इस लेख को सोच समझकर पढ़े, नहीं तो खुद से नफरत हो जाएगी

नारी  की आबरू राजनीति गोश्त, पकाते रहिए तभी जिंदा रहेंगे


Pardeep ji logoरणघोष खास. प्रदीप नारायण

  मणिपुर में छलनी होती महिलाओं की अस्मिता। हरियाणा में कुरुक्षेत्र के बाबैन थाना में 50 साल के हैड कांस्टेबल श्यामलाल की नाबालिग लड़की के साथ दरिदंगी। कुछ माह पहले मध्यप्रदेश के शाजापुर में 4 साल व पटना में 7 साल की मासूम के साथ 50 से 60 उम्र के पुजारियों का किया गया दुराचार। सोशल मीडिया से इंसानी नसों में फैलता अश्लील, वासना से भरा जहर..।  समझने के लिए इतना ही काफी है नहीं तो खुद को इंसान कहने में नफरत हो जाएगी।

इस तरह की घटनाए पहले भी होती रही है, लगातार हो रही है और आगे भी होती रहेगी। जो सरकार चला रहे हैं वे दोषियों को कड़ी सजा दिलाने का पांखड करेंगे। विपक्ष इन घटनाओं की आग में सत्ता के लिए वहीं गोश्त तैयार करने में लग जाएगा जो कभी उनकी सत्ता में रहते आज के सत्ताधारी नेताओं ने पकाया था। मीडिया इस गोश्त का तब तक स्वाद लेता रहेगा जब तक पतीला (टीआरपी रेंकिंग )  खाली ना हो जाए। कोर्ट चिंता जताएगा, खुद संज्ञान लेगा ओर एक समय बाद तारीखों की गोद में दफन जाएगा। सोचिए अगर ये घटनाएं नहीं होगी तो पक्ष-विपक्ष की राजनीति कैसे जिंदा रहेगी। सत्ता का सही आसान रास्ता तो नारी की लूटती अस्मिता, होते शोषण- होते अत्याचार  के गंदे नाले से गुजरता है। कभी सुना है कि सत्ताएं समाज में समानता, विकास, सामाजिक मूल्यों की आवाज पर चलती उतरती रही हो। देश का राजनीति इतिहास उठा लिजिए जब भी किसी आतातायी ने स्त्री का हरण या चीरहरण किया है वह सत्ता से बेदखल हुआ है। उसका फायदा सत्ता के भूखे भेड़ियों की शक्ल मे इधर उधर मुंह मारते नेताओं ने उठाया और कीमत संपूर्ण मनुष्य ज़ाति को चुकानी पड़ी है। इसलिए कवि कुमार विश्वास ने मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह पर लिखना पड़ा कि  कुर्सी है ये तुम्हारा जनाजा तो नहीं है? कुछ कर नहीं जाते तो उतर क्यों नहीं जाते?। प्रख्यात अभिनेता आशुतोष राणा आगाह कराते हुए लिखते है की- अब समय आ गया है जब सभी राजनीतिक दलों और राजनेताओं को, मीडिया हाउसेस व मीडिया कर्मियों को अपने मत-मतान्तरों, एक- दूसरे पर आरोप प्रत्यारोपों को भूलकर राष्ट्र कल्याण, लोक कल्याण के लिए सामूहिक रूप से उद्यम करना होगा। ये राष्ट्र सभी का है, सभी दल और दलपति देश और देशवासियों के रक्षण, पोषण, संवर्धन के लिए वचनबद्ध हैं। स्त्री का शोषण, उसके ऊपर किया गया अत्याचार, उसका दमन, उसका अपमान आधी मानवता पर नहीं बल्कि पूरी मानवता पर एक कलंक की तरह है”। दुआ किजिए इस तरह को लेख लिखने से पहले स्याही को शर्मिंदगी ना उठानी पड़े।

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