान, जितेन्द्रनाथ, बलबीर बजाड़, राजकुमार हड़ौदी, रमेश कोच, पूर्व सरपंच अशोक फौगाट, कृष्ण फौगाट, प्रोफेसर राजेन्द्र डोहकी, पूर्व सरपंच भूपेंद्र, पूर्व सरपंच सुरेन्द्र घिकाड़ा, पूर्व सरपंच ताराचंद चरखी, प्रेम सिंह, पूर्व सरपंच बलबीर सिंह, पूर्व सरपंच बलवान सिंह, सूबेदार सत्यवीर, जगदीश हुई, पूर्व सरपंच समुन्द्र सिंह इत्यादि मौजूद थे।

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